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टिहरी गढ़वाल में होने वाली ऐतिहासिक रामलीला 1952 से पुरानी टिहरी के आजाद मैदान में 2002 तक टिहरी के डूबने तक होती रही और टिहरी के जलमग्र होने के बाद देहरादून में इसको 21 वर्षो बाद भव्य रूप से 2023 में पुनर्जीवित किया गया।
READ MOREगोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं रूस की सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी के मध्य पशुचिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में तकनीकी शोध एवं शिक्षा के आदान-प्रदान हेतु 20 सितंबर 2024 को एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
READ MOREप्रोफ़ेसर हरेन्द्र सिंह असवाल की दो पुस्तकों का आज दिल्ली में लोकार्पण किया गया। एक पुस्तक ‘खेड़ाखाल’ कविता संग्रह हैं और दूसरी ‘हाशिए के लोग’ में, हिन्दू समाज के उन कलाकारों का स्मरण किया गया जिन्होंने हिन्दू संस्कृति को हज़ारों वर्षों तक अनपढ़ होते हुए भी निरन्तर ज़िन्दा रखा। लेकिन बदले में वर्ण व्यवस्था ने उन्हें हमेशा हाशिए पर रखा।
READ MOREमुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की वर्चुअल उपस्थिति में उत्तराखण्ड सम्मिलित राज्य कनिष्ठ अभियन्ता सेवा परीक्षा, 2023 के अन्तर्गत विभिन्न विभागों में चयनित 1094 कनिष्ठ अभियन्ताओं को नियुक्ति पत्र प्रदान किये गये। नींबूवाला, गढ़ी कैंट स्थित संस्कृति विभाग के ऑडिटोरियम में आयोजित इस कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, प्रेमचन्द अग्रवाल, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल एवं विधायक सविता कपूर उपस्थित थे।
READ MOREरामबाड़ा-गरुड़चट्टी तक 5.35 किमी रास्ते को पुनर्जीवित किया जा रहा है। अभी तक लगभग एक किमी कटान हो चुका है। लगभग पांच करोड़ की लागत से इस रास्ते को निर्माण किया जा रहा है।
READ MOREउत्तरकाशी के मोरी, बड़कोट, पुरोला और उपला टकनौर क्षेत्र में कोटि बनाल शैली के भवन देखने को मिलते हैं। पुराने समय में पंचपुरा भवनों को पहाड़ की आर्थिक समृद्धि का प्रतीक माना जाता था। ये भवन स्थापत्य और विज्ञान का शानदार नमूना हैं। यह भवन भूकंप के झटकों को भी ये आसानी से सह लेते हैं।
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साथ ही कलश द्वारा निरंतर किए जा रहे कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता अशोक चौधरी ने किया। इससे पूर्व अतिथि वर्ग की ओर से स्वामी सच्चिदानंद की प्रतिमा का माल्यार्पण करते हुए दीप प्रज्ज्वलन करते हुए कार्यक्रम शुरू किया गया।
READ MOREइसी दिन सुबह सवा दस सवा दस बजे श्री तुंगनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए दर्शनार्थ खोले जाएंगे। द्वितीय केदार के कपाट खोलने को लेकर बद्री-केदार मंदिर समिति, स्थानीय ग्रामीण एवं हक हकूकधारियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। ताकि शुभलग्नानुसार मंदिर के कपाट खोले जाएंगे।
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