गुड फ्राइडे के दिन गौरव का ये पल ‘भूल’ गए, पढ़िए 28 साल पहले इस दिन क्या हुआ था?

गुड फ्राइडे के दिन गौरव का ये पल ‘भूल’ गए, पढ़िए 28 साल पहले इस दिन क्या हुआ था?

जनरल बीसी जोशी… यह नाम उत्तराखंड की आन बान और शान है। नब्बे के दशक में पहाड़ से निकले युवाओं ने देशभक्ति का जज्बा लिए जब भी सेना में कदम बढ़ाया तो उनके दिल में बीसी जोशी का नाम प्रेरणा बना। वह पहाड़ के पहले शख्स थे, जो सेना प्रमुख के पद पर पहुंचे। सैन्यधाम कहे जाने वाले उत्तराखंड के लिए जनरल जोशी का सेना प्रमुख बनना गौरव का ऐसा लम्हा था, जिसकी गूंज कई वर्षों तक सुनी जाती रही।

कल गुड फ्राइडे था। बीत गया पर उत्तराखंड के कम लोगों को ही याद होगा कि कल का दिन उनके लिए गौरव का दिन था। जी हां, उत्तराखंड के सपूत उस हीरो की शायद किसी को सुध नहीं थी। हम बात कर रहे हैं पहाड़ के लाल जनरल बीसी जोशी की। आज से ठीक 28 साल पहले कल ही के दिन यानी 2 अप्रैल 1993 को उन्हें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनाने की घोषणा की गई थी। उस दौर में मोबाइल नहीं था, उत्तराखंड के पहाड़ों पर जब सुबह ने आंखें खोली तो अखबार के पहले पन्ने पर थी गौरव की तस्वीर। खबर पढ़कर जैसे उत्तराखंड का हर शख्स गौरवान्वित महसूस कर रहा था।

Photo – indiacontent.in से साभार

देवभूमि उत्तराखंड के बारे में कहा जाता है कि शायद ही कोई गांव ऐसा हो जहां से लोग सेना में जाकर देशसेवा न कर रहे हों। ऐसे में जब उनका लाल सेना में सर्वोच्च पद पर पहुंचा हो तो उनकी खुशी का अंदाजा लगाया जा सकता है। गांव-गांव खुशियां मनाई गईं, ढोल बजे, लोगों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई। वह दिन देखने वाले लोग याद करते हैं कि लोग बच्चों को जनरल बीसी जोशी का उदाहरण देने लगे। जोशी COAS देश के लिए थे और पहाड़ों के लिए तो प्रेरणा बन चुके थे।

वह दिन भी आया जब उन्होंने पदभार संभाला। तारीख थी 1 जुलाई और सन 1993। इससे पहले वह पूर्वी और दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ के तौर पर सेवा कर चुके थे। 1971 की भारत-पाक जंग में भी वह शामिल हुए थे। नई दिल्ली में सेना मुख्यालय में महानिदेशक (योजना) और महानिदेशक सैन्य संचालन (DGMO) के रूप भी सेवा दे चुके थे।

परम विशिष्ट सेवा पदक और अति विशिष्ट सेवा पदक पाने वाले उत्तराखंड के सपूत जनरल बिपिन चंद्र जोशी का भारतीय सेना के प्रमुख रहते 19 नवंबर 1994 को निधन हो गया। उनका जन्म पिथौरागढ़ में हुआ था। जब निधन हुआ उस समय उनकी उम्र 58 साल थी, नई दिल्ली स्थित सैन्य अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली।

वह 1995 में सेवानिवृत्त होने वाले थे पर होनी को कुछ और ही मंजूर था। हृदयाघात से उनकी मृत्यु हो गई। वह भारतीय सेना के एकमात्र चीफ हैं जिनकी मृत्यु कार्यकाल के दौरान हुई।

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वह आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं पर जनरल बिपिन चंद्र जोशी का नाम उत्तराखंड और पूरे देश की युवा पीढ़ी को सदैव देशसेवा और प्रेरणा पुंज के रूप में राह दिखाता रहेगा। बाद के सालों में हुए आर्मी चीफ जनरल जोशी को अवश्य याद करते रहे। उनकी स्मृति में व्याख्यान आयोजित होते हैं, तो स्कूल चल रहा है।

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