31 जुलाई को केदारघाटी में बादल फटने की घटना के बाद केदारनाथ आने-जाने का रास्ता पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। केदारनाथ में आये यात्रियों को वहां से निकालना एक चुनौती था लेकिन हेलीकॉप्टर पायलटों की कुशल क्षमता ने इस चुनौती को बखूबी अंजाम दिया।
केदारघाटी में आई आपदा के बाद जहां सम्पर्क मार्ग पूरी तरह टूट गए थे, ऐसे में हेलीकॉप्टर पायलटों ने बारिश और घने कोहरे के बीच हजारों यात्रियों की जान बचाई है। स्वयं अपनी जान पर खेलते हुए केदारघाटी के बिगड़े मौसम के बीच हेलीकॉप्टर उड़ाकर यात्रियों को सुरक्षित निकाला है। वर्ष 2013 की आपदा में भी हेलीकॉप्टर पायलटों ने रेस्क्यू अभियान में अहम भूमिका निभाई थी।
इस बार भी केदारनाथ पैदल मार्ग पर फंसे यात्रियों को हेली से रेस्क्यू करने के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। अफसरों के साथ ही विभिन्न सुरक्षा जवानों को रास्तों में ड्रॉप करने के लिए हेली का उपयोग किया गया। ऐसे में केदारघाटी के पल-पल बदलते मौसम के बीच हेलीकॉप्टर उड़ाना भी एक बड़ी चुनौती था। एक ओर जहां मानसूनी मौसम में केदारघाटी में अधिकांश चारों ओर कोहरा फैला रहता है वहीं एयररूट भी न दिखने से दुर्घटनाओं की आशंका रहती है इससे बेपरवाह पायलटों ने अपने काम को बखूबी अंजाम दिया।
31 जुलाई की रात आपदा की खबर मिलने के बाद डीएम के निर्देशों पर एक अगस्त सुबह से हेलीकॉप्टर रेस्क्यू की शुरूआत की गई और गुरुवार तक हेलीकॉप्टरों से रेस्क्यू किया गया। जिसमें 570 शटल कर यात्रियों को सुरक्षित निकाला गया।
– राहुल चौबे, नोडल अधिकारी हेलीकॉप्टर
रेस्क्यू में इन हेली सेवाओं ने दिया योगदान
हैरिटेज एविएशन, ट्रास भारत एविएशन, हिमालय हेली, पिनैकल, रिवाज।
रेस्क्यू में इन पायलटों ने निभाई अहम भूमिका
कैप्टन प्रताप सिंह, कैप्टन केएस खान, कैप्टन पीजी सिंह, कैप्टन अरविंद पांडेय, कैप्टन बलजीत सिंह और कैप्टन विक्रम गौरा।
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