उत्तराखड़ी बोली-भाषा के नाटक ‘ल्यावा बणिगे हमरि बि फिलम’ का हाउस फुल मंचन

उत्तराखड़ी बोली-भाषा के नाटक ‘ल्यावा बणिगे हमरि बि फिलम’ का हाउस फुल मंचन

उत्तराखंड के प्रवासियों द्वारा वर्ष 1981 में गठित सांस्कृतिक संस्था ‘दि हाई हिलर्स ग्रुप’ तथा विगत बाइस वर्ष पूर्व गठित ’प्रज्ञा आर्ट्स थिएटर ग्रुप, दिल्ली’ द्वारा 6 सितंबर की सायं मंडी हाउस स्थित एलटीजी सभागार में गढ़वाली, कुमाऊनी एवं जौनसारी अकादमी दिल्ली सरकार के संयुक्त तत्वावधान में, लक्ष्मी रावत द्वारा आलेखित और निर्देशित उत्तराखंडी बोली-भाषा के हास्य नाटक ’ल्यावा बणिगे हमरि बि फिलम’ का मंचन करीब चालीस कलाकारों की हाड़तोड़ मेहनत के बल खचाखच भरे सभागार में मंचित किया गया।

सी एम पपनैं, नई दिल्ली

मंचित नाटक का कथानक उत्तराखंड की बोली-भाषाओं में निर्मित आंचलिक फिल्मों के ताने-बाने तथा उसकी गतिविधियों से जुड़ा हुआ रहा है। सरकारी तौर पर अंचल की आंचलिक फिल्मों के निर्माताओं व निर्देशकों को दी जा रही भारी भरकम सरकारी छूट व अनुदान का अन्य फिल्म निर्माण की ओर अग्रसरित जिज्ञासुओं तथा उत्साही लोगों पर उसका क्या प्रभाव दृष्टिगत है, के बावत मंचित नाटक का श्रीगणेश रेस्टोरेंट में बैठे लोगों के मध्य हो रहे वार्तालाप, हंसी-मजाक, एक दूसरे पर व्यंग, आपसी मनोरंजन, कहासुनी व झड़प तथा अंचल के युवाओं और युवतियों पर निर्मित हो रही फिल्मों का पड़ रहे प्रभाव से किया गया।

विगत वर्षो में निर्मित उत्तराखंड की आंचलिक फिल्मों में किसी न किसी रूप में सुपर हिट हुए फिल्मी गीतों व नृत्यों का ताना-बाना बुन कर तथा उक्त कथानक को मुंबईया फिल्मों की तरह प्रेम प्रसंगों, भावुकता, सस्पेंस तथा मारधाड़ इत्यादि का जोड़ जंतर कर आंचलिक बोली-भाषा में नाटक आलेखित कर उसका मंचन किया गया है, जो एक हास्य के तहत ही सही, आज की युवा पीढ़ी को आंचलिक फिल्मों की दशा व दिशा की ओर गहराई से ध्यान आकर्षित करता नजर आता है।

लक्ष्मी रावत द्वारा रचित व निर्देशित नाटक की खूबी ही कही जा सकती है, मंचित नाटक में उत्तराखंड के आंचलिक रंगमंच व फिल्मों से जुड़े ख्यातिरत कलाकारों व अदाकारों को विभिन्न प्रकार के पात्रों की भूमिका देकर नाटक में प्रतिभाग करवाया गया है। नाटक में प्रतिभाग किए कई कलाकारों की विगत वर्षो व महीनों में प्रदर्शित हुई फिल्मों का भी नाटक के माध्यम से बखान किया गया है।

मंचित नाटक में आंचलिक रंगमंच व फिल्मों से जुड़े ख्यातिरत कलाकारों में प्रमुख रूप से राकेश गौड़, बृज मोहन वेदवाल, कुसुम चौहान, सविता पंत, दर्शन सिंह रावत, महेंद्र सिंह लटवाल, डॉ.सतीश कालेश्वरी, रवींद्र गुड़ियाल, वीरेंद्र सिंह गुसाईं, गीता गुसाई नेगी, रमेश ठंगरियाल, अंजू भंडारी, कोमल राणा, उमेश बंदूनी, जगमोहन सिंह रावत, गिरधारी रावत, पीताम्बर सिंह चौहान, शशि बडोला, ममता कर्नाटक इत्यादि इत्यादि का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है। उक्त आंचलिक ख्यातिरत रंगमंच और फिल्मी कलाकारों द्वारा मंचित नाटक में अपने अभिनय व बोले गए संवादों से खचाखच भरे सभागार में बैठे दर्शकों को काफी उन्मादित और प्रभावित किया गया।

उत्तराखंड की निर्मित आंचलिक फिल्मों के सुपर हिट गीतों की हैड लाइनों पर मंचित कुछ नृत्यों ने दर्शकों को प्रभावित किया। मंचित नाटक में पात्रों की वस्त्र सज्जा नाटक के अनुरूप रही। मंचित नाटक के कई प्रमुख पात्रों द्वारा आंचलिक बोली-भाषा में व्यक्त संवाद अति प्रभावशाली व ध्यान आकर्षित करने वाले रहे।

करीब एक सौ पचास मिनट तक मंचित नाटक की समाप्ति पर ’दि हाई हिलर्स ग्रुप’ महासचिव गिरीश सिंह बिष्ट द्वारा मंचित नाटक के सभी पात्रों व मंच पीछे सहयोगियों में प्रमुख रही गढ़वाल हितैंषिणी सभा का आभार व्यक्त किया गया। ’दि हाई हिलर्स ग्रुप’ तथा ’प्रज्ञा आर्ट्स थिएटर ग्रुप, दिल्ली’ अध्यक्ष क्रमशः हरि सेमवाल तथा लक्ष्मी रावत के कर कमलों हिंदी अकादमी सहित गढ़वाली, कुमाऊनी एवं जौनसारी अकादमी दिल्ली सरकार सचिव संजय कुमार गर्ग तथा उपाध्यक्ष कुलदीप भंडारी को मंच पर आमंत्रित कर पुष्पगुच्छ प्रदान किए गए। नाटक मंचन पर दिए गए सहयोग हेतु आभार प्रकट किया गया। मंचित नाटक रचयिता, निर्देशिका लक्ष्मी रावत द्वारा सभी कलाकारों, सहयोगियों व दर्शकों का अमूल्य समय देने हेतु आभार प्रकट किया गया।

Hill Mail
ADMINISTRATOR
PROFILE

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

विज्ञापन

[fvplayer id=”10″]

Latest Posts

Follow Us

Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this