कंचन पंत को डियर लतिका फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का खिताब

कंचन पंत को डियर लतिका फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का खिताब

‘डियर लतिका’ को ऑस्ट्रेलियन फिल्म ‘लिंबो’ के साथ सर्वश्रेष्ठ फिल्म का खिताब भी मिला। इसके अलावा फिल्म को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में नामांकित किया गया था। मनीष डिमरी और पल्वी जसवाल ने मुख्य भूमिकाएं निभाई, जबकि रजत सुखीजा, नरेंद्र सिंह बिष्ट, मदन मेहरा और गोपा नयाल ने भी अहम किरदार निभाए। ‘डियर लतिका’ उत्तराखंड के परिवेश में बनी फिल्म है, जिसका फिल्मांकन अल्मोड़ा और नैनीताल के क्षेत्रों में किया गया है।

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा के रानीधारा निवासी युवा फिल्म लेखक-निर्देशक कंचन पंत को स्पेन के प्रतिष्ठित इमेजिन इंडिया फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट डायरेक्टर का अवार्ड मिला है। कंचन पंत को यहअवार्ड उनकी फिल्म ‘डियर लतिका’ के लिए दिया गया है। 1 से 16 सितंबर तक स्पेन के मड्रिड शहर में आयोजित फिल्म फेस्टिवल में भारत, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, चीन, फिलीपीन्स, ब्रिटेन और जर्मनी सहित दुनिया के कई देशों की सैकड़ों फिल्मों की स्क्रीनिंग हुई, जिसमें से कंचन पंत को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक चुना गया।

‘डियर लतिका’ को ऑस्ट्रेलियन फिल्म ‘लिंबो’ के साथ सर्वश्रेष्ठ फिल्म का खिताब भी मिला। इसके अलावा फिल्म को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में नामांकित किया गया था। मनीष डिमरी और पल्वी जसवाल ने मुख्य भूमिकाएं निभाई, जबकि रजत सुखीजा, नरेंद्र सिंह बिष्ट, मदन मेहरा और गोपा नयाल ने भी अहम किरदार निभाए। ‘डियर लतिका’ उत्तराखंड के परिवेश में बनी फिल्म है, जिसका फिल्मांकन अल्मोड़ा और नैनीताल के क्षेत्रों में किया गया है।

कंचन पंत की यह पहली फीचर फिल्म है, जो बेहद कम बजट में बनाई गई है। इस फिल्म ने पहले ही एनएफडीए फिल्म बाजार, मामी मुंबई फिल्म फेस्टिवल, न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल और त्रिसूर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दर्शकों और समीक्षकों का दिल जीत लिया है। फिल्म डियर लतिका उत्तराखंड के परिवेश में बनी फ़िल्म है जिसका फिल्मांकन अल्मोड़ा सहित नैनीताल के क्षेत्र में किया गया है। जिसे कंचन पंत ने लिखा है।

डियर लतिका इसके पहले एनएफडीए फिल्म बाज़ार, मामी मुंबई फिल्म फेस्टिवल, न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल और त्रिसूर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में दर्शकों और क्रिटिक्स का दिल जीत चुकी है। बेहद कम बजट में बनी ये फिल्म कंचन पंत की पहली फीचर फिल्म है। फिल्म में मुख्य भूमिका उत्तराखंड के मनीष डिमरी और मुंबई की पल्वी जसवाल ने निभाई है। रजत सुखीजा, नरेंद्र सिंह बिष्ट, मदन मेहरा और गोपा नयाल सहित उत्तराखंड के कई कलाकारों ने इस फिल्म महत्वपूर्ण किरदार निभाए हैं। ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’, ‘चिल्लर पार्टी’ जैसी फिल्मों और बालिका वधू, ना आना इस देश मेरी लाडो जैसे टीवी सीरियल्स के लिए मशहूर अभिनेत्री सोनल झा ने भी फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

कंचन पंत इससे पहले रेडियो के बेहद लोकप्रिय स्टोरीटेलिंग शो ‘यादों का इडियट बॉक्स’ के लिए लिखी 250 से ज़्यादा कहानियों से अपनी पहचान बना चुकी हैं। उनकी लिखी एक शॉर्ट फिल्म ‘शिकायत’ डिज़नी हॉटस्टार पर उपलब्ध है। फ़िल्म की निर्देशक कंचन पंत का कहना है कि डियर लतिका को मिला सम्मान इस बात का प्रमाण है कि सिर्फ कॉन्टेंट के दम पर अच्छी फिल्में बनाई जा सकती हैं। कंचन चाहती हैं कि वो फॉर्मूला और स्टार ड्रिवन फिल्मों से परे ऐसी फिल्में बनाएं, जो सीधे लोगों के दिलों तक पहुंचें।

उन्होंने बताया कि वह शीघ्र ही उत्तराखंड के परिवेश पर एक और नयी फिल्म का निर्माण करने जा रही जिसकी पटकथा को अंतिम स्वरूप दिया जा रहा हैं। फिल्म निर्देशक कंचन पन्त के पति सौरभ पंत बहुराष्ट्रीय बैंकिग सेक्टर में उच्चपद पर आसीन होने के बाद भी अल्मोड़ा के रानीधारा में रिवर्स पलायन को रोकने के लिए सेब की खेती, पशुपालन और मत्स्य पालन एंव कुकुट उधोग को बढा़वा देकर स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं। जिसमें उन्हें स्थानीय लोगों का भरपूर सहयोग मिल रहा हैं।

फ़िल्म की निर्देशक कंचन पंत का कहना है कि डियर लतिका को मिला सम्मान इस बात का प्रमाण है कि सिर्फ कॉन्टेंट के दम पर अच्छी फिल्में बनाई जा सकती हैं। कंचन चाहती हैं कि वो फॉर्मूला और स्टार ड्रिवन फिल्मों से परे ऐसी फिल्में बनाएं, जो सीधे लोगों के दिलों तक पहुंचे। उन्होंने बताया कि वह शीघ्र ही उत्तराखंड के परिवेश पर एक और नयी फिल्म का निर्माण करने जा रही जिसकी पटकथा को अंतिम स्वरूप दिया जा रहा हैं। इतना ही नहीं बल्कि इस फिल्म का फिल्मांकन अल्मोड़ा सहित नैनीताल के क्षेत्र में किया गया है जिसे कंचन पंत ने लिखा है। कंचन की इस विशेष उपलब्धि के बाद से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं उन्हें बधाई देने वालों का लगातार तांता लगा हुआ है।

(लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं।)

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