कहते हैं न कि अपने लिए जिये तो क्या जिए। दूसरों की मदद कर उसके चेहरे पर मुस्कान लाने से बड़ा कोई पुण्य कार्य क्या हो सकता है। पिथौरागढ़ में पिछले दिनों एक के बाद एक भारी बारिश, भूस्खलन में घर जमींदोज हो गए और कई लोगों की जान चली गई।
उत्तराखंड में पिछले दिनों एक के बाद एक आपदाएं आईं। पिथौरागढ़ जिले के बंगापानी और धारचूला तहसील क्षेत्र के कई गांवों में भारी बारिश ने तबाही मचाई है। भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में कई लोगों की जान चली गई। अब घायलों को मदद पहुंचाने और पीड़ितों के पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इस दिशा में कई सामाजिक कार्यकर्ता और संगठन भी आगे आ रहे हैं। इनमें सबसे बड़ा नाम है स्वामी वीरेंद्रानंद महाराज का। आपदा की खबर मिलने पर उन्होंने राहत सामग्री प्रभावितों को देने का फैसला किया। इस सीमांत जिले में वह लंबे समय से एशियन सत्कर्मा मिशन चला रहे हैं।
पूर्व भाजपा विधायक प्रत्याशी 42 विधानसभा धारचूला स्वामी वीरेंद्रानंद महाराज ने अपने विधानसभा क्षेत्र (तहसील बंगापानी) में जाकर आपदा पीड़ितों का दुख दर्द बांटा। टांगा गांव के पीड़ितों के आपदा कैंपों पर जाकर उन्हें हरसंभव मदद का भरोसा दिया। उन्होंने मृतकों के परिवारों से भी मुलाकात की एवं पीड़ित लोगों को राशन, बिस्तर, फेस मास्क, सैनिटाइजर आदि वितरित किया।
इसके बाद स्वामी वीरेंद्रानंद महाराज अपनी टीम और राहत सामग्री लेकर मुनस्यारी (तहसील बंगापानी) के अंतर्गत ग्राम सभा टांगा, सेरा, छोरीबगड़ तक आपदा ग्रस्त गांव का दौरा किया। उन्होंने पीड़ितों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनीं तथा जल्द से जल्द सरकार के माध्यम से मदद दिलवाने की भी बात कही। मलबे में तब्दील हुए घर के मालिकों को उन्होंने हौसला बढ़ाया।
यह पहली बार नहीं है जब स्वामी वीरेंद्रानंद जरूरतमंद लोगों की मदद करने पहुंचे हों। वह हमेशा परोपकार के काम में लगे रहते हैं। कोरोना काल में उन्होंने अपनी तरफ से लोगों को ठहराया और उनके खाने-पानी की भी व्यवस्था की। उनका संदेश है कि दूसरों की मदद से बड़ा पुण्य कार्य कुछ नहीं है। उत्तराखंड आपदा प्रभावितों की मदद के लिए उनकी टीम वाहन लेकर पहुंची थी और एक-एक कर लोगों की मदद की गई।
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