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माउंट एवरेस्ट… दुनिया का सबसे ऊंचा शिखर। इस चोटी को छूने की आस लेकर सैकड़ों पर्वतारोही हर साल इस जोखिम भरे अभियान पर निकलते हैं। इनमें से कुछ ही सफलता हासिल कर पाते हैं। लेकिन दो नाम ऐसे भी हैं, जिन्होंने भले ही एवरेस्ट के शिखर को न छुआ हो लेकिन दोनों ही पर्वतारोहण की दुनिया के शिखर पुरुषों से कम नहीं हैं। ये कहानी है बहुगुणा ब्रदर्स की। एक को पर्वतारोहण के लिए अर्जुन पुरूस्कार और पद्मश्री मिला और दूसरे को कीर्ति चक्र, सेना मेडल और दो बार विशिष्ट सेवा मेडल। दोनों पहली बार में एवरेस्ट के बेहद करीब पहुंचे और दूसरी बार के अभियान में जान गंवा दी। वो भी एक ही जगह…लेकिन 14 साल के अंतराल पर। ये कहानी है मेजर हर्षवर्धन बहुगुणा और मेजर जयवर्धन बहुगुणा की।
READ MOREमूल रूप से सीडीएस जनरल रावत पौड़ी जिले के सैंण गांव से थे। यहां पर उनके चाचा भरत सिंह रावत और उनका परिवार रहता है। उत्तराखंड के पौड़ी जिले द्वारीखाल ब्लॉक में बिरमोली ग्राम पंचायत के अंतर्गत सैंण गांव आता है। जनरल रावत के घर तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता पैदल तय करना पड़ता है।
READ MOREपाकिस्तान से सटी सीमा की जिम्मेदारी पश्चिमी कमान के पास होती है और इसका कुछ हिस्सा जम्मू सेक्टर से पंजाब तक भी है। लेफ्टिनेंट जनरल खंडूरी लेफ्टिनेंट जनरल आरपी सिंह की जगह लेंगे। वह 31 अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं।
READ MOREभारतीय सैन्य अकादमी (IMA) भारतीय सेना के अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए प्रमुख प्रशिक्षण स्कूल है। यहां कैडेटों को प्रशिक्षण देने का अपना अलग तरीका है। मिड टर्म ब्रेक होने पर भी कैडेटों ने कैसे समय का सदुपयोग किया और वादियों में घूमे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट
READ MOREभारतीय सैन्य अकादमी से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जेंटलमैन कैडेटों के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया और मारपीट भी हुई। 3-4 की दरम्यानी रात इस घटना से लोग हैरान हैं क्योंकि इस तरह की बातें IMA से पहले कभी नहीं आई हैं।
READ MOREकोरोना की तमाम गाइडलाइनों के अनुरूप IMA की ऐतिहासिक इमारत के सामने ड्रिल स्क्वॉयर में हुई रंगारंग पासिंग आउट परेड में इन युवा अधिकारियों ने वतन पर मर-मिटने के लिए हमेशा तैयार रहने का हलफ उठाया। मित्र देशों के 70 कैडेट ने भी शनिवार को प्रशिक्षण पूरा किया और अपने-अपने देशों की सेना में शामिल हुए।
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माउंट एवरेस्ट… दुनिया का सबसे ऊंचा शिखर। इस चोटी को छूने की आस लेकर सैकड़ों पर्वतारोही हर साल इस जोखिम भरे अभियान पर निकलते हैं। इनमें से कुछ ही सफलता हासिल कर पाते हैं। लेकिन दो नाम ऐसे भी हैं, जिन्होंने भले ही एवरेस्ट के शिखर को न छुआ हो लेकिन दोनों ही पर्वतारोहण की दुनिया के शिखर पुरुषों से कम नहीं हैं। ये कहानी है बहुगुणा ब्रदर्स की। एक को पर्वतारोहण के लिए अर्जुन पुरूस्कार और पद्मश्री मिला और दूसरे को कीर्ति चक्र, सेना मेडल और दो बार विशिष्ट सेवा मेडल। दोनों पहली बार में एवरेस्ट के बेहद करीब पहुंचे और दूसरी बार के अभियान में जान गंवा दी। वो भी एक ही जगह…लेकिन 14 साल के अंतराल पर। ये कहानी है मेजर हर्षवर्धन बहुगुणा और मेजर जयवर्धन बहुगुणा की।
READ MOREमूल रूप से सीडीएस जनरल रावत पौड़ी जिले के सैंण गांव से थे। यहां पर उनके चाचा भरत सिंह रावत और उनका परिवार रहता है। उत्तराखंड के पौड़ी जिले द्वारीखाल ब्लॉक में बिरमोली ग्राम पंचायत के अंतर्गत सैंण गांव आता है। जनरल रावत के घर तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर का पहाड़ी रास्ता पैदल तय करना पड़ता है।
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