जरा सोचिए, बेटी के हाथ पीले करना हर पिता का सबसे बड़ा सपना और जिम्मेदारी होती है। इसे पूरा करने के बाद वह अपने जीवन का एक उद्देश्य सफल मानता है लेकिन लॉकडाउन ने ऐसा मजबूर कर दिया है कि दूर बैठे पिता अपनी ही बेटी को विदा करने के लिए घर नहीं पहुंच सके।
कोरोना वायरस ने लोगों को हर तरह से प्रभावित किया है। कुछ के रोजी-रोटी का सहारा छिन गया है तो कुछ के बने बनाए प्लान धरे के धरे रह गए हैं। लोग यहां-वहां फंसे हुए है, जिससे शादियां भी कैंसल करनी पड़ रही हैं। उत्तराखंड में लॉकडाउन के दौरान सख्त नियमों के साथ शादी की इजाजत तो मिल गई पर उत्तरकाशी में एक बेटी का कन्यादान करने के लिए पिता पहुंच ही नहीं सके।
यहां चिन्यालीसौड़ के रहने वाले विजय राज परमार असम राइफल्स में हैं। इस समय उनकी पोस्टिंग त्रिपुरा में है। लॉकडाउन हुआ तो आने-जाने के सभी साधन बंद हो गए। बेटी की शादी पहले से तय हो गई थी। काफी इंतजाम हो गया था लेकिन पिता के सैकड़ों किमी दूर फंसे होने के कारण घरवालों में अजीब सी मायूसी थी। पापा की लाडली अनामिका भी पिता के आने की राह तक रही थी लेकिन लॉकडाउन में यह संभव नहीं था।
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आपको बता दें कि कोरोना वायरस के एक शख्स से दूसरे में फैलने से रोकने के लिए सरकार को ऐसा सख्त फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। आखिरकार फर्ज के लिए दूर बैठे मजबूर पिता ने वीडियो देखकर बेटी को आशीर्वाद दिया और उनके भाई यानी अनामिका के चाचा ने कन्यादान की रस्म पूरी की। सरकार के नियमों के तहत पांच लोगों की मौजूदगी में शादी संपन्न कराई गई। लॉकडाउन के कारण न बैंड-बाजा था और न ही कोई शोर-शराबा।
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बड़े ही सादे तरीके से शादी संपन्न हुई। वीडियो में टकटकी लगाए अपने बेटी का कन्यादान होते देख पिता की आंखों में आंसू आ गए। देश की रक्षा में तैनात पिता ने जब वीडियो कॉल पर ही बेटी को आशीर्वाद देते हुए विदा किया तो वहां मौजूद सभी लोग भावुक हो गए। आसपास के इलाके में इस शादी की खूब चर्चा है।
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