ई-रैबार: शहरों से लौटे पहाड़ के युवा कौन सी खेती करें? प्रोग्रेसिव किसानों ने दिए बेहतरीन टिप्स

ई-रैबार: शहरों से लौटे पहाड़ के युवा कौन सी खेती करें? प्रोग्रेसिव किसानों ने दिए बेहतरीन टिप्स

उत्तराखंड लौटे युवाओं के लिए खेती आय का एक बढ़िया साधन हो सकता है लेकिन इसके लिए जमीन की पूरी समझ विकसित करनी होगी कि किस जमीन पर किस चीज की खेती की जाए। इसमें सरकारी संस्थाओं की मदद ली जा सकती है। बेरोजगार युवा सब्जी के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम कर सकते हैं। मुर्गा पालन, बकरी पालन, डेयरी ये साथ-साथ चलाना होगा। ऐसी ही दिलचस्प बातें हुईं ई-रैबार के मंच पर…

हिल मेल के लाइव शो ‘ई-रैबार’ में सोमवार, 18 मई को कई प्रोग्रेसिव किसानों ने हिस्सा लिया। चकराता से प्रेम चंद शर्मा, रानीखेत से गोपाल दत्त उप्रेती और मुक्तेश्वर से एग्रो फॉर्मर कनिका शर्मा, गौरव शर्मा हासिल हुए। मॉडरेटर की भूमिका में वरिष्ठ पत्रकार ओपी डिमरी थे। लॉकडाउन में शहरों से पहाड़ की तरफ लौटे युवा किसानी कैसे शुरू करें और क्या करें जिससे उन्हें अच्छी कमाई हो सके, इस बारे में तीनों प्रोग्रेसिव किसानों (Progressive Farmers) ने बेहतरीन टिप्स दिए।

सब्जी से करें शुरुआत…

प्रेम चंद शर्मा ने कहा कि आज खेती करना काफी आसान हो गया है। हमारे पास हर तरह के साधन हैं। पहले हम काफी कुछ आसमान पर निर्भर रहते हैं। जानवरों से बचाव, आधुनिक तकनीक खेती के लिए आज सब कुछ है बस मन बनाना है कि हां, हमें खेती करनी है। प्रेम चंद ने कहा कि विश्व की जलवायु हमारे पास हैं। अभी जो युवा लौटे हैं उन्हें शुरुआत बहुउद्देशीय खेती से करनी होगी। बागवानी की प्रक्रिया लंबी है। इसमें सब्जी उगाने का काम एक कैश क्रॉप के तौर पर किया जा सकता है। साथ-साथ जमीन के हिसाब से बागवानी की जा सकती है।

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बंजर जमीन हमारे लिए एसेट है…

गोपाल उप्रेती ने कहा कि हमारी जमीनें बंजर हैं। अगर हम जैविक खेती करना चाहते हैं तो यही बंजर जमीन हमारे लिए एसेट हैं। हमें सबसे पहले मिट्टी की हेल्थ को सही करना है और तब हम कोई भी फसल उगा सकते हैं और उत्पादन भी अच्छा होगा। गोपाल जी ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में बागवानी का बहुत अच्छा स्कोप है। हमारे पास हर तरह के जोन हैं। हम आम, कीवी, सेब, अखरोट हर चीज की खेती कर सकते हैं। मैंने विदेश से जाकर स्टडी की और 2016 में अपना एक बागीचा लगाया। पहले मुझे लग रहा था कि पहाड़ों में कुछ नहीं हो सकता। जब मैं फ्रांस गए तो वहां खेतों में सेब की अच्छे से खेती हो रही है। दक्षिण फ्रांस के बड़े हिस्से में बागवानी हो रही थी और उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत यही था। मौसम भी रानीखेत और फ्रांस का एकजैसा था।

नए किसान कैसे अपना काम शुरू करें? गोपाल उप्रेती ने बताया कि जब तक उन्हें सक्सेस स्टोरी नहीं पता चलेगी तब तक पहाड़ का नौजवान खेती के लिए आगे नहीं आएगा। हर साल 7-8 किसान समझने के लिए आ रहे हैं। हर जिले में अगर 2-3 डेमो लग जाएं तो नौजवानों को काफी फायदा होगा। उन्होंने कहा कि मैं युवाओं से कहना चाहता हूं कि अगर अमीर बनना है तो पहाड़ में आकर खेती करिए।

युवा भी आगे आ रहे खेती करने…

कनिका शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के समय में आज सबसे महत्वपूर्ण हमारे किसान हैं, उन्हीं की बदौलत हमें भोजन मिल रहा है। इससे एक बात यह भी साफ हो गई कि किसानी कितनी जरूरी है। मैंने पढ़ाई पूरी करने के बाद वापस अपने राज्य में लौटने का फैसला किया, जिससे अपने साथ ही और लोगों का भी भला होगा। उनके भाई गौरव शर्मा ने बताया कि 2012 में उन्होंने 12वीं की पढ़ाई की। 2 साल एक होटल में प्रोफेशनल शेफ काम किया और उसके बाद अप्रैल 2017 में लौटा। मैं आया तो था विदेश जाने के लिए जिससे मैं कुछ और सीख सकूं क्योंकि 25 साल से मेरे पिताजी का व्यवसाय होटल और पर्यटन क्षेत्र में है।

गौरव शर्मा ने बताया कि एक बार हम हिमाचल गए थे और जैविक खेती का फेस्टिवल लगा था। शिमला में दो भाई मिलकर जैविक तरीके से सेब का उत्पादन कर रहे हैं। मुझे उसे देखकर एक इच्छा सी हुई। मैंने फिर वही मॉडल में अपनाया। मुझे लगा कि बागवानी में मैं किसी दूसरे पेशे से ज्यादा कमा सकता हूं। उन्होंने कहा कि 2018 में मैंने पहला बागीचा लगाया। आज की तारीख में 1500 पौधे सेब के पौधे लगा चुका हूं। मैं चाहता हूं कि युवा इस चीज को समझें कि अपने घर में बैठे-बैठे आप खेती से अच्छा पैसा कमा सकते हैं और इसी तरीके से रिवर्स पलायन को संभव बनाया जा सकता है।

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