कोरोना को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू होने के कारण देश के कई शहरों में उत्तराखंड के लोग फंस गए थे। सरकार ने उन्हें वापस लाने का इंतजाम किया है लेकिन इसके साथ ही प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामले एक बड़े खतरे का संकेत दे रहे हैं।
लॉकडाउन के बावजूद कोरोना जब देशभर में फैलने लगा तो उत्तराखंड सरकार ने इसे रोकने की भरपूर कोशिश की जिसका असर यह हुआ कि 2-4 दिन में एक मरीज सामने आ रहा था। हालांकि 3 मई को जब प्रवासियों को राज्य में लौटने की छूट दी गई तो आंकड़े (coronavirus in uttarakhand) बढ़ने लगे। इसे आंकड़ों में समझिए तो उस समय 51 दिनों में 61 लोगों को ही कोरोना का संक्रमण हुआ था। लेकिन 4 मई से 20 मई तक का प्रदेश का कोरोना ग्राफ देखें तो पता चलता है कि नंबर 17 दिन में ही दोगुना बढ़ गया। जी हां, इस अवधि में 71 कोरोना के नए केस सामने आए।
आज हालत यह है कि उत्तराखंड में 132 मामले सामने आ चुके हैं और अभी सैकड़ों सैंपल्स के रिजल्ट आने बाकी है। सरकार का पूरा जोर इस बात पर है कि कोरोना को गांवों में फैलने से रोका जाए। पहले लोगों को बसों से लाया गया और अब ट्रेनों से लोग पहुंच रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग स्क्रीनिंग के बाद ही प्रवासियों को आगे अपने घर जाने की अनुमति दे रहा है लेकिन ये आंकड़े टेंशन दे रहे हैं।
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जिस संक्रमण को उत्तराखंड सरकार ने 51 दिनों तक बांधकर रखा था वह मई के दो हफ्तों में ही सरपट भागने लगा। विशेषज्ञों को डर है कि मुंबई, सूरत जैसे कोरोना से ज्यादा संक्रमित शहरों से आने वाले लोगों से प्रदेश में कोरोना ग्राफ तेजी से बढ़ सकता है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला देहरादून में 15 मार्च को सामने आया था। इसके बाद तबलीगी जमात के लोगों के कारण संक्रमण बढ़ने लगा था लेकिन इस पर भी जल्दी ही नियंत्रण पा लिया गया। अब अपने लोगों को घर लाने के साथ ही उनकी ठीक तरह से जांच और क्वारंटीन किए जाने की चुनौती है। सरकार ने सामाजिक दूरी का पालन करने के निर्देश दे रखे हैं लेकिन इसमें बड़ी भूमिका आम लोगों की है, जिन्हें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
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एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में अब तक एक लाख 29 हजार से अधिक लोग उत्तराखंड लौट चुके हैं। अकेले बुधवार को ही 17 हजार लोग राज्य के विभिन्न जिलों में पहुंचे। सबसे अधिक 34 हजार से अधिक लोग पर्वतीय क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में गए। इसके बाद पौड़ी में 21 हजार प्रवासी आए हैं। चिंता की बात यह है कि जहां भी प्रवासियों की आमद हुई है, वे सभी जिले पर्वतीय हैं।
एक समय पहाड़ कोरोना से मुक्त थे लेकिन अब प्रवासियों के साथ कोरोना पहाड़ में पहुंचता है तो सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।
कोरोना संक्रमण में तेजी आने के बाद अब प्रदेश में सैंपलिंग की रफ्तार भी बढ़ी है। बढ़ते मामलों को देखते हुए अब पूल टेस्टिंग भी की जा रही है। बुधवार को प्रदेश में सर्वाधिक 730 सैंपल की जांच रिपोर्ट आई। लेकिन, लैब में पेंडिंग सैंपल भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अधिकारियों को साफ निर्देश दिए हैं कि होम क्वारंटीन का उल्लंघन करने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। ग्राम स्तर पर कार्यरत प्रधानों, आशा कार्यकत्रियों, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा की जाने वाली शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि मास्क, सैनेटाइजेशन, फिजिकल डिस्टेंस को लेकर निरंतर लोगों को जागरूक किए जाने की जरूरत है।
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