उत्तराखंड के युवा ध्यान दें। आपके स्वरोजगार के लिए रास्ते खुल गए हैं। इसमें शैक्षिक योग्यता की बाध्यता भी नहीं है। उद्योग सेवा एवं व्यवसाय क्षेत्र में वित्त पोषण सुविधा आपको उपलब्ध होगी। आज से आवेदन भी ऑनलाइन शुरू हो गया है। आवेदक किसी संस्था का डिफॉल्टर नहीं होना चाहिए। समझिए पूरी प्रक्रिया…।
प्रवासी उत्तराखंडियों के घर लौटने के बाद उनके रोजगार को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की है। आज इसकी वेबसाइट msy.uk.gov.in लॉन्च की गई और ऑनलाइन आवेदन भी शुरू हो गया। अगर आपको भी इस योजना का लाभ लेना तो हम आपको आसान तरीके से बताने जा रहे हैं कि क्या-क्या करना है।
1- मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में ऑनलाइन आवेदन करने के लिए आपको सबसे पहले अपनी लॉग-इन आईडी बनानी होगी। इसके बाद आप अपना नाम, पता, शैक्षिक योग्यता, मोबाइल नंबर, पैन नंबर आदि जानकारी भरिए।
2- आगे आपको प्रस्तावित इकाई, उत्पाद/सेवा, निवेश, वित्तपोषित बैंक आदि का विवरण देना होगा।
3- आवेदन आपको किस भाषा में करना है, यह आपके ऊपर है। हिंदी या अंग्रेजी भाषा का विकल्प चुना जा सकता है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना को समझिए:
सरकार का कहना है कि प्रदेश के ऐसे उद्यमशील युवा, उत्तराखंड के ऐसे प्रवासी, जो कोविड-19 के कारण लौट आए हैं, कुशल एवं अकुशल दस्तकारों एवं हस्तशिल्पियों तथा शिक्षित शहरी व ग्रामीण बेरोजगारों आदि को अपना उद्योग/व्यवसाय खड़ा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। उनके उद्यम, सेवा अथवा व्यवसाय की स्थापना के लिए राष्ट्रीयकृत/अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के माध्यम से ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
आपको बता दें कि 28 मई को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का शुभारंभ किया था। आपको बता दें कि करीब दो लाख लोग उत्तराखंड लौटे हैं और इनमें से एक बड़ी आबादी प्रदेश में रहने वाली है। सरकार की यह योजना इन्हीं लोगों को ध्यान में रखकर लॉन्च की गई है।
एमएसएमई विभाग द्वारा योजना के अंतर्गत मार्जिन मनी की धनराशि अनुदान के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। विनिर्माण क्षेत्र में परियेाजना की अधिकतम लागत 25 लाख रुपये और सेवा व व्यवसाय क्षेत्र के लिए अधिकतम लागत 10 लाख रुपये होगी। एमएसएमई नीति के अनुसार वर्गीकृत श्रेणी ए में मार्जिन मनी की अधिकतम सीमा कुल परियोजना लागत का 25 प्रतिशत, श्रेणी बी में 20 प्रतिशत तथा सी व डी श्रेणी में कुल परियोजना लागत का 15 प्रतिशत तक मार्जिन मनी के रूप में देय होगा।
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उद्यम के 2 वर्ष तक सफल संचालन के बाद मार्जिन मनी अनुदान के रूप में समायोजित की जाएगी। सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों द्वारा परियोजना लागत का 10 प्रतिशत स्वयं के अंशदान के रूप में बैंक में जमा करना होगा।
विशेष श्रेणी (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, भूतपूर्व सैनिक, महिला एवं दिव्यांगजन) के लाभार्थियों को कुल परियोजना लागत का 5 प्रतिशत स्वयं के अंशदान के रूप में जमा करना होगा।
कुल परियोजना लागत में पूंजी व्यय (भूमि क्रय की लागत को छोड़कर) और कार्यशील पूंजी का एक चक्र शामिल होगा। परियोजना लागत में किराये पर वर्कशॉप/वर्कशेड लिए जाने को सम्मिलित किया जा सकता है, लेकिन भूमि क्रय की लागत को परियोजना लागत में सम्मिलित नहीं किया जाएगा।
1 comment
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Reena Juglan
June 2, 2020, 5:35 pmHi!!!! Very nice to know abt the plans you started to go back home for uttarakhandi people ??
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