बैजनाथ धाम में सदियों से मंदिर परिसर में एक गोल शिला रखी हुई थी, जिसे यहां भीम की गेंद या शिला के नाम से जाना जाता रहा है। पुरातात्विक दृष्टि से यहां आने वाले लोग इस पत्थर को उठाने का प्रयास करते थे।
उत्तराखंड के बागेश्वर से बड़ा अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां प्रसिद्ध बैजनाथ मंदिर समूह में धार्मिक आस्था का प्रतीक मानी जाने वाली भीम शिला को कुछ अराजक तत्वों ने खंडित कर दिया है। इस मंदिर समूह की श्रृंखला की तरह यह शिला भी पूरी दुनियाभर में मशहूर थी। यहां हर साल हजारों लोग इस शिला को देखने आते थे। बागेश्वर जिले में कत्यूरी शासकों ने 9वीं शताब्दी में बैजनाथ मंदिर का निर्माण कराया था।
इससे जुड़ी मान्यताओं के अनुसार यह एक ऐसा पत्थर था, जिसे नौ अलग-अलग लोगों की उंगुलियों से उठाया जा सकता था, लेकिन कभी कोई अकेला इंसान इस पत्थर को उठा नहीं पाया। मंदिर प्रांगण में शिला के खंडित हालत में मिलने से मंदिर समिति के साथ ही पुरातत्व विभाग की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। इस टूटी शिला को देख श्रद्धालुओं और कत्यूरी समाज के लोगों में काफी गुस्सा है। कत्यूरी समाज के लोगों ने जिलाधिकारी से इस मामले में शिकायत की है।
स्थानीय लोगों की मान्यता के अनुसार यह शिला पांडव भीम की गेंद है। दरअसल बैजनाथ धाम में सदियों से मंदिर परिसर में एक गोल शिला रखी हुई थी, जिसे यहां भीम की गेंद या शिला के नाम से जाना जाता रहा है। पुरातात्विक दृष्टि से यहां आने वाले लोग इस पत्थर को उठाने का प्रयास करते थे। यहां स्थानीय लोगों का कहना है कि भारतीय और विदेशी सैलानी मंदिर दर्शन के बाद इस पत्थर को उठाने की कोशिश जरूर करते थे।
इन दिनों कोरोनाकाल के चलते मंदिर परिसर में आवाजाही में कमी थी और इस मंदिर की सुरक्षा का जिम्मा पुरातात्विक विभाग के पास होने के चलते स्थानीय प्रशासन भी यहां से अनजान था, जिसके बाद यह पत्थर अब अपने स्थान पर टूटा हुआ मिला। प्राचीन समय से इस मंदिर से जुड़े कत्यूरी संगठनों का कहना है कि यह पत्थर बैजनाथ धाम की धरोहर थी।
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