उत्तराखंड सोसाइटी ऑफ बहरीन सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है, उन्होंने कई दूसरे देशों में रहने वाले उत्तराखंडियों को भी अपने साथ जोड़ा है। वह नियमित रूप से भारत से भी कई लोगों को अपने वेबीनार में जोड़ते रहते हैं।
कहते हैं घर की याद तब सबसे ज्यादा आती है, जब आप उससे दूर होते हैं। आप उस मिट्टी, उस परिवेश, उस संस्कृति को याद करते हैं, जो आपके अंदर रची बसी है। उत्तराखंडी रोजगार, बेहतर जीवन की तलाश में देवभूमि से निकलकर देश-दुनिया के हर कोने में जा बसे। एक नई पीढ़ी ऐसी आ चुकी है, जो यहां की संस्कृति से अंजान है, ऐसे में बड़ी चुनौती होती है, उस पीढ़ी का उत्तराखंड की विरासत और संस्कृति से मेल करवाना। वह भी तब जब आप अपने देश से दूर किसी दूसरे मुल्क में हों। लेकिन बहरीन में एक संस्था ये काम बड़ी ही खूबसूरती से कर रही है। इस संस्था का नाम है उत्तराखंड सोसाइटी ऑफ बहरीन।
भले ही ये लोग अपनी जन्मभूमि से दूर हों लेकिन संस्कृति को सहेजे रखने की उनकी कोशिशें कमाल की है। बहरीन में शुक्रवार और शनिवार छुट्टी का दिन होता है। इस दिन कम्युनिटी के लोग वेबीनार के जरिये जुड़ते हैं और उत्तराखंड के बारे में अपनी जानकारियों को साझा करते हैं। सबसे दिलचस्प यह है कि इसमें उम्र की कोई बाध्यता नहीं है, यानी बड़े, बच्चे सभी एक साथ होते हैं। उसके बाद शुरू होता है उत्तराखंड के बारे में बच्चों को बताने का सिलसिला। इसमें अलग-अलग सेशन होते हैं, मसलन – एक बार पूरे उत्तराखंड के बारे में बताया और समझाया जाता है। गढ़वाल-कुमाऊं के इतिहास, वहां की महान विभूतियों और पहनावे, खानपान, रीति-रिवाज और संबोधन से रूबरू कराया जाता है। इसके कुछ देर बार इन्हीं में से कुछ सवाल पूछे जाते हैं। यह शायद किसी भी सेशन का सबसे शानदार हिस्सा होता है, क्योंकि जवाब बताने की उत्सुकता जितनी बच्चों में होती है, उतनी ही बड़े और बुजुर्गों में भी दिखती है। खेल-खेल में कैसे संस्कृति से मेल कराते हैं, यह संभवतः तकनीक का सबसे बेहतर उपयोग है।
यही नहीं वेबीनार के जरिये बच्चों के हुनर को भी सामने लाया जाता है। इसके अलावा उन्हें योग, गीत-संगीत, चित्रकला के लिए भी प्रेरित किया जाता है। उत्तराखंड सोसाइटी ऑफ बहरीन की अध्यक्ष चारुलता जोशी हैं। सुरेंद्र पुंडीर वाइस प्रेसीडेंट, अनुपमा चमोली सचिव, हरीश ध्यानी कोषाध्यक्ष, गोपाल मेहरा सचिव, भास्कर पंत और नागेंद्र रावत सांस्कृति सचिव हैं।
इसी तरह के एक वेबीनार में हिल-मेल को भी जोड़ा गया। जब हमने आयोजकों से पूछा कि आजकल तो उत्तराखंड की सभी खबरें वेबसाइटों और सोशल मीडिया के माध्यम से उपलब्ध हैं, तो ऐसा क्या अलग है, जो आप हमसे जानना चाहते हैं, इस पर चारुलता जोशी ने बताया कि हम जमीन पर क्या हो रहा है, वो सुनना और जानना चाहते हैं। उत्तराखंड में क्या बदलाव आ रहा है, हम अपने राज्य के बारे में वो हर बात जानता चाहते हैं, जो शायद मीडिया में नहीं मिलती। लोग कोरोना काल में क्या कर रहे हैं, इतने सारे भाई-बहन लौटे हैं, उनका क्या होगा, क्या सरकार उनके लिए कुछ कर रही है। क्या कोई योजना बना रही है। इन सभी सवालों पर जब हिल-मेल ने उन्हें बताया तो सभी संतुष्ट भी थे और भावुक भी। हिल-मेल ने उन्हें अपने रैबार कार्यक्रम के बारे में भी बताया। हमने बताया कि हम कैसे प्रवासी और प्रभावशाली उत्तराखंडियों को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं।
उत्तराखंड सोसाइटी ऑफ बहरीन (यूएसबी) ने कोरोना संकट के समय वहां रह रहे 250 उत्तराखंडियों को राशन उपलब्ध कराया। यहीं नहीं वंदे भारत मिशन के तहत भारत लौटने वाले 300 से ज्यादा लोगों को भी मदद पहुंचाई। चारुलता जोशी ने बताया कि बहरीन में रहने वाले उत्तराखंडियों ने बड़ी संख्या में आगे आकर संकट में फंसे अपने भाइयों की मदद की। इस दौरान वेबीनार, व्हाट्सएप और काउंसलिंग के जरिये हॉस्पिटालिटी सेक्टर में काम करने वाले उत्तराखंडियों से संपर्क साधा गया। जॉब चले जाने से इन लोगों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया था। ऐसे में यूएसबी ने उन्हें इन हालात का सामना करने में आराम से अपने घर लौटने में मदद की।
चारूलता ने बताया कि साल में एक बार उत्तराखंड दिवस होता है, यह हमारे दिल के सबसे ज्यादा करीब होता है। इसमें हम अपने प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे होते हैं। इसलिए जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। बच्चों के लिए भी यह दिन खास होता है, क्योंकि हम उन्हें जो बताते-समझाते हैं, वह इस दिन उनके सामने किसी न किसी तरह से होता है। उत्तराखंड सोसाइटी ऑफ बहरीन सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है, उन्होंने कई दूसरे देशों में रहने वाले उत्तराखंडियों को भी अपने साथ जोड़ा है। वह नियमित रूप से भारत से भी कई लोगों को अपने वेबीनार में जोड़ते रहते हैं।
1 comment
1 Comment
KL Sah
August 19, 2020, 9:46 amWonderful initiative. Heartiest Congratulations to all out there and preserving and promoting Uttarakhandi Culture.
REPLY