कोरोना काल में लॉकडाउन में ठप पड़ा कामकाज धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा है। सरकार की कोशिश है कि जो प्रवासी गांव लौटे हैं उन्हें यहीं पर रोजगार उपलब्ध कराया जाए, जिससे उन्हें दूर दूसरे शहरों में न जाना पड़े। इस बीच सीएम ने ट्वीट कर अपने कार्यकाल में नौकरियों का आंकड़ा साझा किया है।
कोरोना काल में कई शहरों से बड़ी संख्या में लोगों को उत्तराखंड अपने गांव लौटना पड़ा। लोगों की नौकरियां चली गईं। अब प्रदेश में लौटने पर सरकार उनके लिए रोजगार और स्वरोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में बढ़ रही है। इस बीच, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी सरकार के दौरान नौकरियां दिए जाने का रिपोर्ट कार्ड प्रदेश की जनता के सामने रखा है।
दरअसल, रोजगार का मसला हर राज्य और केंद्र सरकार के लिए बड़ा मुद्दा है। ऐसे में सीएम रावत ने ट्वीट कर बताया कि अप्रैल 2017 से सितंबर 2020 तक कुल 7 लाख 12 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान किया गया। इनमें से नियमित रोजगार लगभग 16 हजार, आउटसोर्स/अनुबंधात्मक रोजगार लगभग 1 लाख 15 हजार और स्वयं उद्यमिता/प्राइवेट निवेश से प्रदान/निर्माणाधीन परियोजनाओं से रोजगार लगभग 5 लाख 80 हजार हैं।
उन्होंने आगे बताया कि मनरेगा में हर साल 6 लाख लोगों को रोजगार दिया जाता है। कोविड के दौरान इसमें अतिरिक्त रोजगार दिया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में 84 हजार अतिरिक्त परिवारों (2 लाख अतिरिक्त श्रमिकों) को रोजगार दिया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में 170 करोड़ रुपये अतिरिक्त व्यय किए गए हैं।
सीएम ने आगे का प्लान साझा करते हुए कहा कि आगामी तीन महीने में कैम्पा के अंतर्गत 40 हजार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की कार्ययोजना है। युवाओं और प्रदेश में लौटे प्रवासियों के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रारम्भ की गई है। एमएसएमई के तहत इसमें ऋण और अनुदान की व्यवस्था की गई है। इसमें लगभग 150 प्रकार के काम शामिल किए गए हैं।
मनरेगा में प्रति वर्ष 6 लाख लोगों को रोजगार दिया जाता है। कोविड के दौरान इसमें अतिरिक्त रोजगार दिया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में 84 हजार अतिरिक्त परिवारों (2 लाख अतिरिक्त श्रमिकों) को रोजगार दिया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में 170 करोड़ रूपए अतिरिक्त व्यय किए गए हैं।
— Trivendra Singh Rawat ( मोदी का परिवार) (@tsrawatbjp) September 18, 2020
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