उत्तराखंड में पिरूल से बिजली बनना शुरू, सीएम त्रिवेंद्र ने उत्तरकाशी में किया ड्रीम प्रोजेक्ट का लोकार्पण

उत्तराखंड में पिरूल से बिजली बनना शुरू, सीएम त्रिवेंद्र ने उत्तरकाशी में किया ड्रीम प्रोजेक्ट का लोकार्पण

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा, अभी राज्य को एक हजार करोड़ की बिजली क्रय करनी पड़ रही है। इस प्रकार की परियोजनाओं के चलने से राज्य को आर्थिक मदद मिलेगी। प्रदेश भर में 23 लाख मीट्रिक टन सालाना पिरूल का उत्पादन होता है, जिससे लगभग 200 मेगावाट बिजली बनाई जा सकती है।

ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों से जुड़ी परियोजनाएं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्टों का हिस्सा रही हैं। इसी कड़ी में सीएम त्रिवेंद्र ने उत्तरकाशी के डुंडा विकासखंड के ग्राम चकोन धनारी में 25 लाख रुपये की लागत की 25 किलोवाट क्षमता की पिरूल से विद्युत उत्पादन की पहली परियोजना का लोकार्पण किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरणीय चक्र को आग से बचाने के लिए यह परियोजना बेहद उपयोगी होगी। जंगलों में आग लगने के कारण जहां अनेक पेड, औषधीय पौधे, वनस्पतियां यां नष्ट हो जाती थी वहीं बड़ी संख्या में जंगली जानवर भी प्रभावित होते हैं। पिरूल से विद्युत उत्पादन परियोजना के बनने से वनों एवं जीव जन्तुओं को आग से सुरक्षा होगी। इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होगें।

उन्होंने कहा कि अभी राज्य को एक हजार करोड़ की बिजली क्रय करनी पड़ रही है। इस प्रकार की परियोजनाओं के चलने से राज्य को आर्थिक मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में 23 लाख मीट्रिक टन सालाना पिरूल उत्पादन होता है, जिससे लगभग 200 मेगावाट बिजली बनाई जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में कालावासा काफी मात्रा में पाया जाता है। इसमें औषधीय तत्व विद्यमान हैं। यह विकिरण किरणों से भी बचाता है तथा एंटीबायटिक हैं। मुख्यमंत्री ने किसानों से कालावासा की खेती करने का आहवान किया।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सीमांत क्षेत्रों में नेटवर्किंग की समस्या को देखते हुए 250 सैटेलाइट फोन दिए गए हैं ताकि सीमांत क्षेत्रों के लोगों को नेटवर्क को लेकर कोई समस्या न हो। इसी तरह प्रदेश भर में जहां कनेक्टिविटी नहीं है, वहां टॉवर लगाने के लिए सरकार द्वारा 40 लाख रुपये मंजूर किए हैं। सीमांत क्षेत्रों के लोगों की समस्याओं के निस्तारण के लिए बीएडीपी की तर्ज पर मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास निधि में इस वर्ष 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है, ताकि उनकी समस्याओं को हल किया जा सके। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि सामरिक दृष्टि से सीमान्त क्षेत्रों में स्थानीय समुदाय का होना अति आवश्यक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर घर नल द्वारा जल देना है। इस वर्ष में 10 लाख लोगों को पानी का कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है। इस हेतु हर जिले की दैनिक रूप से मॉनिटरिंग की जा रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 14 लाख कनेक्शन दिए जाने है। वर्तमान में तीन माह के भीतर 51 हजार कनेक्शन दिए जाने का लक्ष्य रखा गया था जिसमें आज तक 67 हजार कनेक्शन दिए जा चुके हैं।
अटल आयुष्मान योजना के अंतर्गत अब तक 2 लाख लोगों ने इसका लाभ लिया है। तथा देश भर में 22 हजार अस्पतालों में गोल्डन कॉर्ड से 5 लाख रुपये तक का इलाज निःशुल्क करवा सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत 23 लाख लोगों को जोड़ा गया है।

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त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में तीन मेडिकल कॉलेज उद्यमसिंह नगर, हरिद्वार और पिथौरागढ़ की स्वीकृति मिल चुकी है। जिसका शीघ्र ही निर्माण कार्य करवाया जाएगा। मेडिकल कॉलेज के क्षेत्र में उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां छोटी सी आबादी में 6 मेडिकल कॉलेज होगें। किसानों को पहले 2 लाख तक बिना ब्याज के ऋण दिया जाता है अब यह बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिए हैं। मुख्यमंत्री ने धनपति और इंदिरावती नदी में बाढ़ सुरक्षा कार्य धन स्वीकृत व सौरा-सारी-पिलंग-बुढ़ाकेदार-पवाली केदारनाथ 45 किलोमीटर सड़क स्वीकृत करने की घोषणा की।

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