आरजे काव्य के सोशल मीडिया पर तीन लाख से ज़्यादा फॉलोअर हैं और भारत के साथ ही 21 देशों से Uttarakhand लोग उनसे जुड़े हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय निर्वाचन आयोग ने काव्य को अपना ब्रैंड एंबेसडर बनाया था।
देहरादून में Red FM से सुबह गूंजने वाली वो आवाज जिसका इंतजार हर उत्तराखंडी करता है, अब नहीं सुनाई देगी। मशहूर रेडियो जॉकी काव्य ने Red FM से इस्तीफा दे दिया है। उत्तराखंड में Red FM की शुरुआत से ही वह इसका चेहरा थे। तीन साल में ही उन्होंने रेडएफएम को हर उत्तराखंडी तक पहुंचाने में मुख्य भूमिका निभाई। देहरादून से प्रसारण का दायरा सीमित होने के बावजूद काव्य के कार्यक्रम को पूरे उत्तराखंड में लोगों ने पसंद किया। उनके कार्यक्रम को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखने वालों की संख्या लाखों में है।
हिल-मेल ने जब RJKaavya से इस संबंध में बात की तो उन्होंने संस्थान छोड़ने की बात स्वीकार की। हालांकि आगे उनकी क्या योजना है, इस पर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। हालांकि HillMail को पता चला है कि काव्य 9 नवम्बर को उत्तराखंड दिवस के दिन एक बड़ी घोषणा करने जा रहे हैं।
काव्य ने रेडियो के सफर की शुरुआत 2008 में जोधपुर दैनिक भास्कर ग्रुप के MyFM के साथ की। इसके बाद उन्होंने 2010 में Red Fm ज्वाइन किया। पहले कानपुर, फिर जयपुर, कोलकाता, दिल्ली के बाद 3 साल पहले काव्य को देहरादून में Red FM को जमाने की जिम्मेदारी दी गई।
काव्य को Red FM में कई अच्छे इनिशिएटिव लेने का श्रेय दिया जाता है। उत्तराखंड को गौरवान्वित करने वाले लोगों के साथ उन्होंने लोकप्रिय सीरीज ‘एक पहाड़ी ऐसा भी’ शुरू की। उनके इस कार्यक्रम ने देशभर में रहने वाले उत्तराखंडियों का ध्यान खींचा। ‘Ghost Village’नहीं ‘Dost Village’ से रिवर्स माइग्रेशन को बढ़ावा दिया।
‘उत्तर का पुत्तर’ बना लोक संस्कृति को बढ़ाने वाली नई धारा
काव्य ने अपने Youtube चैनल ‘उत्तर का पुत्तर’ के जरिये पहाड़ की लोक संस्कृति, संगीत से जुड़े लोगों को एक नया मंच प्रदान किया। उत्तराखंड लोक संगीत के स्थापित चेहरों के साथ ही नए कलाकारों, गायकों और संगीतकारों को लोगों के सामने लाए।
आज काव्य के सोशल मीडिया पर तीन लाख से ज़्यादा फॉलोअर हैं और भारत के साथ ही 21 देशों से Uttarakhand के लोग उनसे जुड़े हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय निर्वाचन आयोग ने काव्य को अपना ब्रैंड एंबेसडर बनाया था।
ये रही Red FM छोड़ने की वजह
Red FM छोड़ने के पीछे की वजह के बारे में चैनल के सूत्र बताते हैं कि शुरुआत में जब Red Fm देहरादून में काव्य को अपने हिसाब से काम करने की आजादी दी गई, जिसका परिणाम ये हुआ कि पूरे प्रदेश में लोग RedFM को सोशल मीडिया के जरिये भी सुनने लगे। इसके बाद काव्य ने पहाड़ के विषयों को जोरशोर से उठाने लगे। यहीं से दिक्कतें शुरू हुई। उत्तराखंड के गायकों, कलाकारों, रचनाकारों को बढ़ावा देने के लिए अपनी तरफ से योगदान देने पर भी कंपनी प्रबंधन की ओर से ऐतराज जताया गया।
बताया जाता है कि धीरे-धीरे काव्य के सोशल मीडिया हैंडल्स पर कंपनी ने नजर रखनी शुरू कर दी। पहाड़ को लेकर किए जाने वाले काम को कंट्रोल करने की कोशिश होने लगी। काव्य जब भी पहाड़ से संबंधित कोई वीडियो या गीत सोशल मीडिया पर शेयर करते तो उस पर मैनेजमेंट द्वारा नोटिस तक दिया जाने लगा। काव्य ने जब इन बातों को मैनेजमेंट तक उठाया तो उन्हें कोई वाजिफ जवाब नहीं मिला।
आखिरकार काव्य ने 10 साल के शानदार सफर के बाद 6 अक्टूबर को मैनेजमेंट को अपना इस्तीफा सौंप दिया। 8 अक्टूबर को उनका इस्तीफा तुरंत प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया। कोरोना काल में काव्य ने उत्तराखंड से जुड़े मुद्दों पर HillMail के बहुचर्चित कार्यक्रम ‘ई-रैबार’ में भी हिस्सा लिया।
2 comments
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Lalit Mohan Joshi
October 9, 2020, 11:33 amYe bahut Galt hai RJ kavya ji k bena Red fm nahi chal sakta kavya ji ko dubara join karna hi hoga Kavya ji ka istifa swikar nahin honi chahie
REPLYHIMANSHU MEHTA
October 9, 2020, 2:18 pmI am proud to be a pahadi…ab achaa feel h ki Uttarakhand k liye rj kaavya ka ek new initiative hoga..apne state ko, culture aage badane ka intiative hoga…keep rocking as usual
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