हिल-मेल के वेबीनार ‘समृद्धि, विकास एवं महिलाएं’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि उत्तराखंड पहला राज्य बने जो ये कहे कि हम महिलाओं को पुलिस भर्ती में 33 प्रतिशत आरक्षण दे रहे हैं। इसके साथ ही उद्यम का कोई विकल्प नहीं है, पहाड़ की महिलाएं इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार भास्कर खुल्बे का कहना है कि उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है, जैसे वनस्थली विद्यापीठ सिर्फ लड़कियों के लिए है। हम अपने प्रदेश में एक ऐसी ही एक्सक्लूसिव फैसिलिटी डेवलप कर सकते हैं, जो महिलाओं को प्रदेश और देश में स्थापित करने में मदद करे। उन्होंने यह बातें हिल-मेल के वेबीनार ‘समृद्धि, विकास एवं महिलाएं’ में कहीं।
भास्कर खुल्बे ने कहा, ‘हिल मेल’ के शिखर पर उत्तराखंडी विशेषांक में 50 लोगों के बारे में जानकारी दी गई है, जिसमें कई प्रतिभाशाली महिलाएं भी हैं। ऐसे में महिला समृद्धि पर वेबीनार एक सुनहरा मौका है। बचपन से ही मैंने अपने सीम गांव में देखा है, जहां से मैं हूं और जहां बड़ा हुआ, दर्जा 4 तक पढ़ाई की, वहां हमेशा देखा कि चेंज एजेंट महिलाएं ही थीं। उत्तराखंड को वास्तव में मनीऑर्डर बेस्ड इकॉनमी कहा जाता था, क्योंकि पुरुष काम के लिए बाहर चले जाते थे और महिलाएं ही घर का मोर्चा संभालती थीं। मुझे लगता है कि महिलाओं को कुछ इस तरह से प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे पहाड़ में ऐसा क्रांतिकारी परिवर्तन ला दें कि हमें लगे कि हां, जैसे तीलू रोतैली ने मोर्चा संभाला था, वैसे ही अब उनके हाथों में है।
उन्होंने कहा, मैं 4-5 बातों को प्रकाश में लाना चाहूंगा। पहाड़ में महिलाओं को चेंज एजेंट बनाने के क्या कारण हैं? पहली बात, जो मैंने सीखा है कि उद्यम का कोई विकल्प नहीं है। जब मैं बचपन में भाषा ठीक तरह से जानता भी नहीं था और धीरे-धीरे स्कूल जाता था तो मां कुमाऊंनी में कहती थीं कि बेटा तेज चलो। मां की उस शिक्षा को देखते हुए मैं चाहता हूं कि महिलाएं आज भी सबको तेज ले जाएं। दूसरा, अगर आप देखें हमारे पास उत्तराखंड के जो भी धरोहर स्वरूप हैं, उनमें कहीं न कहीं महिलाओं की छाप जरूर है। आप कोई भी उद्यम देख लें, खेती का कोई माध्यम देख लें। अगर आप चकराता और हर्षिल का राजमा खाएं तो आपको पता चलेगा कि उसमें क्या जादू है।
स्थानीय उत्पादों के लिए पीएमओ की अभिनव पहल
भास्कर खुल्बे ने बताया कि अभी हम लोग प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से एक बड़ा कदम उठा चुके हैं, जियोग्राफिकल इंडिकेशन -यानी ऐसे उत्पादों को नई पहचान देना, जो एक निश्चित जगह पर ही उगते हैं। उन्हें हम बढ़ाने के लिए कोशिश कर रहे हैं। जितने भी जिलों में 2019 बैच के आईएएस ट्रेनिंग ले रहे हैं, हमने उनसे अनुरोध किया है कि जो उत्पाद आपको खास दिखे और जनरल सब्जेक्ट्स के लिए उपयोगी हो, उसे प्रमोट किया जाए। उस सिलसिले में चकराता या हर्षिल के राजमा को अगर हम जियोग्राफिकल इंडिकेशन की तरह से रजिस्टर करा दें तो उससे फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर कॉमर्स मिनिस्ट्री का एक पोर्टल जेम- गवर्नमेंट ई मार्केट प्लेस भी विकसित किया गया है, उनको हम यह दर्जा दे रहे हैं कि जितने भी भौगोलिक उत्पाद हैं, उन्हें हम जेम पोर्टल के माध्यम से बिक्री, प्रमोशन और नेटवर्किंग कर सकें। देश में इस समय 370 ऐसे उत्पाद हैं। अगर हम ऐसा करते हैं तो काफी बढ़ावा मिलेगा। बाल मिठाई, ऐपण जीआई है। मैंने सुना है रंग वाले पिछौड़ा को जीआई बनाने की बात चल रही है। ऐसे ही हम धीरे-धीरे उत्तराखंड की पहचान वाले नए उत्पादों को भौगोलिक उत्पाद का दर्जा दे दें तो एक तो हम जमीन से जुड़े रहेंगे और सब लोगों को पता भी चलेगा कि हमारी जगह और खासियत क्या है। इसके साथ ही हमें उसके जरिए ट्रेड करने की सुविधा मिलेगी।
पुलिस बलों में महिलाओं का ज्यादा प्रतिनिधित्व
पीएम के सलाहकार ने कहा कि इस बात से सभी सहमत होंगे कि केंद्र शासित राज्यों यानी यूटी में हमने महिलाओं के लिए पुलिस में 33 प्रतिशत पद आरक्षण करने की बात कही है। मैं चाहता हूं, उत्तराखंड पहला राज्य बने जो यह कहे कि हम महिलाओं के लिए पुलिस भर्ती में 33 प्रतिशत आरक्षण दे रहे हैं। अगर हम यह कर देंगे तो हमारी पढ़ने वाली सक्षम बेटियां इस क्षेत्र में बढ़ सकती हैं।
नर्सिंग में बढ़ाना चाहिए दखल
उन्होंने कहा कि हम सबने देखा है कि अगर हम अस्पताल जाते हैं तो पैरामेडिक सर्विस में केरल की कोई सिस्टर दिखाई देती हैं या नॉर्थ ईस्ट के किसी राज्य की महिला। मुझे लगता है कि जिस हॉस्पिटैलिटी के हम आदी हैं, जिस आतिथ्य के हम आदी हैं, जितना सत्कार हम कर सकते हैं, उसके हिसाब से हम पैरामेडिक्स में महिला नर्स के माध्यम से अपना दखल बढ़ा सकते हैं।
उन्होंने कहा, चौथी बात यह कि हमारे यहां जो औषधीय उत्पाद हैं, वे हमारी खासियत हैं। तुलसी, सीट्रस और दूसरे तेल भी हमारे यहां प्रचुर मात्रा में होता है क्योंकि हमारी प्रकृति और प्रवृत्ति ऐसी है कि हम उगा सकते हैं। इसे हम बहुत अच्छी तरह से आगे बढ़ा सकते हैं। 73 बैच की तमिलनाडु काडर की आईएएस अधिकारी थीं चंद्रकला दरियाली, जो अब रिटायर हो गई हैं। वह तमिलनाडु में जब सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग थीं तो उन्होंने एक बड़ा कदम उठाया। तमिलनाडु में उस समय सोशल सिस्टम अच्छा होने के बाद भी लोगों को लड़कियों की शादी करने की बहुत जल्दी रहती थी। ऐसे में उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ऐसा कार्यक्रम बनाया कि लड़कियां घर का कामकाज करने के अलावा घर के लिए साधन भी जुटाने लगीं। इसका परिणाम यह हुआ कि जो लोग बेटी की शादी जल्दी कर रहे थे, वे चाहने लगे कि बेटी कुछ समय और घर की मदद करे और घरबार संभालने लायक हो जाए तब इसकी शादी करें। वही चीज हम भी अगर स्वयं सहायता समूह के माध्यम से ला सकें तो यहां किया जा सकता है।
भास्कर खुल्बे ने कहा, मेरा अनुरोध उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन लाने वाले सभी लोगों से रहेगा, जैसे वनस्थली विद्यापीठ सिर्फ लड़कियों के लिए है। तो क्या हम प्रदेश में एक एक्सक्लूसिव फैसिलिटी डेवलप कर सकते हैं, जो महिलाओं को प्रदेश और देश में स्थापित करने में मदद करे। प्रोफेसर वाल्दिया हमारे गुरुजी हुआ करते थे। हाल में उनका देहांत हो गया। जब मैं कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल में पढ़ता था तो वह कहते थे कि मुझे संस्कृत की यह बात अच्छी नहीं लगती है- महानुभावो येन गतः स पंथः। वह हमें सिखाते थे कि तुम खुद अपने लिए रास्ता बना सकते हो। मैं थोड़ा सा परिवर्तन करना चाहूंगा कि उद्यमिता: येन गत: स पथ:। उद्यमिता में हमारे उत्तराखंड की कोई महिला होगी जो अपनी नारी शक्ति से दिखा देगी कि वह किसी से आज पीछे नहीं है।
हिल-मेल के इस वेबीनार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार भास्कर खुल्बे के अलावा, सीडीएस जनरल बिपिन रावत, हंस फाउंडेशन की संस्थापक माताश्री मंगला के साथ-साथ एनडीएमए के सदस्य राजेंद्र सिंह, प्रख्यात जागर गायिका बसंती देवी बिष्ट, गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. मनमोहन सिंह चौहान, प्रख्यात संगीतकार एवं संस्कृति मर्मज्ञ डा. माधुरी बड़थ्वाल, एयरमार्शल रिटा. एमएस बुटोला, उत्तराखंड सरकार में राज्यमंत्री दीप्ति रावत और टिहरी की एसएसपी तृप्ति भट्ट और वरिष्ठ पत्रकार मनजीत नेगी शामिल हुए। इस कार्यक्रम का संचालन मशहूर रेडियो जॉकी और ओहो रेडियो उत्तराखंड के संस्थापक काव्य ने किया।
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