ईराणी के ग्राम प्रधान मोहन नेगी ने बताया कि जियो कंपनी ने नेटवर्क कनेक्टिविटी की इच्छा तो जताई लेकिन गांव के सड़क से 6 किलोमीटर की पैदल दूरी पर होने के कारण टॉवर लगाने में असमर्थता जताई। कंपनी का कहना था कि यहां टॉवर लगाना असंभव है, क्योंकि यहां सामग्री पहुंचना बहुत मुश्किल है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी सामूहिकता के इस प्रयास की प्रशंसा की है।
कहते हैं अगर इरादा बना लिया जाए तो कोई काम मुश्किल नहीं होता और इस काम से आप कितनी बड़ी लकीर खींचते हो, यह इससे साबित होता है कि किए गए काम की चर्चा कहां तक होती है। ऐसी ही चर्चा चमोली जिले की निजमुला घाटी के दुर्गम ईराणी गांव में हुए एक सामूहिक प्रयास की हो रही है। यह कोशिश थी 70 साल से संचार क्रांति से अछूते दुर्गम इलाके को संचार की मुख्यधारा से जोड़ना। आसपास के गांव वालों ने तमाम मुश्किलों के बावजूद इसे मुमकिन कर दिखाया, वह भी बिना किसी सरकारी मदद के…। अब गांव में 4जी नेटवर्क पर मोबाइल की घंटियां घनघना रही हैं, लोगों में जोश और उमंग का माहौल है।
चमोली जिले का एक दूरस्थ गांव है ईराणी। इस गांव में मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी बिल्कुल जीरो थी। 160 परिवार और करीब 1500 लोगों की आबादी यहां रहती है, लेकिन फोन पर बात करनी हो तो 4 किमी ऊपर पहाड़ की ऊंचाई पर जाना पड़ता था। पहाड़ पर ऊपर गए बगैर बीएसएनएल का सिग्नल नहीं मिल पाता है। कोरोना के समय यह चुनौती और भी बढ़ गई, बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए चुनौती खड़ी हो गई। इसके बाद हिल-मेल ने पहाड़ी पर जाकर पढ़ाई करने वाले बच्चों की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया, साथ ही पहाड़ों में कनेक्टिविटी की चुनौतियों पर डिबेट भी कराई।
ईराणी के ग्राम प्रधान मोहन नेगी ने बताया कि इसके बाद हमने जियो के अधिकारियों से संपर्क साधा। वह कहते हैं कि जियो कंपनी ने नेटवर्क कनेक्टिविटी की इच्छा तो जताई लेकिन गांव के सड़क से 6 किलोमीटर की पैदल दूरी पर होने के कारण टॉवर लगाने में असमर्थता जताई। कंपनी का कहना था कि यहां टॉवर लगाना असंभव है, क्योंकि यहां सामग्री पहुंचना बहुत मुश्किल है। हालांकि एक बड़ी आबादी नेटवर्क कनेक्टिविटी से अछूती थी।
मोहन नेगी कहते हैं कि हम सभी गांव वालों ने तय किया कि अगर गांव तक टॉवर के लिए जरूरी सामग्री पहुंचाना कंपनी के लिए मुश्किल है तो ये काम हम खुद करेंगे। हम निशुल्क सारी सामग्री गांव तक पहुंचाएंगे। इसके बाद ईराणी, पाना, पगना, दुर्मि, झिंझि, बोना भनाली के लोगों ने श्रमदान कर टॉवर की पूरी सामग्री ईराणी गांव के संकटाधार तोक तक पहुंचाई। यहीं पर जियो का टॉवर लग रहा है। लोगों ने 650 कुंतल सीमेंट, गिट्टी, बजरी, 25 कुंतल सरिया, 90 कुंतल टॉवर के एंगल, 10 कुंतल का जेनरेटर, 4 कुंतल की मशीनें और 20 कुंतल अन्य सामग्री निशुल्क पहुंचाई।
ग्राम प्रधान के नेतृत्व में श्रमदान के जरिये टॉवर खड़ा करने की मुहिम की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निजमुला घाटी के दुर्मिताल दौरे में इस कोशिश को सराहा और लोगों के सामूहिक श्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा की। अगले कुछ दिन तक टॉवर ट्रॉयल मोड में रहेगा इसके बाद इसे नियमित तौर पर शुरू कर दिया जाएगा।
हिल-मेल ने प्रकाशित प्रमुखता से प्रकाशित की थी खबर
कोरोना काल में ऑनलाइन कैसे पढ़ें गांव के बच्चे? 4 किमी चढ़ाई करें, तब फोन में आता है नेटवर्क
ईराणी के प्रधान मोहन नेगी ने हिल-मेल का जताया आभार
मोहन नेगी ग्राम प्रधान के लिए निर्विरोध चुने गए थे, उन्होंने लोगों को नेटवर्क कनेक्टिविटी से जोड़ने के वादा किया था। हिल-मेल से बातचीत में उन्होंने कहा कि मैंने अपना वादा पूरा कर दिया है। मेरे लिए यह बहुत खुशी का दिन है।
गांव में जश्न का माहौल
अब 4जी नेटवर्क सेवा स्थापित हो जाने के बाद से गांव वाले काफी खुश हैं, पूरे इलाके में जश्न का माहौल है। उनका कहना है कि यह सामूहिकता की जीत है। मोहन नेगी ने कहा कि हम लोगों ने इस बारे में किसी भी सरकारी तंत्र से एवं विधायक, सांसद से कोई मदद नहीं ली। इस टॉवर के लगने से ईराणी, पाना, झिंझि, बोना, भनाली, पगना, दुर्मि, निजमुला, ब्यारा, तड़ाग ताल गावों को 4जी सेवा का लाभ मिलेगा। खासतौर पर बच्चों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई का रास्ता खुल गया है।
हिल-मेल की इंटरनेट कनेक्टीविटी पर कराई गई डिबेट
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