चमोली हादसे की पहली खबर मिलते साथ ही भारतीय सेना राहत और बचाव कार्यो में तुंरत शामिल हो गई। घटनास्थल के नजकीक मौजूद टुकडियों ने तुंरत राहत और बचाव अभियान का मोर्चा संभाला। सेना ने अपने पांच कॉलम को जोशीमठ के निकट रिंगी गांव में तैनात किया।
उत्तराखंड के चमोली में रविवार को ग्लेशियर टूटने की पहली खबर मिलते साथ ही सेना,वायुसेना और नौसेना तथा अर्धसैनिक बलों ने अपने हाल के दिनों के सबसे बड़े राहत और बचाव अभियान की तैयारी तेजी से शुरू की। हादसे का पहला समाचार सामने आते ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केंद्र सरकार की तमाम एंजेसियों के साथ तुरंत संपर्क साधा। बिना देरी के उठाए गए इस प्रयासों का ही परिणाम रहा कि देश की सरहदों के प्रहरी उत्तराखंड में इस त्रासदी में राहत और बचाव कार्य के लिए तुंरत जुट गए। SDRF ने सुबह की पहली किरण के साथ ही टनल में मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया है।
— Chamoli Police Uttarakhand (@chamolipolice) February 8, 2021
मौके पर तैनात SDRF और ITBP ने सबसे पहले राहत और बचाव कार्य की कमान संभाली।रविवार को दिन भर मौके पर बचाव और राहत कार्य को अंजाम देने के बाद सेना,वायुसेना और नौसेना ने अपनी गतिविधियां तेज की हैं। नौसेना के मरीन कमांडो MARCOS और राहत सामग्री को लेकर दो AN-31 विमान रविवार रात देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। मार्कोस इंडियन नेवी के स्पेशल मरीन कमांडोज हैं। स्पेशल ऑपरेशन के लिए इंडियन नेवी के इन कमांडोज को बुलाया जाता है। मार्कोस (मरीन) कमांडो सबसे ट्रेंड और मार्डन माने जाते हैं। मार्कोस को दुनिया के बेहतरीन यूएस नेवी सील्स की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है।विभिन्न आपरेशन में अपना लोहा मनवा चुके मार्कोस को चमोली आपदा में राहत और बचाव कार्यों में विशेष परिस्थितियों को देखते हुए चुना गया है।
Two An-32 aircraft have transported relief material & IN Marine Commando team to Dehradun. An IAF officer, as Task Force Commander, at Jolly Grant airport is coordinating relief operations. HADR aerial ops will continue tomorrow. pic.twitter.com/Ot1ivQsI5x
— Indian Air Force (@IAF_MCC) February 7, 2021
एयरफोर्स ने घटना की जानकारी मिलने के 3 मिनट के अंदर अपने विमानों को तैयार किया
भारतीय वायुसेना के पश्चिमी वायु कमान के प्रवक्ता विंग कमॉडर इंद्रनील नंदी ने बताया कि रविवार को दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर भारतीय वायुसेना को इस घटना की जानकारी मिली .. और 12 बजकर 30 मिनट पर वायुसेना ने अपने विमानो को स्टैंडबाय पर रखा। जिसमें एक C-17 , दो C-130 और दो AN-32 एक एयर बेस पर और दो अतिरिक्त AN-32 को दूसरे एयरबेस पर थे साथ ही हैलिकॉप्टर को भी स्टैंड बॉय पर रखा गया था जिसमें 3 MI-17 , 4 ALH और एक चिनूक हैलिकॉप्टर को भी स्टैंडबाय पर रखा गया था।
#Chamoli #UttrakhandDisaster
Our Armed Forces are on the job.They will not sleep tonight unless all are brought to safety!
Prayers for the missing! @adgpi @IAF_MCC @SpokespersonMoD @indiannavy @NDRFHQ pic.twitter.com/6wwtSWpkRs— PRO LEH (@prodefleh) February 7, 2021
भारतीय सेना ने राहत और बचाव कार्य के लिए मोर्चा संभाला
चमोली हादसे की पहली खबर मिलते साथ ही भारतीय सेना राहत और बचाव कार्यो में तुंरत शामिल हो गई। घटनास्थल के नजकीक मौजूद टुकडियों ने तुंरत राहत और बचाव अभियान का मोर्चा संभाला। सेना ने अपने पांच कॉलम को जोशीमठ के निकट रिंगी गांव में तैनात किया। इसमें जोशीमठ में दो कॉलम और औली से दो कॉलम की तैनाती शामिल थी। दो कॉलम को स्टैंडबाई रखा गया। इसके साथ ही दो जेसीबी मशीन के साथ इंजीनियरिंग टॉस्क फोर्स, दो एंबुलेंस के साथ मेडिकल टीम, आर्मी एविऐशन कोर के दो चीता हैलीकॉप्टर भी राहत और बचाव कार्य में शामिल हुए। सेना ने जोशीमठ में एक कंट्रोल रूप स्थापित किया। इसके साथ ही एयरफोर्स के सी 130 प्लेन से 5 टन सामान सहित NDRF के 60 जवानों को जौलीग्रांट एयरपोर्ट पंहुचाया गया। जौलीग्रांट हवाईअड्डे पर NDRF टीम को जोशीमठ तक पहुंचाने के लिए तीन MI-17 हैलीकाप्टर की तैनाती की गई है।
भारतीय सेना के तीन अंग किसी भी राहत और बचाव कार्य के लिए सदैव सबसे पहले तैयार रहते हैं और इस बार तो बात देवभूमि उत्तराखंड की थी। चमोली हादसे की जानकारी मिलते साथ ही सेना,वायुसेना और नौसेना ने तेजी से राहत और बचाव कार्य के लिए आपरेशनल तैयारियों को अंजाम देना शुरू किया।
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Uttarakhand glacier broken : बरसों से जमे ग्लेशियर अचानक कैसे टूट गए, चमोली के रैणी क्षेत्र में आपदा की Inside Story - Hill-Mail | हि
February 8, 2021, 10:33 am[…] चमोली आपदाः सेना के तीनों अंग, अर्धसैन… […]
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