हिमालयन योगी महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद जी महाराज का गुरुवार को जूना अखाड़े की पेशवाई से पहले वैदिक रीति-रिवाज से पट्टाभिषेक किया गया। उत्तराखंड के लोगों के लिए स्वामी वीरेंद्रानंद जी महाराज एक जाना पहचाना नाम है। कोरोना का दौर हो या आपदा का संकट पिथौरागढ़ समेत कई जिलों में स्वामी जी के सत्कर्मा मिशन ने राहत पहुंचाई।
हरिद्वार में महाकुंभ से पहले माहौल दिव्य होता जा रहा है। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की धर्म ध्वजा आरोहण के साथ ही पेशवाई का आगाज अभूतपूर्व रहा। गुरुवार को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच नूतन महामंडलेश्वर हिमालायन योगी स्वामी वीरेंद्रानंद गिरि जी महाराज का पट्टाभिषेक किया गया। जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा में नियुक्त कर महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद गिरि जी का पट्टाभिषेक किया।
पट्टाभिषेक कार्यक्रम आचार्य जूना अखाड़े के अंतराष्ट्रीय संरक्षक हरि गिरि जी महाराज, जूना अखाड़े के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गिरि जी महाराज एवं अनेका साधु-संतों की उपस्थिति में संपन्न हुआ। पट्टाभिषेक कार्यक्रम के बाद महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद गिरि जी महाराज ने मां माया देवी से आशीर्वाद प्राप्त किया। साथ ही दत्तात्रेय भगवान को साक्षी मानकर शपथ ग्रहण की। इसके बाद ढोल, दमाऊ की थाप के साथ स्वामी जी का अभिनंदन किया गया। छोलिया दल ने विभिन्न करतब दिखा कर कार्यक्रम को और अधिक आकर्षक बना दिया।
पेशवाई के कार्यक्रम में हिमालयन योगी महामंडलेश्वर वीरेंद्रानंद गिरि जी महाराज का रथ विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। पूरे हिमालय के संस्कृति के दर्शन उनके रथ पर हो रहे थे। असंख्य लोगों ने पेशवाई में हिमालयन योगी जी का आशीर्वाद प्राप्त किया। ये पहला अवसर था जब पूरा उत्तराखंड के लोक गीतों में झूमते हुए पेशवाई निकल रही थी। इस अवसर पर हेलीकॉप्टर के माध्यम से पुष्प वर्षा की गई।
जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने कलियुग की अधिष्ठात्री देवी ‘मां मायादेवी’ के सारस्वत परिसर में सनातन वैदिक धर्म संस्कृति एवं उसके शाश्वत जीवन मूल्यों की अभिरक्षा के लिए नूतन महामण्डलेश्वरों को श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा में नियुक्त कर उनका पट्टाभिषेक किया।
इनमें हिमालायन योगी महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद गिरि जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी जयाम्बा गिरि जी, महामंडलेश्वर स्वामी करणपुरी जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी विमल गिरि जी महाराज हैं।
इस अवसर पर श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के सभापति पूज्य स्वामी प्रेम गिरि जी महाराज, अखाड़ा परिषद के महासचिव एवं जूना अखाड़े के संरक्षक पूज्य स्वामी हरिगिरि जी महाराज सभी मढ़ियों के प्रमुख, कुंभ मेला आई.जी. श्री संजय गुंज्याल, कुंभ मेला एस.एस.पी. श्री जन्मेजय खंडूरी जी सहित शासन-प्रशासन के अनेक अधिकारी एवं समन्वय सेवा ट्रस्ट के सचिव आदरणीय श्री आई.डी. शास्त्री जी समेत अनेक पूज्य संतों व गणमान्य जनों की उपस्थिति रही।
स्वामी वीरेंद्रानंद जी ने कोरोना काल में आपदा से प्रभावित लोगों की मदद के लिए अभियान चलाया था। उन्होंने खुद घूम-घूमकर लोगों की मदद की। सुदूर इलाकों में भी उनके सत्कर्मा मिशन के स्वयंसेवकों ने मदद पहुंचाई। आपदा में भी वह लोगों का दुख दर्द बांटते दिखे। सत्कर्मा मिशन गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद करने के साथ ही जल संरक्षण और पर्यावरण बचाने के मिशन में भी जुटा है।
उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में एशियन सत्कर्मा मिशन के संस्थापक स्वामी वीरेंद्रानंद पर्यावरण को लेकर विशेष अभियान चला रहे हैं। उन्होंने कोरोना संकट, उत्तराखंड के विकास, प्रकृति के महत्व, पलायन, स्वरोजगार और पहाड़ में संभावनाओं के हर क्षेत्र में अपने मिशन के माध्यम से काम किया है। हरेला पर्व के अवसर पर उनके मिशन ने ढाई लाख से ज्यादा पौधे लगाए।
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