कोरोना संकट पर बनी सलाहकार समिति ने उत्तराखंड सरकार को सौंपी रिपोर्ट, युवा भी हो रहे शिकार, स्थिति गंभीर

कोरोना संकट पर बनी सलाहकार समिति ने उत्तराखंड सरकार को सौंपी रिपोर्ट, युवा भी हो रहे शिकार, स्थिति गंभीर

कोरोना की दूसरी लहर ने उत्तराखंड समेत पूरे देश में कोहराम मचा रखा है। महाराष्ट्र, दिल्ली, यूपी के बाद अब उत्तराखंड के हालात भी तेजी से बिगड़े हैं। इस बीच कोविड-19 की रोकथाम के लिए बनी सलाहकार समिति ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इसमें कई गंभीर बातों की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया गया है।

धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे कोरोना केस उत्तराखंड के लिए गंभीर चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। इस बीच कोविड-19 की रोकथाम को लेकर बनाई गई सलाहकार समिति ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। समिति के अध्यक्ष एवं एचएनबी मेडिकल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेमचंद्र और दून मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आशुतोष सयाना ने रिपोर्ट में बताया है कि प्रदेश में कोरोना ने विकराल रूप धारण कर लिया है।

लापरवाही से बिगड़ रहे हालात

उन्होंने कहा है कि प्रदेश में लोग अब भी कोरोना के लक्षण होने के बावजूद इसे हल्के में ले रहे हैं। इलाज में लापरवाही के चलते महामारी फैल रही है। ऐसे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अपना कोविड टेस्ट कराएं और इलाज पाएं जिससे कोरोना को फैलने से रोका जा सके।

3 दिन में दून अस्पताल में 37 कोरोना मरीजों की मौत हुई। इनमें 50 साल से कम आयु के 10, 51 से 60 साल के 12 और 60 साल से ज्यादा उम्र के 15 मरीज थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए सरकार को व्यापक प्रबंध करने होंगे।

बुजुर्ग ही नहीं, इस बार युवा भी चपेट में

दरअसल, इस बार कोरोना केवल बुजुर्गों को ही नहीं, युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। जबकि पिछले साल युवा इससे कम प्रभावित थे। इस बार बड़ी संख्या में युवाओं की भी जान जा रही है। यह सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं, पूरे देश का हाल है।

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विशेषज्ञों का कहना है कि टेस्ट बढ़ाने और संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने के लिए गंभीर प्रयास करने की जरूरत है। मरने वाले लोगों में 43 प्रतिशत महिलाएं और 57 प्रतिशत पुरुष थे। चिंता की बात यह है कि 70 प्रतिशत मामले ऐसे थे जिनमें मरीज में पांच दिन के भीतर जानलवे लक्षण दिखाई दिए।

कोविड जांच पर जोर

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 58 प्रतिशत मरीज भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर मर गए जबकि 27 प्रतिशत मरीजों ने भर्ती होने के 12 घंटे में दम तोड़ दिया। समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। इसमें कहा गया है कि कोविड से बचाव के लिए गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करना होगा। छोटे-छोटे अस्पतालों में कोविड जांच और इलाज की व्यवस्था की जाए।

प्रो. हेमचंद्र का कहना है कि दूसरी लहर में स्थिति खतरनाक है। बुखार और दूसरे लक्षण होने के बाद भी लोग जांच कराने को लेकर गंभीर नहीं है। लोगों को समय पर जांच और इलाज शुरू करना होगा तभी इस महामारी से निजात मिलेगी। एक महत्वपूर्ण बात, इलाज के दौरान मरीज की स्थिति बिगड़ता देख हायर सेंटर रेफर किया जाए, जिससे मौतों की संख्या घटाई जा सके।

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