दुश्मनों की अब खैर नहीं, जवानों के हाथों में आ चुका है ‘ब्रह्मास्त्र’

दुश्मनों की अब खैर नहीं, जवानों के हाथों में आ चुका है ‘ब्रह्मास्त्र’

पाकिस्तान अब भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी पीओके में आतंकी कैप चल रहे हैं। ऐसे में आतंकियों की घुसपैठ और घाटी को अशांत करने की उनकी हर साजिश को फेल करने के लिए सेना ने अपने जवानों को मारक हथियार मुहैया करा दिए हैं। यानी अब दुश्मन की खैर नहीं…

बॉर्डर पर पूर्वी लद्दाख में एक तरफ चीन की करतूत से निपटने तो वहीं जम्मू-कश्मीर को अशांत करने के पाकिस्तान के नापाक मंसूबे को नाकाम करने के लिए सेना की ताकत को लगातार मजबूत किया जा रहा है। जी हां, कोरोना काल में भले ही देश इस अदृश्य दुश्मन से लड़ाई लड़ रहा हो, पर दुश्मन इसका फायदा न उठा सके, इस दिशा में पूरी सतर्कता बरती जा रही है।

लड़ाई हौसलों से लड़ी जाती है पर हथियारों का होना भी जरूरी है। जम्मू-कश्मीर के हालात देश के दूसरे हिस्सों से अलग हैं। यहां आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में सेना को कई तरह की मुश्किलें आती हैं। अब इसके लिए अमेरिका में बनी सिग साउर असॉल्ट राइफलें जवानों को दी गई हैं।

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इससे सेना की ताकत बढ़ी है। इजरायल में बनी तवोर राइफलें भी जवानों के पास हैं। भारत की पूर्वी सीमा हो या पश्चिमी, चुनौतियां कम नहीं हैं। पाकिस्तान अक्सर संघर्षविराम का उल्लंघन करता रहता है। अब उसे और भी मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकेगा।

सिग साउर यानी दुश्मन का अंत
एक रिपोर्ट के मुताबिक उरी सेक्टर में सेना की स्पेशल फोर्स के जवान सिग साउर और तावोर असॉल्ट राइफल से लैस हैं और आतंकियों के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं।

सिग साउर पहले से मौजूद इंसास राइफल की तुलना में बहुत हल्की और छोटी है जिससे दुश्मन पर कहर बरपाया जा सकता है। इसकी एक्युरेसी ज्यादा और होल्ड बेहतर है। इस राइफल के ऊपर प्लेटफॉर्म बना है, जिस पर नाइट विजन डिवाइस या दूर तक देखने के उपकरण लगाए जा सकते हैं।

अभी INSAS राइफल से 5.56×45 एमएम कारतूस दागे जा सकते हैं। सिग 716 राइफल में कहीं ज्यादा ताकतवर 7.62×51एमएम कारतूस का इस्तेमाल होता है। अगर आतंकी घर में छिपे हों तो उनके सफाए के लिए ये बेहद कारगर है। इस राइफल से एक मिनट में 600 गोलियां मारी जा सकेंगी। मतलब एक सेकंड में दस गोलियां निकलेंगी।

आमतौर पर राइफल में जाम होने की दिक्कत आ जाती हैं लेकिन इस नए हथियार में ऐसा कभी नहीं होगा। ठंडी, गर्मी हो या बारिश, इसकी क्षमता कभी कम नहीं होगी।

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