उत्तराखंड का एक और सपूत मातृभूमि की सेवा करते शहीद हो गया है। अब से करीब पांच साल पहले उरी में हुए आतंकी हमले में वह घायल हो गए थे। तबीयत उनकी बीच में कुछ ठीक हुई लेकिन पूरी तरह से अच्छे नहीं हो सके। वह काफी समय तक अस्पताल में भर्ती रहे।
उरी आतंकी हमले को भला कौन भूल सकता है। 18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी में सैनिक छावनी पर कुछ आतंकियों ने हमला कर दिया था। उस समय बीते 20 वर्षों में सेना पर हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला बताया गया था। इसके बाद ही भारतीय सेना ने 10 दिन के भीतर एलओसी पार कर आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी।
यमकेश्वर के रहने वाले थे सुखबीर
उरी हमले में सेना के 19 जवान शहीद हो गए थे। बताया गया था कि आतंकियों ने 3 मिनट में 17 ग्रेनेड से सेना की छावनी पर धावा बोल दिया था। उसी हमले में घायल हुए सीआरपीएफ के जवान यमकेश्वर के मल्ला बणास के रहने वाले सुखबीर सिंह का निधन हो गया है।
वह लंबे समय तक आर्मी अस्पताल में रहे। सोमवार सुबह शहीद सुखबीर सिंह को उनके पैतृक गांव गौहरी घाट में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। उनके परिवार में पत्नी कृष्णा, दो बेटियां और एक बेटा है।
लंबे समय तक अस्पताल में चला इलाज
पौढ़ी गढ़वाल के यमकेश्वर ब्लाक के रहने वाले 48 साल के सुखबीर सिंह सीआरपीएफ में तैनात थे। उरी हमले में उनके पेट में गोली लगी थी। लंबे समय तक रामपुरा के सैनिक अस्पताल में इलाज हुआ और उनकी तबीयत कुछ ठीक हुई तो उन्होंने ड्यूटी जॉइन कर ली थी।
बताते हैं कि करीब 3 महीने पहले सुखबीर सिंह के पेट में दर्द होने लगा। उन्हें फिर से सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया। घरवाले एक हफ्ते पहले उन्हें गुड़गांव के निजी अस्पताल में ले गए। हालांकि उनकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ। रविवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।
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