‘श्रीरामलला’ पर लिखी गई 1108 पृष्ठों की पुस्तक , दुनिया की 11 भाषाओं में हुआ अनुवाद

‘श्रीरामलला’ पर लिखी गई 1108 पृष्ठों की पुस्तक , दुनिया की 11 भाषाओं में हुआ अनुवाद

प्रभु श्री राम की कथा सर्वविदित है। भगवान विष्णु के सातवें अवतार ने समाज को जीने की राह दिखाई और धर्म एवं सत्य के मार्ग पर चले। इस राह में कांटे भी थे पर उन्होंने एक आम इंसान की तरह अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर मर्यादा का सर्वोच्च मानदंड प्रस्तुत किया। यही कारण है कि भारत के साथ-साथ विश्व के कई देशों में श्रीराम पूजनीय हैं। ऐसे में रामकथा पर 23 जून को एक वेबिनार आयोजित किया गया।

हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥

हरि अनंत हैं अर्थात उनका कोई पार नहीं पा सकता और उनकी कथा भी अनंत है। सब संत लोग उसे बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। रामचंद्र के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते। फिर भी ऐसे समय में जब अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बनाने का काम शुरू हो चुका है,  एक अंतरराष्ट्रीय अभियान भी साथ-साथ चल रहा है। यह है प्रभु श्री राम के संदेश को दुनियाभर में प्रसारित करना है, क्योंकि राम सबके हैं। वैसे भी रामायण केवल भारत में ही नहीं इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम जैसे कई देशों में प्रमुख देवकथा के रूप में जानी और समझी जाती है।

भारत में जिस तरह से रामलीला होती है। उसी तरह एशिया के कई देशों में राम की कथाओं का मंचन किया जाता है। अयोध्या से दक्षिण कोरिया का भी विशेष लगाव है। ऐसे में भगवान राम पर रामायण रिसर्च काउंसिल के प्रयासों से एक विशेष पुस्तक लिखी गई है जो राम मंदिर बनने तक की बातें आने वाली पीढ़ियों को बताएगी।

जी हां, प्रभु श्रीराम पर लिखी गई पुस्तक ‘श्रीरामलला: मन से मंदिर तक’ इनदिनों चर्चा में हैं। खास बात यह है कि 1108 पृष्ठों वाली इस पुस्तक का 11 अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। इसका विमोचन 21 देशों में होना सुनिश्चित है। इस विषय पर 23 जून को वेबिनार आयोजित किया गया। रामायण रिसर्च काउंसिल के तत्वावधान में हुई इस चर्चा में आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार, केंद्र सरकार में राज्यमंत्री प्रताप चंद्र सारंगी, श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी कामेश्वर चौपल, हिमालयन योगी महामंडलेश्वर स्वामी वीरेंद्रानंद गिरि जी महाराज समेत कई साधु-संतों और विचारकों ने हिस्सा लिया।

संघ के नेताओं और संतों ने भगवान राम की महिमा को उल्लेखित करते हुए किताब के जरिये हुए इस वैश्विक प्रयास पर अपनी-अपनी बात रखी। संतों ने राम मंदिर बनने के पुनीत कार्य की शुरुआत होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राम का चरित्र युगों-युगों तक समाज के लोगों को धर्म और सत्य के रास्ते पर चलने की शिक्षा देता रहेगा। इस दौरान स्वामी वीरेंद्रनंद महाराज ने कहा कि ‘श्रीरामलला: मन से मंदिर तक’ एक ऐसा प्रयास है, जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम से जुड़ी हर बात को सामने रखता है। यह राम मंदिर के बनने की तक की यात्रा का एक संपूर्ण कोष है, जो आने वाले समय में शोधार्थियों के लिए भी रिसर्च में सहायक सिद्ध होगा।

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