कोरोना के खिलाफ लड़ाई को एक साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है। कोरोना अब भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। सरकार अपने स्तर पर तैयारियों में जुटी है। इस बीच केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की एक कविता काफी चर्चा में है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री और हरिद्वार से सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को अपने कर्तव्यों से इतर जो भी समय मिलता है वह लिखते-पढ़ते रहते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जब वह कोरोना से पीड़ित थे और एम्स में भर्ती थे तो उन्होंने अस्पताल के बिस्तर पर संक्रमण से जूझते हुए कविताएं लिखी थीं जो कोरोना काल में लोगों को प्रेरित कर रही है।
देवभूमि के सपूत कुछ ही समय बाद स्वस्थ होकर वापस अपने काम में जुट हुए। डॉ. “निशंक” ने “एक जंग लड़ते हुए” शीर्षक से जो कविताएं लिखी हैं, उस संग्रह से एक कविता “कोरोना” काफी चर्चा में है। ऐसे वक्त में जब कोरोना की दूसरी लहर ढलान पर है और तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है। लोगों को यह कविता कोरोना के खिलाफ पूरी मुस्तैदी से लड़ाई जारी रखने का संदेश देती है।
“कोरोना”
“हार कहाँ मानी है मैंने?
रार कहाँ ठानी है मैंने?
मैं तो अपने पथ-संघर्षों का
पालन करता आया हूँ।
क्यों आए तुम कोरोना मुझ तक?
तुमको बैरंग ही जाना है।
पूछ सको तो पूछो मुझको,
मैंने मन में ठाना है।
तुम्हीं न जाने,
आए कैसे मुझमें ऐसे?
पर,मैं तुम पर भी छाया हूँ,
मैं तिल-तिल जल
मिटा तिमिर को
आशाओं को बोऊँगा;
नहीं आज तक सोया हूँ
अब कहाँ मैं सोऊँगा?
देखो, इस घनघोर तिमिर में
मैं जीवन-दीप जलाया हूँ।
तुम्हीं न जाने आए कैसे,
पर देखो, मैं तुम पर भी छाया हूँ।”
(दिल्ली, एम्स कक्ष-704, प्रातः 7:00 बजे, 6 मई, 2021)
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