भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच सोशल मीडिया पर चल रही ‘जंग’ दिलचस्प होती जा रही है। रविवार को दोनों नेताओं को बीच सोशल मीडिया पर हमलों का दूसरा दौर शुरू हुआ। भाजपा का आरोप है कि चुनाव से पहले एक बार फिर कांग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण को धार दे रही है, वहीं हरीश रावत इस मामले में भाजपा नेताओं पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी एवं राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी के बीच सोशल मीडिया पर चल रहे दंगल का दूसरा दौर शुरू हो गया है। शनिवार को भले ही बलूनी ने इस घमासान को एक दिन के लिए टाल दिया था लेकिन रविवार को उन्होंने हरीश रावत पर जवाबी हमला बोला।
उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘आदरणीय रावत जी, अल्मोड़ा वाले हरदा ऐसे नहीं थे मगर जबसे आप हरदा से हरद्वारी लाल बने, आपने अपनी सोच और समझ आमूलचूल रूप से बदल दी है । अब आपने भी अपनी पार्टी की तरह ही तुष्टीकरण के हिंदू-मुस्लिम कार्ड को गले मे टांग लिया है। सर्वविदित है कांग्रेस की शुरुआत ही तुष्टिकरण से शुरू हुई है। देश का विभाजन हो, कश्मीर की समस्या हो, प्रभु राम के मंदिर के प्रकरण में बाधा डालना हो, उनके अस्तित्व को न्यायालय में नकारना हो, शाहबानो का केस हो या तीन तलाक का मसला। आपकी पार्टी तुष्टिकरण को वैतरणी मानकर चलती आई है। आप भी उसी राह पर चलेंगे यह स्वाभाविक है। केवल किसी धर्म विशेष का प्रतीक धारण करने से तुष्टीकरण का आरोप नहीं लग सकता है बल्कि उस एजेंडे पर एक के बाद एक फैसले लेकर आपने अपनी छवि स्थापित की है। आपने राज्य के मुख्यमंत्री रहते कई ऐसे फैसले लिये जो तुष्टिकरण की चादर ओढ़े थे। आपके इस प्रिय एजेंडे ने मीडिया को भी तुष्टिकरण का शिकार बनाया। आपने ईद पर केवल उर्दू अखबारों को विज्ञापन देकर न जाने क्या संदेश देना चाहा होगा। आपने इसी सोच के तहत अप्रत्याशित रूप से जिन 2 सीटों से चुनाव लड़ा उसे भी आपने तुष्टिकरण के भरोसे लड़ा। आप बड़े हैं, आदरणीय हैं, आपने अपनी पार्टी के लिए बहुत समय और योगदान दिया है। कांग्रेस की सोच के अनुरूप आपने चुनाव से कुछ माह पूर्व तुष्टिकरण का एजेंडा परोस दिया है। कांग्रेस शायद इसी के इर्द-गिर्द चुनाव भी लड़ेगी। आप तुष्टिकरण को अलादीन का चिराग मान कर इसी एजेंडे के तहत 2022 के चुनाव में जाना चाह रहे हैं।’
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वहीं हरीश रावत ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘बंधुवर अनिल जी, आपने अपनी दूसरी पोस्ट मे सूर्योदय का जिक्र किया है और अपनी पहली पोस्ट में आपने कहा मुझसे आपको अपेक्षा थी कि मैं इस धर्मयुद्ध में विकास को मुद्दा बनाकर बात करूं। अनिल बलूनी जी को मैं एक बहुत उदार और अग्रिम दृष्टि रखने वाला नेता मानता हूं। जब इस बार आप मुख्यमंत्री की दौड़ में चूके तो मेरे दिल से आह निकली, खैर ये बीती बातें हैं। थोड़े मेरे मन का दर्द मैंने आपको संबोधित अपने इस श्रृंखला के पहले ट्वीट में कहा कि दो दुष्प्रचार। एक दुष्प्रचार रोजा इफ्तार में पहनी हुई मेरी टोपी को लेकर और दूसरा दुष्प्रचार शुक्रवार जिसको जुम्मा कहते हैं, जुम्मे की नवाज़ के लिए छुट्टी की। मैंने आपको कुछ चित्र भेजे हैं जिसमें आपके सोशल मीडिया की टीम यदि मैं हरेले की शुभकामना भी देता हूं तो उसमें भी रोजा इफ्तार में पहनी हुई मेरी उस टोपी को लेकर अपनी पोस्ट डालते हैं और मेरी आलोचना करते हैं, आलोचना का स्वागत है। मगर एक आदर योग पहनावे को आखिर रोजा इफ्तार में आपकी पार्टी के आदरणीय नेतागणों ने भी उस टोपी को पहना है, तो वो भारतीय संस्कृति अनुरूप है, उनकी उदारता है उन्होंने आदर पूर्वक प्रस्तुत की गई टोपी को अपने सर पर धारण कर यह संदेश दिया है कि हम सब का विकास, सबका साथ की भावना लेकर के चलते हैं। मैंने आपके नेतागणों की फोटोज उनके प्रति आदर जताने के लिए और आपकी सोशल मीडिया टीम के दुष्प्रचारकों आईना दिखाने के लिए डाली। आपको कष्ट पहुंचा रहा है, मैंने निर्णय लिया है कि मैं उस पोस्ट को हटा दूँ और जो आपका आवाहन् है कि आओ चुनाव के धर्म युद्ध में विकास-विकास, रोजगार-रोजगार, तेरी महंगाई क्यों आदि सवालों पर खेल खेलें तो खेल होगा, लोकतांत्रिक तरीके से होगा और इन सवालों पर होगा कि कौन सक्षम है जो इन सवालों को लेकर के जन आकांक्षा को पूरा कर सकता है। मुझे पूरा भरोसा है कि आप अपनी सोशल मीडिया टीम को आदेशित करेंगे कि वो अपना दुष्प्रचार बंद करें और अपनी डर्टी ट्रिक्स को इस्तेमाल न करें, उत्तराखंड के स्वस्थ वातावरण को प्रदूषित करने का प्रयास न करें और हर किसी के बाने का, हर किसी के हर वस्त्र का, हर किसी की भावना कवर सम्मान करके आगे चलें। जिस सुबह की आपने प्रतीक्षा बात करने की बात कही है, मैं उस सुबह का शब्दों के साथ अभिनंदन कर रहा हूं। “म्योर प्यारों भुला अनिल बलूनी जू आओ विकास-विकास, रोजगार-रोजगार खिलुला।” “जय हिंद”।’
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