प्रधानमंत्री के सलाहकार भाष्कर खुल्बे ने आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से देहरादून में बातचीत की। उन्होंने केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण के काम के बारे में बातचीत की। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर जो भी स्टेशन बनेंगे उन्हें पर्वतीय शिल्प कला के अनुरूप बनाया जाना चाहिए।
केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों और बदरीनाथ के सौंदर्यीकरण से जुड़े मास्टर प्लान का जमीनी जायजा लेने के एक दिन बाद प्रधानमंत्री कार्यालय की टीम ने पीएम नरेंद्र मोदी के सलाहकार भास्कर खुल्बे के नेतृत्व में देहरादून में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। भास्कर खुल्बे ने सीएम धामी से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के अंतर्गत बनने वाले स्टेशनों को पर्वतीय शिल्प कला के अनुरूप बनाए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि इससे पर्वतीय क्षेत्र के शिल्पियों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समय उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से विश्वस्तरीय टिहरी झील जाने के लिए मसूरी-चंबा कोटी कालोनी मोटर मार्ग से कुल 105 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है, जिसमें संपूर्ण मार्ग पर्वतीय क्षेत्र में होने के कारण लगभग 3.30 घंटे का समय लगता है। इस समय और दूरी को कम करने के लिए देहरादून के राजपुर के निकट से एक सुरंग प्रस्तावित है, जो टिहरी झील के निकट कोटी कालोनी में समाप्त होगी। टनल की कुल लंबाई लगभग 35 किमी होगी। टनल के निर्माण की अनुमानित लागत 8750 करोड़ रुपये आएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में एम्स ऋषिकेश होने के बाद भी कुमाऊं मंडल के दूरदराज के इलाके, भौगोलिक दूरी होने के कारण सुपरस्पेशियलिटी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं। राज्य के कुमाऊं मंडल में एम्स की स्थापना करने से कुमाऊं के नागरिकों के साथ ही उत्तर प्रदेश के निकटवर्ती जनपदों के लोगों को भी विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होगी। एम्स के लिए भूमि उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी। पूर्व में भी एक राज्य में दो एम्स जैसे विश्व स्तरीय संस्थान स्थापित किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के क्षेत्रीय सामाजिक सांस्कृतिक तथा पर्यटन के विकास और सामरिक दृष्टिकोण से रेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा टनकपुर और बागेश्वर के बीच नैरो गेज रेलवे लाइन हेतु सर्वे का आदेश जारी किया गया है। यह लाइन ब्राडगेज में होनी चाहिए। चीन और नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा के निकट स्थित होने के कारण यह रेल लाइन सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही यह नए व्यापार केंद्रों को भी जोड़ेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सामरिक उद्देश्य और सीमांत जनपदों के विकास की आवश्यकता को देखते हुए टनकपुर बागेश्वर रेलवे लाईन का नैरोगेज की बजाय ब्राडगेज लाइन का सर्वे किया जाए।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि चारधाम सड़क परियोजना के साथ ही ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उत्तराखंड को बड़ी देन है। वह समय दूर नहीं, जब पहाड़ में रेल का सपना पूरा होगा। इससे राज्य की आर्थिकी में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। मार्च 2024 तक परियोजना को पूर्ण किए जाने के लक्ष्य के साथ काम किया जा रहा है। ऋषिकेश के बाद परियोजना मुख्यतः अंडरग्राउंड है। भूमि अधिग्रहण किया जा चुका है। इस रेल लाइन पर 12 स्टेशन और 17 टनल बनाये जा रहे हैं। काम निर्धारित समयावधि में पूरा किया जा सके, इसके लिए विभिन्न स्थानों पर एक साथ काम चल रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी 7 अक्टूबर को जौलीग्रांट, देहरादून में बने नये टर्मिनल का लोकार्पण किया जायेगा। हेली समिट के दौरान देहरादून-पंतनगर-पिथौरागढ़-पंतनगर-देहरादून हवाई सेवा का फ्लैग ऑफ भी किया जायेगा। यह सेवा पवनहंस द्वारा दी जायेगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लिए जो 13 हेलीपोर्ट चिन्हित किये गये हैं, उनमें से 11 की डीपीआर तैयार हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि देहरादून-पिथौरागढ़ हेली सेवा शुरू होने से सीमान्त क्षेत्र पिथौरागढ़ के विकास के लिए यह मील का पत्थर साबित होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन एवं केन्द्र सरकार के सहयोग से राज्य में कनेक्टिविटी के क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जी.एस.टी. क्षतिपूर्ति दिये जाने की अवधि जून 2022 में समाप्त हो रही है, राज्य की आर्थिक स्थिति की मजबूती के लिये जी.एस.टी कन्सेसन की अवधि को बढ़ाया जाना राज्य हित में है। इस सम्बन्ध में आवश्यक सहयोग का अनुरोध भी मुख्यमंत्री ने किया है। इस अवसर पर मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, सचिव दिलीप जावलकर, विशेष सचिव मुख्यमंत्री डॉ. पराग मधुकर धकाते, प्रधानमंत्री कार्यालय के उप सचिव मंगेश घिल्डियाल भी उपस्थित थे।
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