नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2023 में एक विशेष सत्र, शिक्षा कॉन्क्लेव 2.0, आयोजित किया गया, जिसमें केंद्र सरकार और 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा, संस्कृति, पंचायती राज और महिला एवं बाल विकास, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी के नीति निर्माताओं और वरिष्ठ अधिकारियों ने बदलते आयाम, निरंतर प्रासंगिकता और पाठ्य-सामग्री को अधिक सुलभ बनाने के लिए विभिन्न तरीकों पर विचार-विमर्श किया। ’बच्चों के सीखने के सुगम तरीके’ विषय पर एक परिचर्चा में, बच्चों और किशोरों के लिए राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी प्रोजेक्ट हेतु आयु उपयुक्त डिजिटल सामग्री के निर्माण और वितरण पर जोर दिया गया।
इसके लिए राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत और आईआईटी दिल्ली ने संयुक्त रूप से सीखने और पढ़ने के अनुभव के लिए आभासी वास्तविकता और मिश्रित वास्तविकता की दुनिया में कहानी कहने की कला विकसित करने पर बल दे रही है। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के निदेशक युवराज मलिक ने अपने संबोधन में कहा, ‘आज हमें और अधिक पाठ्य-सामग्री की आवश्यकता है जो बच्चे को पाठ्य-पुस्तकों से परे ले जाकर सीखने की प्रक्रिया से जोड़ने की भूमिका निभाए।’
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत, के अध्यक्ष प्रोफेसर गोविंद प्रसाद शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 खिलौनों, गतिविधियों आदि के माध्यम से बच्चों को सीखने का एक रोचक वातावरण तैयार करने के लिए शिक्षा क्षेत्र को एक लचीला ढांचा प्रदान करती है। मुग्धा सिन्हा, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन ने अपने संबोधन में कहा, ‘पुस्तकालयों को जमीनी स्तर, स्कूलों और पंचायतों, विशेष रूप से ग्रामीण स्तर पर ले जाकर उन्हें ज्ञान का केंद्र बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है।’
इस अवसर पर संजीव खिरवार, आईएएस, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा लद्दाख; प्रीति तोंगरिया, अपर सचिव पंचायती राज विभाग, बिहार; डॉ. मोहन लाल यादव, राज्य परियोजना निदेशक – राजस्थान, डॉ. रूपेश कुमार, विशेष सचिव माध्यमिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश; एवं रेशम रघुनाथ नायर, उप सचिव, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय व अन्य लोग उपस्थित थे।
दर्शन, धर्म, विज्ञान, चिकित्सा, गणित, साहित्य और कला सहित विषयों की एक विस्तृत शृंखला को सम्मिलित करते हुए, ‘भारतीय ज्ञान-परंपरा’ ज्ञान की एक समृद्ध और प्राचीन प्रणाली है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता की विकास यात्रा में महती भूमिका निभाने वाले वाले ज्ञान की इस विशाल और जटिल प्रणाली का गर्व करते हुए, इस परंपरा का समुचित निर्वहन कर रहा है।
बाल मंडप की आज की गतिविधियां भारत की विशाल सांस्कृतिक विविधता पर केंद्रित थीं। विभिन्न कार्यशालाओं के माध्यम से भारत के प्राचीन योग अभ्यास और ‘मधुबनी’ जैसी चित्रकला की परंपरागत शैलियों को शामिल किया गया। स्टोरीटेलिंग और रचनात्मक लेखन कार्यशाला जैसी कई गतिविधियाँ आयोजित की गईं, जो बच्चों को राजस्थान और असम राज्यों के कैमल और जापी चित्रकलाओं के माध्यम से भारत की विविधता का परिचय देती हैं। ‘लेखक/ इलस्ट्रेटर से मिलें’ सत्र में बच्चों ने जया मेहता, नतालिया सुरुबा और स्वाति चक्रवर्ती के साथ भारत के विभिन्न क्षेत्रों से कई शास्त्रीय नृत्य शैलियों के जाना।
थीम पवेलियन में ‘प्राइम टाइम टॉक’ सत्र में लेखक प्रियम गांधी मोदी ने अपनी पुस्तक ’ए नेशन टू प्रोटेक्ट’ के बारे में बात की, जो संक्रामक वायरस कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान केंद्र सरकार की उत्कट प्रतिक्रिया का आकलन करती है, जिसने अपनी अनिश्चितता से दुनिया को एक गहरे संकट में डाल दिया था। इसके पहले सत्र में, ‘ऑल इंडिया कन्फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड्स’ के बच्चों ने स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद पर एक लघु नाटक का मंचन किया।
प्रसिद्ध अभिनेता और लेखक, कबीर बेदी ने अजय जैन के साथ बातचीत में अपनी नई किताब ‘स्टोरीज़ आई मस्ट टेल’ और इसका हिंदी अनुवाद ‘कही-अनकही’ के बारे में बात की। एक बेस्टसेलर पुस्तक लिखने के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा, ‘कहानी की शुरुआत एक आशाजनक आरंभ, बीच में एक संघर्ष और एक संतोषजनक अंत होना चाहिए। पाठक को पन्ने पलटने के लिए मजबूर करना चाहिए, अन्यथा वे पुस्तक में रुचि खो देते हैं।’
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