मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को सचिवालय में चंपावत को आदर्श जिला बनाने के लिए बनाई जा रही कार्ययोजना और गतिमान कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड को आदर्श राज्य बनाने के लिए चंपावत को मॉडल जिले के रूप में लिया जा रहा है। चंपावत ऐसा जिला है जिसमें राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से मैदान, तराई, भाबर और पर्वतीय क्षेत्र शामिल हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को सचिवालय में चंपावत को आदर्श जिला बनाने के लिए बनाई जा रही कार्ययोजना और गतिमान कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड को आदर्श राज्य बनाने के लिए चंपावत को मॉडल जिले के रूप में लिया जा रहा है। चंपावत ऐसा जिला है जिसमें राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से मैदान, तराई, भाबर और पर्वतीय क्षेत्र शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आदर्श जिले चंपावत के लिए बनाई जा रही कार्य योजना पर तेजी से कार्य किए जाएं। उन्होंने कहा कि विकास के साथ विरासत को भी आगे बढ़ाना है।
अब प्रदेश में भूजल का अंधाधुंध दोहन रोकेगी सरकार, बनेंगे नियम
वहीँ प्रदेश सरकार भूजल का अंधाधुंध दोहन रोकेगी इसके लिए कानूनी प्रावधान किए जा रहे हैं। सिंचाई विभाग को इसका नोडल बनाया गया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इसका ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। भूजल को लेकर एक्ट में बदलाव से भूजल की दृष्टि से गंभीर क्षेत्रों में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। उद्योगों को एनओसी देने पर रोक लग सकती है।
सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक भूजल के स्तर में आ रही चिंताजनक गिरावट पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने जल शक्ति मंत्रालय और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को आवश्यक निर्देश दिए थे।
भूजल के संबंध में 2016 में अधिनियम बनाया था
एनजीटी के निर्देश के बाद केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय भूजल बोर्ड बनाया गया है, जो उत्तराखंड समेत विभिन्न राज्यों में इस पर निगरानी कर रहा है। केंद्र के निर्देश पर राज्य सरकार की ओर से नियम बनाने के लिए सरकार ने पहले लघु सिंचाई विभाग को नोडल बनाया था, लेकिन लघु सिंचाई के स्थान पर सिंचाई विभाग को अब इसका जिम्मा दिया गया है।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक उद्योग विभाग, जल संस्थान, एमडीडीए आदि विभागों से इसे लेकर सुझाव लिया जा रहा है। इन विभागों के सुझाव के बाद ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा, जिसे कैबिनेट में लाया जाएगा। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार ने भूजल के संबंध में 2016 में अधिनियम बना लिया था। अब इस अधिनियम में ही कुछ संशोधन के बाद इसे राज्य में लागू किया जाएगा।
अब यह एक अंब्रैला एक्ट होगा
सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, संशोधन के बाद यह एक अंब्रैला एक्ट होगा। सरकार उन क्षेत्रों में जल के व्यावसायिक दोहन को लेकर आवश्यक कदम उठाएगी, जहां सतह और भूगर्भ जल को लेकर गंभीर स्थिति है। भूमि में जल का स्तर बहुत नीचे चला गया है। लेकिन सामान्य क्षेत्रों में इससे कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। एक्ट के लागू होने के बाद भूजल से राजस्व भी मिलेगा।
सतही और भूजल को लेकर एक्ट में बदलाव किया जा रहा है। जल्द इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। – डॉ. आर राजेश कुमार, सचिव सिंचाई
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