एक्सक्लूसिव इंटरव्यू : परिवार सैनिक का सबसे बड़ा सबल, फौज और अध्यात्म में है गहरा संबंध : लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह

एक्सक्लूसिव इंटरव्यू : परिवार सैनिक का सबसे बड़ा सबल, फौज और अध्यात्म में है गहरा संबंध : लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह

मैं समझता हूं कि एक फौजी कभी रियाटर नहीं होता। यही एक कारण है कि जो रैंक है, वो रैंक हमेशा हमारे साथ रहती है। मुझे लगता है कि मैं रियाटर नहीं हुआ हूं, एक फेज जरूर खत्म हुआ है सर्विस का लेकिन एक नया फेज शुरू हुआ है।

लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह ने 1 नवंबर 2022 को सेना के दक्षिणी कमान की बागडोर संभाली। यह भारतीय सेना की सबसे बड़ी और पुरानी कमान है। जिसके क्षेत्र में 11 राज्य और चार केंद्र शासित प्रदेश हैं। उन्होंने शांत और अशांत सभी क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दी हैं। लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह 30 जून 2024 को दक्षिणी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ के पद से सेवानिवृत हुए हैं। भारतीय सेना में 40 साल की सेवा करने के बाद हिल-मेल के संपादक वाई एस बिष्ट ने उनसे कई मुद्दों पर खास बातचीत की। बातचीत के प्रमुख अंश इस प्रकार से हैं –

सवालः आपने 40 साल तक भारतीय सेना की सेवा की है। दक्षिण कमान के जीओसी-इन-सी के पद से सेवानिवृत हुए हैं। आप अपनी इन उपलब्धियों को कैसे देखते हैं?

किसी भी सैनिक के लिए यूनिफॉर्म पहनना गर्व का विषय होता है। सैनिक को यह बात गौरवान्वित करती है कि राष्ट्र उसे यूनिफॉर्म पहनने का मौका दे रही है। यह यूनिफॉर्म ही उसे देश की सुरक्षा का दायित्व देता है। मैंने 44 साल सेना में सर्विस की है। अपनी सेवा के दौरान मैंने समर्पण भाव से देश की सेवा की और मेरा यह सफर काफी अच्छा रहा। सेना में नौकरी करने के दौरान बहुत सी उपलब्धियां भी मेरे साथ जुड़ी। जब युवा था उस दौरान कमांडो कोर्स किया और कमांडो विंग को हेड भी किया। सेना में कमांडो कोर्स एक ऐसा कोर्स है जो सारे विश्व में सबसे कठिन है क्योंकि इसका उद्देश्य आपके फिजिकल लिमिटेशन की पूरी तरह से आजमाइश करना होता है।

सवालः आपने भारतीय सेना में रहते हुए कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं। इस दौरान किन-किन चुनौतियों का सामना किया और आप अपने सबसे अच्छे कार्यकाल को कब मानते हैं ?

मैं गोरखा राइफल से ताल्लुक रखता हूं। मुझे सियाचिन ग्लेशियार का अपना कार्यकाल हमेशा याद रहेगा। सिर्फ एक भारतीय सेना ही है जो इतनी ऊंचाई पर न सिर्फ रहती है, बल्कि दुश्मन से लड़ती भी है। मुझे सियाचिन ग्लेशियर में सर्व करने का मौका मिला और मैंने वहां बहुत अच्छा कार्य किया। सियाचिन एक ऐसी जगह है, जहां का तापमान -56 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है, और काफी तेज हवाएं चलती हैं, साथ ही हवा का दबाव कम हो जाता है। सियाचिन में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। यहां एक तरफ दुश्मन है और दूसरी तरफ मौसम की मार अलग से है।

सैनिकों को दुश्मन के साथ लड़ने के साथ ही सियाचिन में मौसम के साथ भी तालमेल बैठाना पड़ता है। यह अविश्वमरणीय समय था। यहां पोस्टिंग मेरे प्रोफेशनल जीवन का सबसे ऊंचा आयाम था जो एक सैनिक हासिल कर सकता है। आखिर में मेरी पोस्टिंग दक्षिण कमान रही है। यह कमान भारतीय सेना की सबसे बड़ी और पुरानी कमान है। भारत का 41 फीसदी भू-भाग दक्षिण कमान के अंदर आता है। इतनी बड़ी सेना का कमान करना अपने आप में बड़ी उपलब्धि रही। सबसे अंतिम में हमने एक एक्सरसाइज की भारत शक्ति जिसमें स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी आये थे। इस एक्सरसाइज का उद्देश्य पूरे विश्व को यह दिखाना था कि आज की तारीख हमारे पास जो साजो सामान है, वो सब अपना है। यह हमारी आत्मनिर्भरता को दिखाता है। आज भारत सक्षम है और सभी प्रकार का साजो सामान बनाने में और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम है।

सवालः एक सैनिक को सेल्फ मोटिवेशन कहां से मिलती है। इसके लिए उसे क्या करना पड़ता है?

सैनिकों को सेल्फ मोटिवेट करने की शुरुआत उनकी ट्रेनिंग के दौरान ही हो जाती है। ट्रेनिंग के दौरान जिस तरह से आपकी शारीरिक क्षमता को सुनिश्चित किया जाता है, और जिस तरह से आपकी मानसिक क्षमता सुनिश्चित होती है, वो मोटिवेशन के लिए जरूरी है। जब आप पूरी तरह से मानसिक और शारीरिक तौर पर सक्षम होते हैं, तो आपके अंदर कॉन्फिडेंस जरूर आता है। दूसरी बात स्किल की है। सेना में आपको सभी प्रकार की स्किल के साथ अवगत कराया जाता है। जब आप अपनी स्किल में पूरी तरह से पारंगत हो जाते हैं तो फिर आपको इस बात का कॉन्फिडेंस हो जाता है कि किसी भी तरह की अवस्था आने पर आप उससे पार पा सकते हैं। फौज में एक दूसरे का ख्याल रखना, और एक दूसरे के साथ कदम से कदम मिलाना सीखाया जाता है। जब आप भारतीय सेना का लॉजिस्टिक देखते हैं तो खुद मोटिवेट हो जाते हैं कि आपके साथ इतनी बड़ी मशीनरी है। मोटिवेशन एक बहुत अंदर की भावना होती है। इसके अलावा फौज की वर्दी ही ऐसी चीज है जो आपको एक शक्ति देती है। जब आप यूनिफॉर्म पहनते हैं तो आप अपने दायित्व को महसूस करते हैं और आपको यह बात समझ आ जाती है कि आपके कंधों पर देश की सेवा की जिम्मेदारी है। वह कहते हैं कि मैंने अपनी सेवा के दौरान देखा है कि भारतीय सेना का हर जवान पूरी तरह से मोटिविटेड रहता है। जवान देशप्रेम की भावना के साथ अपना कार्य करते हैं।

सवालः आप अपने बारे में बताइये, आप कहां पैदा हुए आपकी पढ़ाई लिखाई कहां हुई, परिवार में कौन-कौन लोग हैं और आपके परिवार ने किस प्रकार का संर्घष देखा?

सैनिकों को उस वक्त भी बहुत मोटिवेशन मिलता है जब व सिविल सोसायटी में जाते हैं और देखते हैं कि उन्हें कितना सम्मान मिल रहा है। देश का हर नागरिक सैनिकों का सम्मान करता है और उनको इस नजरिये से देखता है जिससे उन्हें भी गौरव मिलता है। सैनिक को सब देखते हैं लेकिन एक सैनिक के पीछे जो बहुत बड़ी शक्ति है, वह उसका परिवार है। सैनिक बॉर्डर पर देश की रक्षा करता है और उसकी पत्नी घर का सारा दायित्व निभाती है। बच्चों और मां-बाप की सेवा करती है। घर संभालती है। वह कहते हैं कि मेरी पत्नी आज मेरे साथ नहीं है, लेकिन उन्होंने अपनी हर जिम्मेदारी को पूरी तरह से निभाया। परिवार के प्रति अपने हर कर्तव्य को पूरा किया। दोनों किडनी फेल होने के बाद भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और अपनी सारी जिम्मेदारियों को सही से निभाकर गईं। बेटे की शादी करके गई।

मेरा बेटा अभिनव एडवेंचर स्पोर्ट्स का काम देखता है और बेटी संजना बॉलीवुड में असिस्टेंट डायरेक्टर हैं और उन्होंने 12 से अधिक फिल्मों को असिस्ट किया है। परिवार का सपोर्ट ही एक सैनिक के लिए बड़ा और मजबूत आधार होता है। मैं एक साधारण से किसान परिवार से ताल्लुक रखता हूं। मेरा जन्म रुड़की से 12 किमी दूर एक गांव में हुआ और पांच साल तक बचपन गांव में बीता और उसके बाद वह और उनकी बड़ी बहन मेरठ अपने नाना और नानी के यहां पढ़ने के लिए आ गये। बचपन में नाना और नानी का बहुत प्यार मिला।

सवालः आपका आध्यात्म से बहुत लगाव है, तो कैसे और आगे आप इसे ले जाना चाहते हैं ?

नाना को महाभारत और रामायण की सारी कहानियां याद थी और वो मुझे सुनाया करते थे। उनके कारण ही बचपन से मेरा अध्यात्म की तरफ रुझान हुआ। फौज और अध्यात्म का बहुत गहरा संबंध है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश युद्ध के मैदान में ही दिया था। कृष्ण ने यह उपदेश कमांडरिंग चीफ को दिया था जो उस वक्त अपने कर्तव्य से विचलित हो गया था। गीता के माध्यम से श्रीकृष्ण ने अर्जुन को संदेश दिया कि धर्म की रक्षा हेतु युद्ध जायज है तो आपको युद्ध करना ही है। यह एक ऐसी चीज है जिससे आर्मी और आर्म फोर्सेस का अध्यात्म से गहरा संबंध स्थापित होता है। अध्यात्म एक ऐसी साइंस है जो आपको अपने से परिचित कराती है। जब तक आप स्वयं को नहीं जान पाते हैं कि मैं कौन हूं तब तक आप किसी और कार्य को करने में पूर्णतः सफल नहीं हो पाएंगे। स्वंय को जानना जरूरी है। यह एक जर्नी है खुद को समझने की। क्योंकि आज मैं रियाटर हूं और मेरी यही कोशिश रहेगी कि अध्यात्म के संदेश को आगे ले जाया जाए। इसके संदेश को बताया जाए। अध्यात्म आपको परिवार और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी के बारे में भी बताता है। अध्यात्म ही एक ऐसी चीज है जिससे स्ट्रेस लेवल को कम किया जा सकता है।

सवालः हमारी मैग्जीन का एक मोटो है एक अभियान पहाड़ों की ओर लौटने का, आप उत्तराखंड के लिए क्या कर रहे हैं और आगे क्या करना चाहते हैं ?

उत्तराखंड देवभूमि है। हमारे यहां जितने भी बड़े मंदिर हैं सब पहाड़ के अंदर हैं। आज के युवा के लिए कहना चाहूंगा कि अनुशासन में रहना जरूरी है। पहाड़ी क्षेत्र का विकास और उत्थान बहुत जरूरी है। आज समय है जब हम अपने क्षेत्र यानी अपने पहाड़ की ओर लौटकर उसका समग्र विकास करें। जब उसका विकास होगा तो बाकी लोग भी इधर आएंगे। जितने भी युवा हैं, वो अपनी इस जिम्मेदारी को संभाले। पहाड़ों में बैलेंस विकास की जरूरत है।

सवालः अब सेवानिवृत के बाद आपके क्या प्लान है? आपकी हॉबी क्या है?

देखिये मैं समझता हूं कि एक फौजी, जिस तरह की शिक्षा हमें मिलती है, मैं समझता हूं कि एक फौजी कभी रियाटर नहीं होता। यही एक कारण है कि जो रैंक है, वो रैंक हमेशा हमारे साथ रहती है। मुझे लगता है कि मैं रियाटर नहीं हुआ हूं, एक फेज जरूर खत्म हुआ है सर्विस का लेकिन एक नया फेज शुरू हुआ है। मेरी उम्र तकरीबन 60 उम्र की है। अनुशासित लाइफ है। इस उम्र में भी मैं सभी तरह के कार्य करने में सक्षम हूं। उत्साह है और ऊर्जा भी है। मेरा मानना है कि 60 या 70 की उम्र बेहद जरूरी है क्योंकि इसमें आपके पास तर्जुबा होता है। इस उम्र में आप अपनी रुचियों के हिसाब से अपने कार्य करने में स्वतंत्र होते हैं। मैं राष्ट्र कल्याण हेतु जो भी मुझसे बन पड़ेगा वो करने के लिए हमेशा तत्पर रहूंगा। मेरे आइडियल पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम हैं। उनकी मृत्यु एक सभा को एड्रेस करते हुए हुई। मतलब आखिरी मिनट तक वो कार्य करते रहे, तो मेरी भी यही कोशिश रहेगी।

सवालः आपकी क्या क्या हौबी है ?

नेचर के काफी नजदीक रहा हूं। ट्रैकिंग और योग मेरी रुचि है। माइथोलॉजी भी मेरी रुचि है। ऐसी जगहें जहां मैं नहीं जा पाया ऐसी जगहों पर जाऊं। मैं संस्कृत सीखकर वेद और उपनिषद का पठन और पाठन करना चाहूंगा। यह भी मेरी अभिलाषा है। किताबें पढ़ने का शौक मुझे हमेशा रहा है। आज जब मेरे पास समय है, तो जिन किताबों को मैं पढ़ना चाहता था, उन्हें पढ़ना चाहूंगा।

सवालः आप नई पीड़ी के युवाओं, खासकर पहाड़ के युवाओं के लिये क्या संदेश देना चाहते हैं ?

भारत देश का हर युवा एक मजबूत और सशक्त नागरिक, एक ऐसा नागरिक जिसे अपने अपने फंडामेंटल राइट्स तो मालूम हैं लेकिन साथ ही ड्यूटीज के प्रति भी सचेत रहने की जरूरत है। भारत का हर एक युवा अपनी जिम्मेदारियों को राष्ट्र के प्रति, समाज के प्रति, स्वयं के प्रति सबका अच्छी तरह से आभास है, अंजाम देता है तो 2047 से पहले ही हमारा देश मजबूत और विकसित देश बन जाएगा।

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