गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पन्तनगर द्वारा आज दो करार (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये। पहला एमओयू उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के साथ हुआ। समझौता ज्ञापन पर पन्तनगर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान एवं उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ओ.पी.एस. नेगी ने हस्ताक्षर किया।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. हेम राज भट्ट द्वारा किये जा रहे एमओयू की महत्ता एवं उसके उद्देश्य पर प्रकाश डाला गया। इस एमओयू के अन्तर्गत विभिन्न विषयों का समावेष है। उदाहरणार्थ दोनों संस्थानों के बीच मूक्स एवं डिजिटल कांटेंट का अदान-प्रदान, ई-कांटेंट का अदान-प्रदान, शोध एवं प्रसार कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, प्रशिक्षण के दौरान क्षमता विकास, कार्यशाला एवं संगोष्ठियों का आयोजन, तकनीकी ज्ञान का अदान-प्रदान आदि शामिल है।
पन्तनगर विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ. दीपा विनय ने भी एमओयू की महत्ता पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ओ.पी.एस. नेगी ने इस एमओयू पर बहुत प्रशन्नता व्यक्त की और दोनों विश्वविद्यालय मिलकर विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों के हित में कार्य करेंगे।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ए.आई. के माध्यम से किस प्रकार किसानों की आमदनी बढ़ा सकते है। कृषि रीड़ की हड्डी है और कृषकों तक नयी तकनीकी पहुंचाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि मूक के चार क्वार्डिनेट्स होते है यथा वीडियो कान्टेंट, इलेक्ट्रानिक कान्टेंट, डिस्कशन फोरम और असेस्मेंट तथा इबेल्यूवेशन। पन्तनगर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने किसानों तक ज्ञान एवं नयी तकनीकी को पहुंचाने पर बल दिया और कहा कि कृषि मंत्रालय भारत सरकार द्वारा भी इस दिषा में कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है।
उन्होंने कहा कि अभी खरीफ फसलों के लिए 29 मई से 12 जून तक विकसित भारत संकल्प यात्रा के अन्तर्गत कृषकों को तकनीकी हस्तान्तरण के लिए संघन प्रशिक्षण आयोजित किये जा रहे है, जिसमें विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक अपना सार्थक योगदान दे रहे है। उन्होंने ने भी उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के साथ एमओयू हस्ताक्षरित होने पर प्रशन्नता व्यक्त की और कहा कि इसके दूरगामी परिणाम होंगे। इस अवसर पर निदेशक शोध डॉ. ए.एस. नैन द्वारा सभी का स्वागत किया गया और हस्ताक्षरित किये जाने वाले समझौता ज्ञापन पर संक्षिप्त विवरण दिया गया।
दूसरा एमओयू बेंगलुरु स्थित नेक्स्टिक्रॉन टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ हुआ, जिसका उद्देश्य पंतनगर विश्वविद्यालय को सेमीकंडक्टर डिजाइन के लिए एक अग्रणी प्रशिक्षण केन्द्र बनाने का है। समारोह में बोलते हुए कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि विश्वविद्यालयों को ‘उभरती प्रौद्योगिकियों में सबसे आगे रहना चाहिए’ और भारत के आत्मनिर्भरता लक्ष्यों को पूरा करने के लिए छात्रों के बीच उद्यमशीलता की मानसिकता को बढ़ावा देना चाहिए।
प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एस.एस. गुप्ता ने सेमीकंडक्टर उद्योग के रणनीतिक महत्व और घरेलू फ़ैब और डिज़ाइन हाउस को अत्यधिक कुशल कार्यबल की आपूर्ति में स्टार्ट-अप की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। डॉ. आर.पी.एस. गंगवार, प्राध्यापक और ईसीई के प्रमुख और स्व-वित्तपोशित पाठ्यक्रमों के निदेशक ने समझौता ज्ञापन के मुख्य प्रावधानों का सारांश दिया। परिसर में एक उच्च तकनीक ऊष्मायन केंद्र का निर्माण। प्रति वर्ष लगभग रू. 10 करोड़ मूल्य के उद्योग-ग्रेड ईडीए टूल लाइसेंस तक पहुंच। आमने-सामने ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप और साल भर चलने वाला प्रशिक्षण जो सालाना 100 छात्रों को पूर्ण सेमीकंडक्टर डिज़ाइन प्रवाह में व्यावहारिक अनुभव से लैस करेगा।
इस समझौते पर नेक्स्टआईक्रॉन के निदेशक विवेक और पन्तनगर विश्वविद्यालय की ओर से अनुसंधान निदेशक डॉ. ए.एस. नैन ने औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए। डॉ. गंगवार ने विश्वविद्यालय नेतृत्व, नेक्स्टआईक्रॉन टीम और आयोजन समिति को धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यक्रम का समापन किया। इस सहयोग से उत्तराखंड को ‘हिमालय की सिलिकॉन वैली’ के रूप में स्थापित करने के पन्तनगर विश्वविद्यालय के चल रहे प्रयासों में तेज़ी आने की उम्मीद है, जिसमें उद्योग मेंटरशिप और छात्र इनोवेटर्स की एक मजबूत पाइपलाइन के साथ अत्याधुनिक उपकरण जोड़े जाएंगे।
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