खाद्य सुरक्षा हेतु कृषि क्षेत्र में एआई, एमएल आवश्यकः कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान

खाद्य सुरक्षा हेतु कृषि क्षेत्र में एआई, एमएल आवश्यकः कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान

डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि कृषि विशेषकर बागवानी फसलों में नयी टेक्नोलॉजी विकसित करने की आवश्यकता है एवं उन्होंने आने वाले समय में नेटवर्किंग द्वारा देश-विदेश की अग्रिम संस्थाओं के साथ मिलकर शोध कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया।

पंतनगर विश्वविद्यालय के उद्यान विज्ञान विभाग, सब्जी विज्ञान विभाग, कीट विज्ञान विभाग एवं वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के सहयोग से आयोजित बागवानी फसलों की वास्तविक समय स्वचालित कीट निगरानी पर शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की स्पार्क परियोजना के तहत दो-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन हुआ।

कार्यशाला का आयोजन भारतीय कृषि शोधकर्ताओं और अंतर्राष्ट्रीय विषेषज्ञों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक मंच के रूप में किया गया, जिसका उद्देश्य बागवानी फसलों में कीट एवं रोगों की चुनौतियों से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का निर्माण करना है। इस कार्यशाला में आधुनिक स्वचलित प्रणालियों में बदलाव की बढ़ती आवश्यकता को सम्बोधित किया गया।

समापन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिह चौहान के द्वारा की गयी। कुलपति ने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि कृषि विशेषकर बागवानी फसलों में नयी टेक्नोलॉजी विकसित करने की आवश्यकता है एवं उन्होंने आने वाले समय में नेटवर्किंग द्वारा देश-विदेश की अग्रिम संस्थाओं के साथ मिलकर शोध कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया।

युवा वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने एआई, एमएल एवं अन्य पहलुओं पर कार्य करते हुए गुणवत्तायुक्त भोजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी में भागीदारी करने की अपील की। स्वचलित प्रणालियां कीट एवं रोगों की पहचान और जनसंख्या गतिशील मूल्यांकन की सुविधा के लिए उपयोगी है। ये अन्ततः किसानों को नई आधुनिक तकनीक की सुविधा प्रदान करेगी।

डॉ. एस.के. कश्यप, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय ने अंतर्राष्ट्रीय संस्थागत सहयोग के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया। इस कार्यशाला के संयोजक डॉ. रंजन श्रीवास्तव, प्राध्यापक, उद्यान विज्ञान विभाग ने कार्यशाला की विषय वस्तु की जानकारी दी, उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएसयू ऑस्ट्रेलिया, पडर्यू यूनिवर्सिटी, यूएसए, आईआईटी दिल्ली, आईएआरआई, पीएयू आदि विभिन्न संस्थानों के प्रतिभागियों और आमंत्रित वक्ताओं ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने प्रत्येक सत्र के सर्वश्रेष्ठ छात्र वक्ताओं को पुरस्कार भी वितरित किये गये।

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