प्रदेश के बहुचर्चित वनंतरा प्रकरण पर अदालत का फैसला आने के बाद शांति व्यवस्था बनी रहे, इसके लिए पुलिस-प्रशासन ने कमर कस रखी थी। इसके लिए पौड़ी जिले को पांच जोन में बांटा गया है। इसमें से चार जोन कोटद्वार में बनाए गए थे। इसके अलावा शुक्रवार को पूरे कोटद्वार में निषेधाज्ञा लागू रही।
न्यायालय का फैसला आने से ऐन पहले भीड़ ने पुलिस प्रशासन की गई बैरिकेडिंग को तोड़कर न्यायालय की ओर बढ़ने की भीड़ ने कोशिश की। पुलिस पूरी ताकत से लोगों को अंदर जाने से रोकने का प्रयास किया। जिसे लेकर भीड और पुलिस के बीच तनातनी बली रही। फैसले के बाद किसी तरह को बवाल न हो उसके लिए कोटद्वार में भारी पुलिस बल तैनात है।
प्रदेश के बहुचर्चित वनंतरा प्रकरण पर अदालत का फैसला आने के बाद शांति व्यवस्था बनी रहे, इसके लिए पुलिस-प्रशासन ने कमर कस रखी थी। इसके लिए पौड़ी जिले को पांच जोन में बांटा गया है। इसमें से चार जोन कोटद्वार में बनाए गए थे। इसके अलावा शुक्रवार को पूरे कोटद्वार में निषेधाज्ञा लागू रही।
साथ ही न्यायालय परिसर के 200 मीटर दायरे में किसी को भी बगैर अनुमति प्रवेश नहीं मिला। हालांकि, अधिवक्ताओं व वादकारियों पर यह आदेश लागू नहीं था। न्यायालय परिसर से सुखरो पुल तक बनाए गए जोन में तहसीलदार कोटद्वार साक्षी उपाध्याय, न्यायालय परिसर से बीईएल रोड तक बनाए गए जोन में प्रभारी नायब तहसीलदार कोटद्वार मनोहर सिंह नेगी, न्यायालय परिसर से देवी मंदिर तक बनाए गए जोन में सहायक नगर आयुक्त अजय अष्टवाल और न्यायालय परिसर से पदमपुर चौक तक बना गए जोन में एआरटीओ मजिस्ट्रेट रहे।
वहीं, जिला मुख्यालय पौड़ी में बनाए गए जोन में तहसीलदार पौड़ी दीवान सिंह राणा मजिस्ट्रेट रहे। उप जिलाधिकारी ने बताया कि न्यायालय के 200 मीटर दायरे में ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग, नारेबाजी और जुलूस-प्रदर्शन भी वर्जित थी।
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