सीमा पर तैनात सैनिकों के कोरोना से बचाव को आरुषि निशंक ने भेजे 10,000 रीयूजेबल मास्क

सीमा पर तैनात सैनिकों के कोरोना से बचाव को आरुषि निशंक ने भेजे 10,000 रीयूजेबल मास्क

‘स्पर्श गंगा’ देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में 2008 से काम कर रही है और पूरी दुनिया में 5.5 लाख से ज्यादा लोग इस संस्था से जुड़े हुए हैं।

कोरोना का संक्रमणकाल अभी जारी है। भारत में कोरोना से संक्रमित लोगों का आंकड़ा बढ़ा है। हालांकि कोरोना की चपेट से बाहर आने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। सरकार ने लोगों को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन घोषित कर रखा है। ऐसे कई कोरोना वॉरियर्स हैं, जो इस अदृश्य खतरे की सीधी जद में होने के बावजूद दिनरात अपना फर्ज निभा रहे हैं। सरकार के साथ-साथ इन सभी की मदद के लिए कई संस्थाएं भी सामने आई हैं। ऐसे में वो वॉरियर्स जो कोरोना के साथ-साथ कई अदृश्य और प्रत्यक्ष दुश्मनों से लड़ रहे हैं, उनकी कोरोना से ‘सुरक्षा’ के लिए समाजसेवी संस्था ‘स्पर्श गंगा’ ने एक नेक मुहिम शुरू की है। सेना में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले सामने आने के बाद समाजसेवी संस्था स्पर्श गंगा ने सीमा पर तैनात सैनिकों के लिए बड़ी संख्या में घर में बने सूती मास्क भेजे हैं।

 

सामाजिक संगठन स्पर्श गंगा की राष्ट्रीय संयोजिका आरुषि पोखरियाल निशंक ने बॉर्डर पर तैनात सैनिकों के लिए खादी के कपड़े से बने रीयूजेबल मास्क भिजवाए हैं। स्पर्श गंगा की विभिन्न टीमों ने इन फेस मास्क को खादी के कपड़ों से स्वयं घर में बनाया है। इन्हें धोकर दोबारा प्रयोग में लाया जा सकता है। एक बार प्रयोग में लेकर फेंके जाने वाले मास्क पर वायरस के होने से उससे और लोगों के भी कोरोना से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में हाथ से बने मास्क ज्यादा सुरक्षित और उपयोगी हैं।

 

आरुषि निशंक ने बताया कि हम सब अपने घरों में रहकर लॉकडाउन का पालन करते हुए इस वैश्विक महामारी से लड़ रहे, हैं और उधर हमारे वीर सैनिक भाई, जो सीमा पर एक ओर दुश्मन से लड़ रहे हैं तो दूसरी ओर इस जानलेवा वायरस से। ऐसे में हम सब का कर्तव्य बनता है कि सीमाओं को सुरक्षित करने वाले हमारे वीर सैनिक भाइयों को रक्षासूत्र बांधने से पहले हम उन्हें इस जानलेवा वायरस से सुरक्षित करें। इसी सोच के साथ स्पर्श गंगा की देशव्यापी टीम ने अपने फौजी भाइयों को रक्षा कवच (फेस मास्क) भेजने का निर्णय किया।

आरुषि निशंक ने कहा, रक्षा बंधन हमारे देश का सबसे प्रमुख त्यौहार है जिसमें प्रत्येक बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा का धागा बांधती है और भाई सदैव बहन की रक्षा करने का प्रण लेता है। हमारे भाई तो जी जान से अपना प्रण निभा रहे हैं तो फिर हम बहनों का भी धर्म है कि हम उस कलाई को सुरक्षित करें, जो सदैव हमारी रक्षा के लिए तत्पर रहती है। 10 हजार मास्क आर्म फोर्स क्लीनिक दिल्ली को सौंपे हैं। ताकि इन्हें उन डॉक्टरों और सैनिक को उपलब्ध कराया जा सके, जो हमारी सुरक्षा के लिए दिनरात काम कर रहे हैं।

 

उन्होंने बताया कि स्पर्श गंगा “एक्वाक्राफ्ट” नाम के एनजीओ के साथ मिलकर सस्टेनेबल इनिशिएटिव के रूप में काम कर रही है, ताकि हमें आर्थिकी को बढ़ाने के साथ ही पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में भी सहायता मिले। ‘स्पर्श गंगा’ देश और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में 2008 से काम कर रही है और पूरी दुनिया में 5.5 लाख से ज्यादा लोग इस संस्था से जुड़े हुए हैं।

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