एशियन सत्कर्मा मिशन अब किसी परिचय का मोहताज नहीं है। कोरोना काल में जिस तरह से मिशन के स्वामी वीरेंद्रानंद जी की ओर से निस्वार्थ भाव से लोगों तक मदद पहुंचाई जा रही है, उसकी पूरे उत्तराखंड में प्रशंसा हो रही है।
कोरोना के प्रकोप के चलते पूरी दुनिया संकट के दौर से गुजर रही है। भारत का हर वर्ग, हर क्षेत्र इससे प्रभावित हुआ है। बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां चली गईं और दो जून की रोटी पर भी संकट मंडराने लगा है। ऐसे समय में उत्तराखंड के कई इलाकों में भारी बारिश से आई आपदा ने चुनौती और बढ़ा दी है। ऐसे में कई सामाजिक संगठनों ने आगे आकर गरीबों, मजदूरों और जरूरतमंदों की मदद का बेड़ा उठाया है। उत्तराखंड का एशियन सत्कर्मा मिशन लगातार लोगों को खाने-पीने की चीजों के अलावा अन्य तरीकों से मदद कर रहा है।
संस्था के लोग स्वामी वीरेंद्रानन्द जी महाराज के मार्गदर्शन में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं। सड़क हो या गांव एशियन सत्कर्मा मिशन के ‘सिपाही’ जनसेवा में जी जान से जुटे हैं।
सत्कर्मा मिशन के सदस्यों द्वारा सत्कर्मा किचन चलाया जा रहा है। पीड़ितों और आपदा राहत एवं बचाव कार्यों में लगे हुए सेना के जवानों, पुलिसकर्मियों, प्रशासन के लोगों के लिए भी मिशन के लोग चाय, जलपान, भोजन आदि का प्रबंध कर रहे हैं।
सत्कर्मा मिशन के सदस्यों द्वारा आपदा पीड़ितों को सुरक्षित स्थानों में निकालने में भी सहयोग किया जा रहा है। सत्कर्मा मिशन से जुड़े लोगों का कहना है कि वे नर सेवा को ही नारायण सेवा मानते हैं और इसके लिए हरसंभव मदद करना चाहते हैं।
आपको बता दें कि चमोली, पिथौरागढ़ समेत कई जिलों में पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश, बाढ़, भूस्खलन की कई घटनाएं घटी हैं और लोगों को जान भी गंवानी पड़ी है।
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