उत्तराखंड में कोरोना के मामले 1000 के आंकड़े को छूने वाले हैं। ऐसे समय में शासन-प्रशासन पूरी मुस्तैदी योद्धा की तरह जंग लड़ रहा है लेकिन सरकार के ही एक मंत्री की लापरवाही ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत कई मंत्रियों को कोरोना संक्रमण के खतरे में डाल दिया है।
संवैधानिक पद पर बैठे शख्स से ऐसी अपेक्षा रहती है कि उनका आचरण और कामकाज कुछ इस तरह का हो, जो समाज में एक मिसाल बने। कोरोना संकट के इस दौर में याद कीजिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन को या फिर दीप जलाने की तस्वीरों को, वह हमेशा सामाजिक दूरी का पालन करते और मास्क लगाए ही दिखे। इससे समाज में एक बड़ा संदेश गया और लोगों ने आगे इस लड़ाई में सामाजिक दूरी का पालन करते हुए अहम भूमिका निभाई। लेकिन उत्तराखंड के एक कद्दावर नेता और कैबिनेट मंत्री के गैरजिम्मेदाराना रवैये से पूरी सरकार पर आफत बन आई है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज (Satpal Maharaj) की। सबसे पहले उनकी पत्नी अमृता रावत कोरोना पॉजिटिव पाई गईं और 24 घंटे के भीतर ही सतपाल महाराज, उनके परिवार और स्टाफ के 22 सदस्यों को कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो गई। यह सब हुआ कैसे, इसके पीछे एक बड़ी लापरवाही सामने आई है।
दरअसल, 26 मई को आवास पर होम क्वारंटीन का पर्चा चस्पा कर दिए जाने के बाद भी ऐहतियात और सामाजिक दूरी का पालन करने के बजाय 29 मई को सतपाल महाराज कैबिनेट की बैठक में पहुंच गए। ऐसे में सवाल उठता है कि कैबिनेट मंत्री ने क्वारंटीन को लेकर ऐहतियात क्यों नहीं बरती।
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बड़ा सवाल यह भी है कि कैबिनेट मंत्री के मूवमेंट की जानकारी होने के बाद भी प्रशासन ने उन्हें कैबिनेट के अन्य मंत्रियों से मिलने-जुलने और कैबिनेट बैठक में जाने से रोकने की कोशिश क्यों नहीं की। इसका नतीजा यह हुआ है कि महाराज के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की सलाह पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत कैबिनेट की बैठक में शामिल हर शख्स को होम क्वारंटीन कर दिया गया है।
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कोरोना महामारी से जनता को बचाने में एक तरफ तो शासन-प्रशासन ने दिन-रात एक कर रखा है, ऐसे मुश्किल समय में एक वरिष्ठ मंत्री की बड़ी लापरवाही के चलते पूरी सरकार पर मुसीबत बन आई है। यह खबर फैलते ही लोगों ने ट्विटर पर सतपाल महाराज से इस्तीफा देने और एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
बताया यह भी जा रहा है कि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को सलाह दी थी कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कैबिनेट की बैठक में शामिल हों। हालांकि उन्होंने इस सलाह को अनसुना कर दिया।
ऐसे में लोग प्रदेश सरकार से यह सवाल भी पूछ रहे हैं कि अगर कोई आम व्यक्ति क्वारंटीन के नियमों का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होती है तो क्या कैबिनेट मंत्री के खिलाफ भी कोई ऐक्शन लिया जाएगा।
क्या है कालीमठ और पोखड़ा दौरे की कहानी
बताया यह भी जा रहा है कि दिल्ली से सतपाल महाराज की पत्नी और पूर्व मंत्री अमृता रावत, उनके परिजन समेत कई लोगों ने रुदप्रयाग जिले में कालीमठ के दर्शन किए और वहां से पोखड़ा भी गए। बाद में जब ये लोग देहरादून आए तो इन सभी की जांच हुई। महाराज के घर में ही इन सभी को 26 मई को क्वारंटीन कर दिया गया। इसके बाद महाराज 29 मई को कैबिनेट की बैठक में शामिल हुए। अब सवाल यह है कि दिल्ली से आए लोग कालीमठ तक कैसे पहुंचे। अगर वरिष्ठ मंत्री खुद ही कानून एवं नियमों का पालन नहीं करेंगे तो किसी और से क्या उम्मीद की जा सकती है। यह खबर ऐसे समय में आई है जब प्रदेश में कोरोना के मामले अगले कुछ घंटों में 1000 के आंकड़े तक पहुंच सकते हैं।
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