लगभग 50 साल से नरेंद्र सिंह नेगी की आवाज अपने घर-गांव से दूर रहने वालों के लिए पहाड़ से जुड़ने का जरिया बनी हुई है। उनके गीतों में केवल लोक संगीत एवं संस्कृति ही नहीं पूरे उत्तराखंड की भौगोलिक, आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं वर्तमान दिशा एवं दशा के दर्शन हो जाते हैं।
प्रवासी उत्तराखंडियों ने प्रसिद्ध लोक गायक, कवि एवं संस्कृतिकर्मी नरेंद्र सिंह नेगी को पद्मश्री सम्मान दिलाने के लिए सामाजिक मुहिम छेड़ रखी है। उत्तराखंड की आवाज कहे जाने वाले नरेंद्र सिंह नेगी ने उत्तराखंडी लोक संगीत, संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सबसे अहम भूमिका निभाई है। प्रवासी उत्तराखंडियों की प्रसिद्ध संस्था यंग उत्तराखंड ‘नेगी दा’ के समर्थन के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से अभियान छेड़ रखा है।
नरेंद्र सिंह नेगी को उत्तराखंड के तीनों खित्तों गढ़वाल, कुमाऊं और जौनसार में समान रूप से पसंद किया जाता है। लगभग 50 साल से नरेंद्र सिंह नेगी की आवाज अपने घर-गांव से दूर रहने वालों के लिए पहाड़ से जुड़ने का जरिया बनी हुई है। उनके गीतों में केवल लोक संगीत एवं संस्कृति ही नहीं पूरे उत्तराखंड की भौगोलिक, आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, आध्यात्मिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं वर्तमान दिशा एवं दशा के दर्शन हो जाते हैं। नरेंद्र सिंह नेगी के बारे में कहा जाता है कि उत्तराखंड से जुड़े किसी भी मुद्दे पर शोध अथवा रिसर्च करने वालों को एक बार उनके कविताओं और गीतों का अध्ययन जरूर करना चाहिए। अपने गीतों के माध्यम से कई सामाजिक आंदोलनों की अलख जलाने वाले, पहाड़ की कई अनसुनी अथवा अनछुई समस्याओं और पीड़ा को व्यापक फलक पर बौद्धिक चिंतन का विषय बनाने वाले ‘नेगी दा’ के रचित गीतों को उत्तराखंड के हर घर में बड़े अदब से सुना जाता है।
यंग उत्तराखंड के अध्यक्ष विवेक पटवाल का कहना है कि नरेंद्र सिंह नेगी उत्तराखंड की एक सांस्कृतिक धरोहर हैं। उनको ये सम्मान बहुत पहले मिल जाना चाहिए था, लेकिन राजनैतिक कारणों से अभी तक वह इस सम्मान से वंचित रहे हैं। देश-विदेश में रहने वाले प्रत्येक उत्तराखंडी से संस्था के माध्यम से निवेदन किया जाता है कि एकजुट-एकमुठ होकर नरेंद्र सिंह नेगी को पद्मश्री सम्मान दिलाने के लिए ऑनलाइन नॉमिनेशन जरूर करें। यह नॉमिनेशन https://applypadma.mha.gov.in/ पर किया जा सकता है।
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