• जल, जंगल, जलवायु का संकट

    जल, जंगल, जलवायु का संकट0

    प्रकृति की गोद में रची बसी हमारी देवभूमि, अप्रतिम प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। यहां की जीवन शैली में जल, जंगल, पहाड़ और नदी नालों का विशेष महत्व है। यहां से निकलने वाली नदियां पूरे देश को जीवन प्रदान करती हैं और यहां के जंगलों की हवा जलवायु सरंक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अब हम जल, जंगल, जलवायु, जीवन… को एक सीरीज के रूप में निकाल रहे हैं। इस श्रंखला में हम अपने जल, जंगल को कैसे बचा सकते हैं उस बारे में विस्तृत से बताया जायेगा।

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  • युवाओं को प्रशिक्षण और स्व-रोजगार से ही रूकेगा पलायन

    युवाओं को प्रशिक्षण और स्व-रोजगार से ही रूकेगा पलायन1

    मेरे परिवार का कोई भी व्यक्ति सेना में नहीं है, लेकिन इस महान भारतीय सेना का हिस्सा होने पर मैं अपने आपको बहुत भाग्यशाली समझता हूं और यह वास्तव में मेरा एक सपना था जो पूरा हुआ था। डेढ़ साल के प्रशिक्षण के बाद, भारतीय सेना की एक सर्वश्रेष्ठ रेजीमेंट, डोगरा रेजीमेंट की 7वीं बटालियन में कमीशन किया। अंत में 31 अगस्त 2021 में सेना मुख्यालय के आईएचक्यू से एडीजी टीए के पद से सेवानिवृत्त हुआ।

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  • रक्षा उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता

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    हर इंसान और समाज अपने समपन्न और सुखी जीवन के लिए में आत्मनिर्भर बनना चाहता है। ठीक उसी तरह सुरक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना, हर राष्ट्र का सपना होता है। आज पूरे विश्व में खरबों डॉलर का व्यापार रक्षा-सामाग्री के क्रय-विक्रय में होता है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद आज रूस-युक्रेन युद्ध से यूरोप की रक्षा, ऊर्जा और वित्तीत परिस्थितियों में बड़ा परिवर्तन हुआ है। जिस वजह से कई यूरोपीय देश अपनी सुरक्षा को मजबूत बनाने हेतु बड़ी मात्रा में युद्ध सामाग्री में वृद्धि कर रहे हैं और जाहिर है कि इस प्रक्रिया में खरबों डॉलर का व्यापार होगा। परिस्थिति कुछ भी हो युद्ध सामाग्री आयात से देशों की अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पढ़ता है। भारत भी रक्षा सामग्री के आयात से वंचित नहीं है।

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