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प्रोफ़ेसर हरेन्द्र सिंह असवाल की दो पुस्तकों का आज दिल्ली में लोकार्पण किया गया। एक पुस्तक ‘खेड़ाखाल’ कविता संग्रह हैं और दूसरी ‘हाशिए के लोग’ में, हिन्दू समाज के उन कलाकारों का स्मरण किया गया जिन्होंने हिन्दू संस्कृति को हज़ारों वर्षों तक अनपढ़ होते हुए भी निरन्तर ज़िन्दा रखा। लेकिन बदले में वर्ण व्यवस्था ने उन्हें हमेशा हाशिए पर रखा।
READ MOREहीरा सिंह राणा उत्तराखंड लोक संगीत के महान संवाहक व रक्षक रहे हैं। उनके रचे गीतों में तरह तरह के भाव, रस, प्रतीक, विम्बों का प्रयोग हुआ। जो उन्हें आधुनिक संगीत संसार में एक महान गीत रचयिता और गायक की श्रेणी में रखने को काफी हैं।
READ MOREएनीमिया संभवतः दुनिया भर में सबसे अधिक ज्ञात बीमारियों में से एक है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या या उनकी ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता शरीर की शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपर्याप्त होती है, जो उम्र, लिंग, ऊंचाई, धूम्रपान की आदतों और गर्भावस्था के दौरान भिन्न होती है।
READ MOREस्थापना समारोह का श्रीगणेश फाउंडेशन प्रमुख डॉ आशुतोष कर्नाटक, फाउंडेशन चेयरमैन आर पी गुप्ता, पर्यावरणविद अनिल प्रकाश जोशी, वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री द्वारा दीप प्रज्वलित कर व सामूहिक रूप से गाए गीत ’हम होंगे कामयाब एक दिन…। गाकर किया गया।
READ MORE3 अक्टूबर की सायं मंडी हाउस स्थित एलटीजी सभागार में उत्तराखंड के प्रवासियों की दिल्ली स्थित ख्यातिरत सांस्कृतिक संस्था ‘दि हाई हिलर्स’ ग्रुप द्वारा गढ़वाली, कुमांऊनी एवं जौनसारी भाषा अकादमी दिल्ली सरकार के संयुक्त तत्वाधान में हरि सेमवाल निर्देशित व सुरेश नौटियाल एवं दिनेश बिजल्वाण द्वारा उत्तराखंड की पृष्ठभूमि में नवरचित गढ़वाली नाटक ‘अपणु-अपणु सर्ग’ का सफल मंचन खचाखच भरे सभागार में किया गया।
READ MOREकांस्य अथवा कांसा एक पवित्र धातु मानी जाती है और पूजा के पात्रों तथा मंदिर की घंटियों व मूर्तियों के निर्माण में भी इसका उपयोग किया जाता है। कांसे की खनकदार आवास कर्णप्रिय, स्निग्ध व अन्य धातुओं की अपेक्षा ज्यादा तेज गूंजती है।
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प्रोफ़ेसर हरेन्द्र सिंह असवाल की दो पुस्तकों का आज दिल्ली में लोकार्पण किया गया। एक पुस्तक ‘खेड़ाखाल’ कविता संग्रह हैं और दूसरी ‘हाशिए के लोग’ में, हिन्दू समाज के उन कलाकारों का स्मरण किया गया जिन्होंने हिन्दू संस्कृति को हज़ारों वर्षों तक अनपढ़ होते हुए भी निरन्तर ज़िन्दा रखा। लेकिन बदले में वर्ण व्यवस्था ने उन्हें हमेशा हाशिए पर रखा।
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