मुख्यमंत्री धामी ने कहा है कि राज्य सरकार चार धाम सहित अन्य स्थानों में सभी संबंधित लोगों से परामर्श कर इन स्थानों पर बेहतर व्यवस्था सम्पादित हो सके, इसके प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि के साथ ही देश की सांस्कृतिक व आध्यात्मिक राजधानी के रूप में अपनी पहचान बनाए इसके लिए राज्य सरकार संत समाज का भी सहयोग लेगी।
उत्तराखंड देवस्थानम बोर्ड प्रबंधन एक्ट वापस लेने की घोषणा के बाद चार धाम तीर्थ पुरोहितों, रावल समाज, पंडा समाज, हक हकूकधारियों के साथ ही अखाड़ा परिषद्, विश्व हिंदू परिषद् आदि के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से भेंट कर उनका आभार व्यक्त किया है। सीएम धामी से मुख्यमंत्री आवास में अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी, अखाड़ा परिषद् के महामंत्री मंहत हरिगिरी आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद महाराज ने भेंट कर देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम वापस लिए जाने पर मुख्यमंत्री का आभार जताया। उन्होंने मुख्यमंत्री को संत समाज की ओर से भी धन्यवाद दिया।
मुख्यमंत्री से चार धाम तीर्थ पुरोहित, हक हकूकधारी महापंचायत, रावल, पंडा समाज के साथ ही बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री मन्दिर से जुड़े लोगों ने बड़ी संख्या में मुख्यमंत्री आवास स्थित कार्यालय सभागार में मुख्यमंत्री का परंपरागत ढंग से स्वागत कर उनका हृदय से आभार व्यक्त किया। सभी ने मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए निर्णय को ऐतिहासिक एवं तीर्थ स्थलों के हित में बताया।
इस अवसर पर चारधाम तीर्थ पुरोहित, हक हकूक धारी महापंचायत समिति के महामंत्री हरीश डिमरी, चार धाम तीर्थ पुरोहित मुख्य प्रवक्ता डॉ. ब्रजेश सती, केदारनाथ पंडा समाज के विनोद शुक्ला, रावल गंगोत्री हरीश सेमवाल, रावल यमनोत्री अनिरुद्ध उनियाल, सुरेश सेमवाल, विश्व हिंदू परिषद् के वीरेंद्र कृतिपाल, विपिन जोशी सहित बड़ी संख्या में समिति के सदस्य एवं संत समाज के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
इससे पहले, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीएम आवास में मीडिया से वार्ता में कहा कि राज्य सरकार द्वारा व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम को वापस लिए जाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष 4 जुलाई को प्रदेश के मुख्य सेवक के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात् देवस्थानम बोर्ड के संबंध में चारधाम से जुडे तीर्थ पुरोहित, रावल, पंडा समाज, हक हकूधारियों एवं जनप्रतिनिधियों के स्तर पर अलग अलग प्रकार की प्रतिक्रिया सामने आई। सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद राज्य सरकार द्वारा पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया, समिति द्वारा तीन माह में अपनी अंतरिम रिपोर्ट राज्य सरकार को उपलब्ध कराने के साथ ही अंतिम प्रत्यावेदन भी राज्य सरकार को उपलब्ध कराया गया। राज्य सरकार द्वारा मंत्रिमंडलीय उपसमिति का भी इसके लिए गठन किया गया। उच्च स्तरीय समिति एवं मंत्रिमण्डलीय उप समिति की रिपोर्ट प्राप्त होने के पश्चात् राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में विचार के बाद देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड अधिनियम को वापस लेने का निर्णय लिया गया है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा है कि राज्य सरकार चार धाम सहित अन्य स्थानों में सभी संबंधित लोगों से परामर्श कर इन स्थानों पर बेहतर व्यवस्था सम्पादित हो सके, इसके प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि के साथ ही देश की सांस्कृतिक व आध्यात्मिक राजधानी के रूप में अपनी पहचान बनाए इसके लिए राज्य सरकार संत समाज का भी सहयोग लेगी। उन्होंने कहा कि इस दिशा में राज्य की आर्थिकी का भी ध्यान रखना जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वीजन के अनुरूप उत्तराखंड को 2025 तक देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करना हमारा उद्देश्य है। उन्होंने अधिनियम वापस लिए जाने की घोषणा के साथ चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के साथ ही अन्य संबंधित लोगों से अपना आंदोलन वापस लेने का भी अनुरोध किया। उन्होंने सभी से चार धाम सहित अन्य तीर्थ स्थलों पर बेहतर व्यवस्थायें सुनिश्चित किए जाने के लिए सहयोग की भी अपेक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि देशकाल परिस्थिति के अनुसार सभी संबंधित विषयों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी के सहयोग से इन स्थानों पर बेहतर व्यवस्थाएं बनाने का हमारा प्रयास रहेगा।
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