अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। 5 अगस्त को भूमि पूजन करने पीएम मोदी जा रहे हैं। देशभर से मंदिर निर्माण के लिए पवित्र स्थलों और नदियों के पानी को अयोध्या भेजा जा रहा है। उत्तराखंड से कहां से क्या भेजा रहा है पढ़िए।
5 अगस्त का इंतजार पूरे देश को दशकों से था। करोड़ों रामभक्तों की बरसों की तमन्ना पूरी हो रही है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन इसी तारीख को सुनिश्चित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भूमि पूजन करने जा रहे हैं। देश की आस्था के केंद्र श्री राम के मंदिर निर्माण के लिए पूरे देश से मिट्टी, जल आदि भेजे जा रहे हैं। देवभूमि उत्तराखंड से भी चार धाम की पवित्र माटी मंदिर निर्माण में इस्तेमाल की जाएगी।
बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत अन्य मठ-मंदिरों की माटी के साथ ही गंगा-यमुना का पवित्र जल भी अयोध्या भेजा जाएगा। विश्व हिंदू परिषद देवभूमि से माटी और नदियों का जल भेज रहा है। कोरोना संकट के चलते भीड़भाड़ रोकने के लिए पूरा कार्यक्रम छोटा रखा जा रहा है। विहिप कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों से कोरियर या डाक से माटी और नदियों का जल अयोध्या भेजेंगे।
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देवभूमि से विहिप की सभी 20 सांगठनिक जिला इकाइयों के अलावा 139 प्रखंड और 1400 खंड इकाइयां अपने-अपने क्षेत्र के सभी प्रमुख धार्मिक स्थलों और नदियों का जल कोरियर या डाक से अयोध्या भेजेंगी। पदाधिकारियों का कहना है कि 3 अगस्त तक माटी और जल अयोध्या पहुंच जाएगा।
देश इस समय कोरोना महामारी से लड़ रहा है। ऐसे में विहिप ने तय किया है कि जो कार्यकर्ता जहां है, वहीं से प्रमुख स्थलों की माटी और जल भेजेगा। इसके निर्देश दिए जा चुके हैं। मसलन, चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, टिहरी जिलों के कार्यकर्ता वहां से चारधाम समेत अन्य मंदिरों से माटी और गंगा-यमुना समेत अन्य नदियों का जल भेजेंगे। इसी तरह का उपक्रम हरिद्वार समेत राज्य के अन्य जिलों से भी चलेगा। कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए उनसे वीडियो कान्फ्रेंसिंग, फोन, मेसेजे के जरिए संवाद किया जा रहा है।
बताया गया है कि देहरादून से लक्ष्मण सिद्ध, मानक सिद्ध, माणू सिद्ध और कालू सिद्ध मंदिरों से भी माटी अयोध्या भेजी जाएगी। मान्यता है कि ये चारों सिद्ध देहरादून की रक्षा करते हैं। इसी प्रकार जिले के अन्य प्रमुख मठ- मंदिरों से भी माटी भेजने की तैयारियां चल रही हैं। कोरोना संकट के कारण अयोध्या में 5 अगस्त को होने वाला कार्यक्रम भी सीमित स्तर का होगा।