हरिद्वार कुंभ के लिए तैयारी कर रहे श्रद्धालुओं के काम की खबर है। एक अप्रैल से हरिद्वार महाकुंभ 2021 शुरू हो जाएगा। कुंभ को लेकर जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एअसोपी) जारी हो गई है। इसमें कुंभ स्नान के लिए पंजीकरण और कोविड जांच रिपोर्ट को अनिवार्य किया गया है। पढ़िए पूरी खबर…
कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन बाजारों में भीड़ और लोगों के चेहरों पर बेफिक्री कुछ और ही तस्वीर बयां कर रही है। ऐसा तब है जबकि दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल समेत कई राज्यों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। ऐसे में उत्तराखंड को भी अलर्ट रहने की जरूरत है। सामाजिक दूरी का पालन करने के साथ ही हमें मास्क को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाना होगा। इधर, हरिद्वार में कुंभ मेला भी है जहां करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु, पर्यटक, संत और देश-दुनिया से लोग पहुंचने वाले हैं।
कोरोना के मौजूदा हालात को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने कोविड 19 एसओपी को लेकर सख्त रुख अपनाने का फैसला किया है। उत्तराखंड के मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने लोगों को आगाह करते हुए कहा है कि जो भी हरिद्वार कुंभ मेला 2021 में कोविड-19 की एसओपी का उल्लंघन करते हुए पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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उन्होंने आगे बताया है कि श्रद्धालुओं को एक मेडिकल सर्टिफिकेट, आरटी-पीसीआर रिपोर्ट को अपलोड कर खुद को रजिस्टर करना होगा। खास बात यह है कि आरटी-पीसीआर रिपोर्ट 72 घंटे से पुरानी नहीं होनी चाहिए। इसके बाद ही मेले के लिए ई-पास जारी किया जाएगा। कुंभ स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के साथ संतों के लिए भी पंजीकरण और कोविड-19 निगेटिव जांच रिपोर्ट लानी होगी।
केवल डुबकी लगाने का पर्व नहीं है महाकुंभ, दुनिया भर के लोगों को कर सकेंगे प्रेरित
गौर करने वाली बात है कि कोरोना वैक्सीन भले ही आ गई है और लोगों को युद्ध स्तर पर लगाई जा रही है पर कोरोना अब भी एक से दूसरे शख्स में फैल रहा है। ऐसे में इसकी संक्रमण श्रृंखला को तोड़ने की दिशा में लापरवाही बरतने का मतलब मुसीबत को मोल लेना होगा। शासन-प्रशासन की पूरी कोशिश है कि कोरोना काल में हो रहे इस कुंभ मेले में धार्मिक अनुष्ठान, पद्धति, रीत-रिवाज भी पूरा हो और लोग कोरोना से भी बचे रहें।
इससे पहले तीर्थ नगरी हरिद्वार में 27 फरवरी को माघ पूर्णिमा के मौके पर करीब 2 लाख लोगों ने स्नान किया। कुंभ मेले के लिए अभी औपचारिक शुरुआत नहीं हुई है परंतु परंपरागत रूप से धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन स्नान का महत्व महाकुंभ के स्नान के अंतर्गत ही मिलता है l
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