सेब का जिक्र आते ही आपको बागानों में खूबसूरत सेबों के गुच्छों की तस्वीर उभरती होगी। कश्मीर और हिमाचली सेबों के बारे में देश के ज्यादातर लोग जानते होंगे, पर अब उत्तराखंड के सेबों को प्रमोट करने के लिए सरकार पहल कर रही है।
हिमाचली और कश्मीरी सेब के बारे में पूरा देश जानता है। लोग बड़े चाव से खाते हैं और यह एक ब्रांड भी बन चुका है। उत्तराखंड में भी सेब पैदा होता है लेकिन विडंबना यह है कि इसकी अपनी ब्रांडिंग नहीं की जा सकी है। अब उत्तराखंड सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है। किसानों को कई तरह की रियायतें और मदद दी जा रही है जिससे वे अच्छे सेब का उत्पादन कर सकें। यह पहल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में राज्य सरकार की ओर से आत्मनिर्भर उत्तराखंड बनाने की एक कड़ी है।
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राज्य की त्रिवेंद्र सरकार भी आत्मनिर्भर कृषि की दिशा में बढ़ रही है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर खुद लोगों को सेब की खेती के बारे में दी जा रही मदद की जानकारी दी। दरअसल, सेब की खेती आम फसलों की तरह नहीं होती है। इसके लिए ओलावृष्टि से भी बचाव जरूरी है। इसकी तैयारी पहले से करनी पड़ती है।
#AtmaNirbharKrishi के साथ सीएम ने लिखा कि प्रदेश के काश्तकारों के लिए बहुत सी महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही हैं। सेब उत्पादकों के लिए एंटी हेलनेट वरदान साबित हो रहा है। उत्तरकाशी में मुख्य औद्यानिकी फसलों (फल-सब्जी) की ओलावृष्टि से सुरक्षा के लिए 10 लाख वर्ग मीटर ऐंटी हेलनेट 75% अनुदान पर उपलब्ध कराया गया है।
उन्होंने बताया कि फलों एवं अन्य औद्यानिकी (Horticulture) फसलों की उचित मार्केटिंग और परिवहन के लिए 6 हजार प्लास्टिक किल्टा, 2 लाख करोगेटेड बॉक्स 50% अनुदान पर उपलब्ध कराया गया है। इससे उत्तरकाशी जिले में सेब सहित अन्य औद्यानिकी फसलों से जुड़े काश्तकारों को काफी लाभ हुआ है। सीएम ने अपने पोस्ट में #AtmaNirbharUttarakhand और #AtamnirbharBharat का भी इस्तेमाल किया है।
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