केदारनाथ पुनर्निर्माण के बाद देश के लिए एक और बड़ी जिम्मेदारी निभाने में जुटे कर्नल कोठियाल

केदारनाथ पुनर्निर्माण के बाद देश के लिए एक और बड़ी जिम्मेदारी निभाने में जुटे कर्नल कोठियाल

कर्नल कोठियाल के मुताबिक, यह माना जा सकता है कि केदारनाथ पुनर्निर्माण से तकरीबन 10 गुनी ज्यादा मुश्किलें इस प्रोजेक्ट में है। इस बीच यहां कुछ जानलेवा हादसे भी हमारे साथ हो चुके हैं… हमारा अपहरण भी हुआ था, जिसमें हमारे एक साथी की जान चली गई थी। वह आपको मालूम ही होगा…। लेकिन… यूथ को रोजगार प्रदान करने का यह एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म है… इसलिए हमें यहां काम करने में बहुत मजा आ रहा है।

कर्नल (रिटा.) अजय कोठियाल…। आज यह नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं। केदारनाथ धाम का जो दिव्य और भव्य स्वरूप आज नजर आता है, उसे 2013 की आपदा के बाद धरातल पर साकार करने की जिम्मेदारी उन्होंने ही निभाई। उत्तराखंड के लगभग हर उस घर में आज कर्नल कोठियाल के नाम का जिक्र होता है, जिसका बेटा भारतीय सेना का अंग है। इसकी वजह है उनका यूथ फाउंडेशन। उत्तराखंड के हजारों युवाओं को यूथ फाउंडेशन ने सेना में जाने के लिए प्रशिक्षित किया है।

 

अब कर्नल अजय कोठियाल एक नए मिशन में जुट गए हैं। राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़ा यह मिशन उत्तराखंड से सैकड़ों किलोमीटर दूर पूर्वोत्तर की सीमा पर अंजाम दिया जा रहा है। भारत सरकार की ओर से कर्नल कोठियाल को टास्क दिया गया है, म्यांमार सीमा तक सड़क तैयार करने का, ताकि भारत के पड़ोसी देशों में चीन की हरकतों पर नजर रखी जा सके।

वह इस समय अपनी टीम के साथ म्यांमार से लगती सीमा पर एक बड़े रोड प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इस काम में उनके साथ उत्तराखंड के कई युवा जुटे हैं। कर्नल कोठियाल ने खुद अपने फेसबुक एकाउंट से इस नए मिशन की जानकारी साझा की है। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा है, ‘बहुत समय से हमारी तरफ अच्छे विचार रखने वालों के संदेश आ रहे हैं। हम जिस जगह पर हैं, वहां नेटवर्क नहीं होने के कारण हम जवाब नहीं दे पाए, माफी चाहते हैं। पिछले 7 महीने से हम Burma/Myanmar (विदेश) में हैं…।

 

भारत की Act East Policy के तहत Burma में एक अंतरराष्ट्रीय रोड कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट है, जिसका नाम Kaladan Multi-Model Transit Transport Project (KMMTTP) है…।

Burma में जिस इलाके से यह रोड बनाई जा रही है, यहां तकरीबन रोज Myanmar Army और Arakan Army के बीच गोलीबारी (फायरिंग) चलती रहती है…।

खतरनाक जंगल, जानलेवा मलेरिया, जहरीले सांप, बिच्छू, बहुत तेज बरसात, अत्यधिक गर्मी इस इलाके की कुछ खासियतें हैं…।

यह माना जा सकता है कि केदारनाथ पुनर्निर्माण से तकरीबन 10 गुनी ज्यादा मुश्किलें इस प्रोजेक्ट में है। इस बीच यहां कुछ जानलेवा हादसे भी हमारे साथ हो चुके हैं… हमारा अपहरण भी हुआ था, जिसमें हमारे एक साथी की जान चली गई थी। वह आपको मालूम ही होगा…। लेकिन… यूथ को रोजगार प्रदान करने का यह एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म है… इसलिए हमें यहां काम करने में बहुत मजा आ रहा है।

सेना से रिटायरमेंट के बाद फौज जैसा ही काम करने का मौका मिल रहा है। हमें यह समझ आता है कि युवाओं को ऐसे काम करने में बहुत मजा आता है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव राकेश शर्मा सर, जिन्होंने हमें केदारनाथ में काम करने का मौका दिया, यहां पर भी उन्होंने ही हमको काम करने का मौका दिया है। उत्तराखंड का युवा केदारनाथ पुनर्निर्माण में भी हमारे साथ था…उत्तराखंड का युवा यहां पर भी हमारे साथ है…।

एक बार यह कार्य सही तरीके से चलना शुरू हो जाए, तब जल्द ही हम उत्तराखंड आएंगे…। दुआओं की जरूरत है, आशीर्वाद की जरूरत है, अंतरराष्ट्रीय ख्याति वाला यह कार्य जरूर पूरा होगा।’

इस प्रोजेक्ट की शुरुआत में ही उनकी टीम को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। म्यांमार के विद्रोही संगठन अराकान आर्मी ने पहले कर्नल कोठियाल का अपहरण कर लिया था। वह अपनी सूझबूझ और कुशल नेतृत्व क्षमता के कारण विद्रोहियों के कब्जे से निकल आए। इसके बाद रोड कंस्ट्रक्शन में जुटी उनकी टीम पर भी हमला हुआ। यही नहीं पिछले दिनों म्यांमार सीमा के पास एक आईईडी ब्लास्ट की भी खबरें आईं, जिसमें इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही वुडस्टोन कंस्ट्रक्शन के दो कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए।

बहरहाल, कर्नल कोठियाल मोर्चा संभाले हुए हैं और उन्होंने कहा है कि राष्ट्रहित के लिए जरूरी इस प्रोजेक्ट को हर हाल में पूरा किया जाएगा।

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