पीएम मोदी के शुरुआती जीवन पर आधारित ‘साधु से सेवक’ पुस्तक की एक विशेषता यह भी है कि इसकी प्रस्तावना गृहमंत्री अमित शाह ने लिखी है। उनके ही शब्दों को दोहराएं तो ‘साधु में सेवक पुस्तक हमें एक ऐसे अद्वितीय प्रतिभाशाली बालक की जीवंत कथा बताती है, जो आदर्श और परिश्रमी माता-पिता के सद्संस्कारों, समाज एवं राष्ट्र के लिए समर्पण का संकल्प लेने वाले वैचारिक अधिष्ठान की सीख के साथ राष्ट्र का समर्पित सेवक सिद्ध हुआ है।’
वरिष्ठ पत्रकार और आजतक के संपादक नेशनल सिक्योरिटी मनजीत नेगी ने अपनी पुस्तक ‘साधु से सेवक’ की प्रति हंस फाउंडेशन की संस्थापक एवं संरक्षक माताश्री मंगला जी और भोले जी महाराज को भेंट की। यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस आध्यात्मिक यात्रा का व्याख्यान है, जो उन्हें साधु बनने की चाह में देश भर के कई हिस्सों में ले गई। नई दिल्ली में हुई इस मुलाकात के दौरान माताश्री मंगला और भोले जी महाराज ने उत्तराखंड में हंस फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्यों पर विस्तार से बात की।
इस दौरान हिल-मेल की संपादकीय टीम भी माताश्री मंगला और भोले जी महाराज से मिली।
मनजीत नेगी ने इस वर्ष 15 मार्च को पुस्तक की पहली प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट की थी। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा के कई अनसुने पहलुओं को साझा किया था। पीएम मोदी ने अपने उत्तराखंड से जुड़ाव और शुरुआती सफर को याद करते हुए कई आध्यात्मिक स्थलों का जिक्र किया था। साथ ही पिथौरागढ़ जिले के नारायण आश्रम, रामकृष्ण कुटीर अल्मोड़ा, केदारनाथ स्थित गरूड़चट्टी और दयानंद आश्रम ऋषिकेश से जुड़ी कई बातें साझा कीं।
पीएम मोदी के शुरुआती जीवन पर आधारित ‘साधु से सेवक’ पुस्तक की एक विशेषता यह भी है कि इसकी प्रस्तावना गृहमंत्री अमित शाह ने लिखी है। उनके ही शब्दों को दोहराएं तो ‘साधु में सेवक पुस्तक हमें एक ऐसे अद्वितीय प्रतिभाशाली बालक की जीवंत कथा बताती है, जो आदर्श और परिश्रमी माता-पिता के सद्संस्कारों, समाज एवं राष्ट्र के लिए समर्पण का संकल्प लेने वाले वैचारिक अधिष्ठान की सीख के साथ राष्ट्र का समर्पित सेवक सिद्ध हुआ है।’
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मनजीत नेगी बताते हैं कि पीएम मोदी पर पुस्तक को लिखने की प्रेरणा वर्ष 2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव कवर करने के दौरान वडनगर में नरेंद्र मोदी जी के शुरुआती जीवन पर डॉक्यूमेंट्री बनाते वक्त मिली। इसके बाद मैंने उनकी आध्यात्मिक यात्रा में सभी पड़ावों का सफर किया। वहां से मिले अनुभव और नरेंद्र मोदी के करीब रहे महानुभावों के साक्षात्कार के आधार पर ही यह पुस्तक तैयार हुई है।
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