कोरोना के संक्रमण की रफ्तार भले ही उत्तराखंड में अबतक कम थी पर प्रवासियों के लौटने के साथ ही यह आंकड़ा बढ़ने लगा है। लोग एहतियात बरत रहे हैं लेकिन डॉक्टरों, हेल्थकेयर पेशेवरों के साथ आम लोगों का भी तनाव बढ़ रहा है। ई-रैबार के इस अंक में इसी पर हुई विस्तार से चर्चा…
कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसे में लोगों की चिंता बढ़ना लाजिमी है। ऐसे में हमने हिल मेल के लाइव शो ‘ई-रैबार’ में स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया और उनसे समझने की कोशिश की कोरोना संक्रमण से बचने के साथ ही इस संकट काल में बढ़ तनाव को कैसे कम किया जा सकता है। इस पर बात करने के लिए शो में जुड़े ज्वाइंट डायरेक्टर, हेल्थ डेवलपमेंट सिस्टम डॉ. बीएस जंगपागी, सीएमओ हरिद्वार डॉ. सरोज नैथानी, मैक्स अस्पताल के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. पुनीत त्यागी और मैक्स अस्पताल के वरिष्ठ कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. पुनीश सदाना ने कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी। मॉडरेटर की भूमिका में थे आरजे काव्य।
डॉ. बीएस जंगपागी ने कहा कि एक साथ एक परिवार के लोग साथ में आराम से रह सकते हैं। बस उन्हें ध्यान यह देना है कि कोई बाहरी उनसे न मिला हो। कोई दिक्कत हो तो आशा बहनों के माध्यम से अपनी समस्या बता सकते हैं। गांवों तक स्वास्थ्य सुविधाएं क्यों नहीं पहुंच पातीं? इस सवाल पर डॉ. जंगपागी ने कहा कि डॉक्टर ब्लॉक लेवल तक ही रहना पसंद करते हैं। जब उत्तराखंड अलग राज्य नहीं बना था तब हिल पोस्टिंग अनिवार्य थी क्योंकि प्रमोशन नहीं होता था तो लोग रहते थे। हमारी कोशिश है कि हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाए जिससे डॉक्टरों को असुविधा न हो और वे सुदूर इलाकों में भी रहने के लिए प्रेरित हों।
सरकारी डॉक्टरों की इमेज हुई और मजबूत…
एक सवाल के जवाब में सीएमओ हरिद्वार डॉ. सरोज नैथानी ने कहा कि पहले भी लोग प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराते समय भी सरकारी डॉक्टर को जरूर एक बार दिखा लेते थे कि उनका इलाज या ऑपरेशन ठीक हो रहा है या नहीं। इस संकट की घड़ी में लोगों का भरोसा और ज्यादा बढ़ा है। डॉ. नैथानी ने कहा कि बड़ी संख्या में मरीजों के आने के कारण सरकारी अस्पतालों में उतनी सफाई और लुकिंग प्राइवेट अस्पतालों की तरह नहीं हो पाती है लेकिन आज की तारीख में लोग सरकारी डॉक्टरों को ज्यादा महत्व दे रहे हैं।
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लोग समझ रहे कोरोना का खतरा…
डॉ. पुनीत त्यागी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया। कोरोना के मामले कम थे लेकिन अब हमें आगे इकॉनमी को भी देखना होगा क्योंकि यह वायरस जाने वाला नहीं है। लॉकडाउन खुलने के बाद हो सकता है कि केस बढ़े और हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। हमने अलग-अलग इलाकों में ड्रिल कर रहे हैं और स्टाफ को आगे के हालात के लिए तैयार कर रहे हैं। अब ज्यादातर लोग खतरे को समझ रहे हैं। उन लोगों को ज्यादा बचाव करने की जरूरत है जिनके घर में हार्ट या अन्य किसी गंभीर बीमारी के मरीज, बुजुर्ग और बच्चे हैं।
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उन्होंने कहा कि आम लोगों के साथ अस्पताल में काम करने वाले लोग भी टेंशन में हैं। खुद को मोटिवेट करने के लिए अपनी हॉबी कर सकते हैं जैसे किसी ने गाना गाया, किसी ने कविता लिखी आदि। तनाव से ध्यान हटाने के कई तरीके हैं जो हम कर सकते हैं।
तनाव दूर रखने के लिए खुद को बिजी रखें…
डॉ. पुनीश सदाना ने कहा कि हार्ट अटैक के मरीज पिछले महीने में कम हो गए। इसका कारण यह था कि लोगों ने तनाव कम लिया और छोटे-मोटे दर्द के लिए वे अस्पताल नहीं पहुंचे। डॉ. पुनीश ने कहा कि तनाव कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने आप को बिजी रखें। घर पर एक्सरसाइज कीजिए। अस्पताल में चलते समय फोन पर बात कीजिए।
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