लैंसडौन में लगेगा डाॅप्लर रडार, मिलेगी बादल फटने और तूफान आने की सटीक जानकारी

लैंसडौन में लगेगा डाॅप्लर रडार, मिलेगी बादल फटने और तूफान आने की सटीक जानकारी

उत्तराखंड में बादल फटना, तूफान या फिर बारिश होने का सटीक पूर्वानुमान देने के लिए मौसम विभाग के सामने पहले काफी चुनौती होती थी लेकिन अब डाॅप्लर रडार लग जाने से इन घटनाओं की जानकारी विभाग को तीन घंटे पहले ही पता चल जाएगी।

उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने बताया कि मौसम विभाग द्वारा लैंसडौन सेना छावनी क्षेत्र में स्थापित होने वाले डाॅप्लर रडार को लेकर अब रक्षा मंत्रालय की अनापत्ति मिल चुकी है।

उत्तराखंड में प्रस्तावित 3 डाॅप्लर रडार स्थापित होने हैं, जिसमें सुरकंडा (टिहरी) और मुक्तेश्वर (नैनीताल) पर कार्य जारी है किंतु चमोली, रुद्रप्रयाग और पौड़ी क्षेत्र के मौसम का पूर्वानुमान बताने वाले डाॅप्लर रडार जिसे लैंसडाउन (पौड़ी) क्षेत्र में स्थापित होना था, यह लंबे समय से लंबित था।

सांसद बलूनी ने कहा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने डाॅप्लर रडार की स्थापना हेतु सबसे प्रभावी लोकेशन सेना छावनी लैंसडाउन चयनित की थी। किंतु सेना के नियमों, प्रोटोकॉल और सुरक्षा मानकों के कारण डाॅप्लर रडार की स्थापना में विलंब आ रहा था।


राज्यसभा सांसद ने बताया कि रक्षा मंत्री और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के साथ उनका लगातार संवाद जारी था। अब रक्षा मंत्रालय ने अनापत्ति पत्र जारी करके बताया है कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग को लीज पर भूमि प्रदान की है, शीघ्र ही उस स्थान पर डाॅप्लर रडार की स्थापना होने से मौसम के पूर्वानुमान की सटीक जानकारी मिल जायेगी।

सांसद बलूनी ने इसके लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड में डबल इंजन का विकास मॉडल स्पष्ट दिखाई दे रहा है।

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इससे पहले अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित पहला डाॅप्लर रडार मुक्तेश्वर के शीतोष्ण बागवानी संस्थान में स्थापित किया गया है। इस रडार की खासियत यह है कि बादलों के फटने जैसी घटनाओं के होने से पहले ही हमें जानकारी मिल जाएगी। बारिश, तूफान या अंधड़ के साथ तेज हवाओं के यहां पहुंचने से पहले ही जानकारी मिल जाने से जरूर एहतियात बरतना भी आसान हो जाएगा।

नैनीताल शहर से मुक्तेश्वर की दूरी 51 किमी है। यह खूबसूरत पर्यटक स्थल समुद्र की सतह से 2286 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां स्थापित रडार 100 किमी के दायरे में 360 डिग्री एंगल पर कार्य करेगा। यह हिमालय समेत चारों दिशाओं के मौसम पर नजर रख सकेगा। इससे हवा की गति व दिशा, तापमान व आर्द्रता की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती रहेगी।

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