पद्मश्री प्रीतम भरतवाण की आवाज में रिवर्स पलायन को प्रेरित करता एक गीत इन दिनों चर्चा में है। केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने काफी पहले इसे लिखा था पर अब इसका वीडियो कोरोना काल में बना है, जिसने सोशल मीडिया पर धूम मचा दी है।
कोरोना काल में जब बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से प्रवासी उत्तराखंडी अपने गांव पहुंच रहे हैं तो केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का लिखा एक गीत वायरल हो रहा है। अपने गांव लौटने का संदेश देते इस गढ़वाली गीत ‘आवा गौं जौंला…’ (आओ साथियों अब गांव जाएं) को केंद्रीय मंत्री और लेखक निशंक ने करीब 22 साल पहले लिखा था।
प्रख्यात जागर सम्राट पद्श्री प्रीतम भरतवाण (Pritam Bhartwan song) ने इस गीत को अपनी आवाज दी है। हिल मेल से विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि यह उन्होंने काफी पहले गाया था लेकिन मौजूदा संकट के समय में जब इसका वीडियो यूट्यूब पर रिलीज किया गया तो लोगों ने उसे काफी पसंद किया है। 4 दिन में इस वीडियो को 70 हजार बार देखा जा चुका है। उत्तराखंड के मनमोहक पहाड़, हरे-भरे बागान, प्रकृति की गोद में बसे गांव देखने वालों का मन मोह लेते हैं।
आपको बता दें कि साहित्यकार निशंक के गढ़वाली गीतों की एलबम ‘उत्तरांजली’ साल 1998 में रिलीज हुई थी। इसमें ‘आवा गौं जौंला’ भी एक था। गढ़वाली गीत के शब्द हिंदी में भी दिए गए हैं, जिससे हिंदीभाषी भी गीत के संदेश को समझ सकें। ‘आओ साथियों अब गांव जाएं’ के साथ वीडियो में दिल्ली का वह दृश्य उभरता है जब आनंद विहार बस अड्डे पर भारी भीड़ देखी गई थी।
गीत के कुछ शॉट की रिकॉर्डिंग ड्रोन से ली गई जान पड़ती है। लोकप्रिय गीत के साथ उत्तराखंड के गांवों के रहन-सहन, गंगा नदी के किनारे, धार्मिक स्थल आदि को भी दर्शाया गया है।
हिल-मेल से बातचीत में प्रीतम भरतवाण ने कहा कि मातृभूमि तो सबको प्रिय होती है। सुख हो या दुख मातृभूमि ही याद आती है। इस कोरोना संकट में ही सही अगर लोग अपने गांव आ रहे हैं तो उनके जीविकोपार्जन पर ध्यान दिया चाहिए, जिससे वे यहीं पर रहकर गुजर-बसर कर सकें।
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