एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने आदिवासी महिला राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद एक नया इतिहास रच दिया है। वह देश के 15वें राष्ट्रपति का चुनाव जीत गई हैं। उन्होंने विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया। महामहिम मुर्मू नए राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई को शपथ लेंगी। वर्तमान राष्ट्रपति का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है।
एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने आदिवासी महिला राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद एक नया इतिहास रच दिया है। वह देश के 15वें राष्ट्रपति का चुनाव जीत गई हैं। उन्होंने विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराया। महामहिम मुर्मू नए राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई को शपथ लेंगी। वर्तमान राष्ट्रपति का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है।
द्रोपदी मुर्मू ने पीएम नरेंद्र मोदी के आवास में जाकर उनसे मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने उन्हें जीत की बधाई दी। एनडीए से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को 64 प्रतिशत मत मिले जबकि विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को 36 प्रतिशत मत मिले हैं। जीत के लिए 5,43,261 मूल्य के वोट चाहिए थे और सत्ताधारी एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को 6,76,803 मूल्य के वोट मिले जबकि विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को सिर्फ 3,80,177 मूल्य के वोट मिले।
गौरतलब रहे कि राष्ट्रपति चुनावों में 18 जुलाई 2022 को संसद में 98.91 प्रतिशत मतदान हुआ था। कुल 736 मतदाताओं (727 सांसदों और 9 विधायकों) को संसद में मतदान की अनुमति दी गई थी, जिनमें से 728 (719 सांसदों और 9 विधायकों) ने वोट दिया था।
द्रौपदी मुर्मू के पैतृक गांव ओडिशा के रायरंगपुर में पहले से ही जश्न की तैयारियां शुरू हैं। बीते दिनों से ही मिठाइयां बन रही हैं। ग्रामीणों ने मुर्मू का विजय जुलूस निकलने के साथ ही आदिवासी नृत्य की भी योजना पहले से ही बना ली है। भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब कोई आदिवासी महिला भारत की राष्ट्रपति बनी। रायरंगपुर और पूरे ओडिशा के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। उत्सव जैसा माहौल है। 20,000 मिठाइयां बनाने के अलावा आतिशबाजी की भी पूरी तैयारी भी पहले ही की गई।
द्रौपदी मुर्मू जिस सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ती थीं, उसके प्रधानाध्यापक रह चुके बिस्वेश्वर मोहंती ने उस वक्त को याद किया। उन्होंने बताया कि वह 1968 से 1970 तक स्कूल में हेड टीचर थे। उस दौरान द्रौपदी मुर्मू वहां पढ़ाई करती थीं और वह बहुत मेधावी थीं। उन्होंने बताया कि मुर्मू के बारे में जानकर उन्हें बहुत गर्व महसूस होता है।
इस बीच द्रौपदी के ससुराल के घर की तस्वीर भी सामने आई है। द्रोपदी मुर्मू ने पति और दो बेटों की मौत के बाद अपने ससुराल पहाड़पुर की सारी जमीन को ट्रस्ट बनाकर बोर्डिंग स्कूल में बदल दिया था। ट्रस्ट का नाम पति और बेटों के नाम पर एसएलएस ट्रस्ट रखा गया है। इसमें ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे पढ़ाई करते हैं।
राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को सत्ताधारी गठबंधन के अलावा बीजद, वाईएसआर कांग्रेस, अकाली दल ही नहीं विपक्षी खेमे के कई दलों जैसे जेडीएस, झामुमो, शिवसेना और तेदेपा का समर्थन भी मिला है। साथ ही चुनाव में क्रॉस वोटिंग की भी खबरें सामने आई हैं।
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