जब मन में कुछ कर गुजरने की ठान ली जाए तो कोई भी विषम परिस्थिति क्यों न हो काम अपने आप ही बनते जाते हैं और यह काम कर दिखाया है पूर्व सैनिक नरेंद्र सिंह बडवाल ने। उन्होंने बद्रीनाथ धाम के माणा गांव में जो कि देश की सीमा पर बसा आखिरी गांव है। उन्होंने पहले यहां पर पहले चाय और कॉफी की दुकान शुरू की और उसके बाद अब लोकल जड़ी बूटी से बना टमाटर का सूप पिलाकर यहां आ रहे पर्यटकों को लुभा रहे हैं।
माणा के युवाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं नरेंद्र सिंह बडवाल
सन् 1966 में माणा गांव बद्रीनाथ धाम चमोली, उत्तराखंड में जन्में पूर्व सैनिक नरेंद्र सिंह बडवाल की प्रारम्भिक शिक्षा कक्षा 5 तक माणा गांव में ही हुई जब वह 9-10 साल के थे तब ही पिताजी का देहान्त हो गया था उन्हें तो अपने पिताजी का चेहरा ठीक सेयाद भी नही था। फिर मां की क्षत्रछाया में आगे की पढ़ाई पूरी की। पीजी कॉलेज गोपेश्वर से कार्मस में ग्रेजुएट करके 1988 में मैदानी क्षेत्र मेरठ में आकर प्राइवेट नौकरी करने लगे और साथ ही सरकारी नौकरी के फार्म भरते हुए तैयारी करने लगे।
उनका चयन अर्द्ध सैनिक बल सीआईएसएफ में उपनिरीक्षक पद पर दिसंबर 1989 को हुआ और फिर टेनिंग के बाद संपूर्ण भारत में सेवारत रहे। सेवा के दौरान एसपीजी में प्रतिनियुक्ति पर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं मनमोहन सिंह के सुरक्षा में भी सेवा दी।
21 साल सरकारी नौकरी करने के बाद कम्पनी कमांडर पद से वीआरएस लिया और दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करने लगे साथ ही साथ पंतजलि योगपीठ हरिद्वार स्वामी रामदेव से योग प्रशिक्षण की टेनिंग लेकर नवयोग ग्राम सर्वोदय सेवा समिति, टनकपुर, चम्पावत उत्तराखंड शाखा दिल्ली से जुड़कर अंशकालिक ‘योगगुरू’ की सेवा प्रदान करने लगे। इस बीच 2019 से 2020-21 तक कोविड महामारी के चलते उनकी प्राइवेट नौकरी भी चली गई।
उत्तरांचल उत्थान परिषद के अध्यक्ष राम प्रकाश पैन्यली द्वारा 2016-17 में दिल्ली में प्रवासी उत्तराखंडियों का पलायन एवं स्वरोजगार का सेमिनार में उन्हें वीके गौड़ के ‘हिट पहाड़’ के कई लेख पढ़े। यू ट्यूब वीडियो देखे, तो तब उन्होंने इनसे प्रेरित होकर फैसला लिया कि अपने गांव जाकर स्वरोजगार करने की ठान ली।
फिर बद्रीनाथ धाम सीजन के दौरान वहां स्थित अंतिम गांव ‘पहला गांव’ माणा में शुरू में चाय और काफी की दुकान 2021 में खोली फिर सोचा कि कुछ हटकर चीज बेचा जाय जो ठंडे क्लाइमेट में शरीर को गर्म रखे इसके लिए लोकल जड़ी बूटी जो उपयुक्त है उसको मिलाकर लोकल जड़ी बूटी से बना टमाटर सूप जो आर्गेनिक है, थकान दूर करती है, गर्मी पैदा करती है, चढ़ाई पर सांस नहीं फूलती है, पाचन ठीक रखता है, भूख बढ़ाती है, आर्युवैदिक एवं स्वास्थ्यवर्धक है, वह इस सूप को देश विदेश से आने वाले पर्यटकों को वाजिब दाम पर देते हैं।
यह सूप पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों में बहुत लोकप्रिय हो गया। पर्यटक स्वयं इस सूप का प्रचार व्यक्तिगत रूप से और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार करने लगे उनके सुझाव पर फिर इन्होंने आर्गेनिक हर्बल टमाटर सूप पाउडर रेडी टू सर्व पाउच बनाकर भी देने लगे। इस प्रकार से उनकी प्रतिदिन आमदनी डबल 1200-1500 रूपये प्रतिदिन होने लगा। जिससे उन्हें प्राइवेट नौकरी से ज्यादा गांव में स्वरोजगार करने से आय होने लगी और उन्हें अपार सतुष्टि मिली। साथ ही साथ युवाओं को जागरूक कर स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
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